नई दिल्ली. केन्द्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री आनन्द शर्मा ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने चुनौती सकल घरेलू उत्पाद में निर्माण क्षेत्र के हिस्से को 16 प्रतिशत से बढ़ाकर 23 प्रतिशत करने की है, ताकि सकल घरेलू उत्पाद के वार्षिक विकास को 8 प्रतिशत तक पहुंचाने और उसे वहां बनाये रखा जा सकता है।
छठे एशियाई गैस भागीदारी सम्मेलन का यहां उदघाटन करते हुए आनन्द शर्मा ने कहा कि जीवाश्म ईंधनों और बड़ी मात्रा में कच्चे तेल के आयात पर देश की निर्भरता कम करने के लिए गैस को ऊर्जा का प्रमुख स्रोत बनाना होगा। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय से विदेश में तेल और गैस परियोजनाओं के लिये बोली लगाने के वास्ते सामूहिक दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह करते हुए उन्होंने कहा कि ऊर्जा सुरक्षा बहुत जरूरी है।
मंत्री ने कहा कि तेल और गैस के अन्वेषण प्रयासों को काफी बढाने और वसूली दर को सुधारने की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हालांकि गैस-ईंधन भारत द्वारा विकसित किये जा रहे अक्षय ऊर्जा के स्रोतों का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है, इसमें सावधानी बरतने की काफी जरूरत है और यह सुनिश्चित किया जाए कि अनाज उत्पादन की भूमि को जैव-ईंधनों के काम में न लाया जाए।
इस अवसर पर पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री मुरली देवरा ने सम्मेलन को सूचित किया कि देश में एनएलजी मूलभूत ढांचे का विस्तार किया जा रहा है। दाहेज टर्मिनल की क्षमता को पिछले वर्ष दुगुना किया गया था। कोची एलएनजी टर्मिनल पर कार्य प्रगति पर है। दाभोल टर्मिनल जल्दी चालू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इस प्रकार देश में एलएनजी पुन:गैसीकरण की क्षमता वर्ष 2011-12 तक 20 एमएनटीपीए के स्तर पर पहुंच जाएगी।
देवरा ने कहा कि केजी थाले से प्राकृतिक गैस की बढ़ी हुई उपलब्धता हमारे शहरों में गैस की उपलब्धता निश्चित रूप से बढ़ा देगी। आज लगभग 40 शहरों और कस्बों में सीएनजी उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने कहा कि हम 200 से अधिक अन्य शहरों में गैस उपलब्ध कराना चाहते हैं। अधिक संख्या में बड़े शहरों और मेट्रो में पाइप के जरिये सप्लाई की जा रही प्राकृतिक गैस (पीएनजी) के परिणाम स्वरूप हमें ग्रामीण क्षेत्रों में एलपीजी की आपूर्ति बढ़ाने में सहायात मिलेगी।
इस अवसर पर कतर के उप प्रधानमंत्री और ऊर्जा तथा उद्योग मंत्री अब्दुल्ला बिन हमद अल-अत्तियाह ने गैस उत्पादन, वितरण और परिवहन में सुधार करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि पर्यावरण सुरक्षा की आवश्यकता और विकास उद्दश्यों में संतुलन बनाना भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सचिव एस सुंदरेशन ने गैस क्षेत्र की मुख्य चुनौतियों पर विस्तृत जानकारी दी।
उदघाटन सत्र के दौरान तेल और गैस उद्योग के प्रमुख विशेषज्ञों और मुख्य कार्यकारी अधिकारियों ने भी अपने विचार रखे।