मेरे गीतों में तू मेरे ख्वाबों में तू,
इक हकीकत भी हो और किताबों में तू।
तू ही तू है मेरी जिन्दगी।
क्या करूं मां तेरी बन्दगी।।
तू न होती तो फिर मेरी दुनिया कहां ?
तेरे होने से मैंने ये देखा जहां।
कष्ट लाखों सहे तुमने मेरे लिए,
और सिखाया कला जी सकूं मैं यहां।
प्यार की झिरकियां और कभी दिल्लगी।
क्या करूं मां तेरी बन्दगी।।
तेरी ममता मिली मैं जिया छांव में।
वही ममता बिलखती अभी गांव में।
काटकर के कलेजा वो मां का गिरा,
आह निकली उधर, क्या लगी पांव में?
तेरी गहराइयों में मिली सादगी।
क्या करूं मां तेरी बन्दगी।।
गोद तेरी मिले है ये चाहत मेरी।
दूर तुमसे हूं शायद ये किस्मत मेरी।
है सुमन का नमन मां हृदय से तुझे,
सदा सुमिरूं तुझे हो ये आदत मेरी।
बढ़े अच्छा इयां दूर हो गन्दगी।
क्या करूं मां तेरी बन्दगी।।
-श्यामल सुमन