ग़ज़ल
हम इधर देखें कि उधर देखें,
लोग देखें कि हम जिधर देखें,
तुझको बस,देख के,ऐ पर्दानशीं
सोचते हैं कि अब किधर देखें ?
तेरी नज़रों की शोख़ियों के लिए
दिल यह करता है,ता उमर देखें !
नज़रे-मय उसकी आज पीकर हम
कैसे होता है, क्या असर देखें !
रात भर तेरी याद में जगकर
कैसी होती है फिर सहर देखें !
ये ज़रूरी है मौत से पहले
ज़िन्दगी का सही, सफ़र देखें !
कल तलक तो मरा नहीं था 'अतुल'
आज अखब़ार की ख़बर देखें !
-अतुल मिश्र
सूफ़ियाना बसंत पंचमी...
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*फ़िरदौस ख़ान*
सूफ़ियों के लिए बंसत पंचमी का दिन बहुत ख़ास होता है... हमारे पीर की ख़ानकाह
में बसंत पंचमी मनाई गई... बसंत का साफ़ा बांधे मुरीदों ने बसंत के गीत ...