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कोलकाता (पशिचम बंगाल). केन्द्रीय बिजली राज्य मंत्री भरतसिंह सोलंकी ने आज कोलकाता में उत्तर-पूवी और पूर्वी बिजली शिखर सम्मेलन 2010 को सम्बोधित करते हुए कहा कि यदि भारत को पर्यावरण के अनुकूल तरीके से बिजली की बढती मांग को पूरा करना है तो उसे निश्चित तौर पर पन बिजली क्षेत्र की अपनी संभावनाओं का अधिकतम उपयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तर-पूर्वी क्षेत्र को पनबिजली की विशाल संभावना का वरदान प्राप्त है, जो लगभग 58356 मेगावाट होने का अनुमान है। इसमें से अब तक केवल 7 प्रतिशत यानी 3992 मेगावाट क्षमता का ही लाभ प्राप्त किया गया है। ताजा अनुमानों के अनुसार शेष 93 प्रतिशत पनबिजली संभावनाओं का लाभ प्राप्त करना बाकी है।

उन्होंने कहा कि बिजली की बढती मांग को पूरा करने और व्यवहार्य बिजली क्षेत्र के सृजन के लिए हमारे लिए न केवल बिजली उत्पादन क्षमता बढ़ाना जरूरी है बल्कि मौजूदा तापबिजली और पन बिजली क्षमता का आधुनिकीकरण और संवर्ध्दन भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि भारत में बिजली उत्पादन और पारेषण के लिए 2012 तक अनुमानित मांग की पूर्ति के लिए 200 अरब अमरीकी डालर के निवेश की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों और केन्द्र स्तरीय परियोजनओं का वित्त पोषण एक प्रमुख चुनौती के रूप में कायम है और इसे ध्यान मे रखते हुए उनका मंत्रालय निवेशकों से जुड़ी सरलता की समस्या को कम करने का प्रयास कर रहा है।


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