मनोज गुप्ता
मई दिवस या अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस कामगार लोगों के संघर्ष की याद में हर वर्ष दुनियाभर में एक मई को मनाया जाता है और विश्व के अधिकतर देशों में इसे मान्यता मिल चुकी है।
 संक्षिप्त इतिहास
              अमेरिका का शिकागो शहर श्रम आंदोलन की केंद्रस्थली है। सन् 1884 में संगठित श्रमिक संघ परिसंघ ने एक प्रस्ताव पारित कर एक मई 1886 से  प्रतिदिन आठ घंटे काम की अवधि निर्धारित की थी। प्रस्ताव में इस लक्ष्य को पाने के लिए आम हड़ताल का आह्वान किया गया। दरअसल उन दिनों श्रमिकों से प्रतिदिन 12 से भी अधिक घंटे काम करवाया जाता था। अप्रैल, 1886 तक मई दिवस आंदोलन से 2 लाख से अधिक श्रमिक जुड़ गए।
             सरकार आंदोलन के बढते क़्रांतिकारी स्वभाव से घबरा गई और उसने उसी हिसाब से तैयारी शुरू कर दी। एक मई तक आंदोलन काफी तेज हो गया। 3 मई, 1886 को मैककोर्मिक रीपर वर्क्स फैक्ट्री में हड़ताली श्रमिकों पर पुलिस ने गोलियां चलाईं जिसमें चार श्रमिकों की मौत हो गयी और कई अन्य घायल हो गए। आंदोलनकारियों ने इस क्रूरता के विरोध में अगले ही दिन हेमार्केट चौराहे पर एक विशाल जनसभा का आयोजन किया। पुलिस चौराहे पर पहुंची और उसने वहां से लोगों को चले जाने को कहा। जब श्रमिकों ने पुलिस के आदेश को नहीं माना तो उसने उसपर गोलियां बरसाईं  और कई प्रदर्शनकारी मारे गए।

मई दिवस
दुनियाभर में मई दिवस कम्युनिस्ट और साम्यवादी प्रदर्शनों के केंद्र में रहा है। बहुत बाद में आकर मई दिवस एक यादगार दिन के बजाय समारोह बन गया। रूस, चीन और क्यूबा जैसे कम्युनिस्ट देशों में मई दिवस एक महत्वूपर्ण सार्वजनिक अवकाश का दिन  है। इस दिन साम्यवादी विचारधारा से जुड़े श्रमिक संघ रैली, बैठक और प्रदर्शन करते हैं। भारत में पहला मई दिवस मद्रास (मौजूदा चेन्नई) में लेबर किसान पार्टी ने एक मई, 1923 को मनाया था। संभवत: इस प्रकार पहली बार देश में लाल झंडा फहराया गया था।
श्रम कल्याण योजनाएं
           
            केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री श्री मल्लिकार्जुन खड़गे ने मई दिवस, 2010 को सरकार की श्रम कल्याण योजनाओं के प्रचार प्रसार के लिए चुना। मई दिवस पर राष्ट्र के नाम संबोधन में श्री खड़गे ने कहा, ''असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए असंगठित श्रमिक सामाजिक सुरक्षा अधिनियम, 2008  नामक नया कानून बनाया गया है। इसी प्रकार गरीबों के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना  नामक स्वास्थ्य बीमा योजना एक अप्रैल, 2008 से लागू हुई। इस योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले सभी परिवारों को इलाज के लिए बिना नकद के 30 हजार रूपए तक देनदारी के  लिए स्मार्टकार्ड जारी किये जाएंगे। अबतक 1.4 करोड़ स्मार्ट कार्ड जारी किए जा चुके हैं। ''

नई पहल
सरकार की भावी योजनाओं का जिक्र करते हुए श्री खड़गे ने कहा, ''कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की कंप्यूटरीकरण योजना एनआईसी की मदद से क्रियान्वित की जा रही है। कर्मचारी राज्य बीमा निगम ने ईएसआई योजना के तहत सेवा में सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं। नये भौगोलिक क्षेत्रों को इसके तहत लाया जा रहा है तथा सूचना प्रौद्योगिकी पर आधारित योजना लागू करने के साथ ही चिकित्सा शिक्षा परियोजना शुरू की जा रही है।''

श्रमिकों के लिए मई दिवस केवल ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है बल्कि यह मजूदरों के लिए सभी प्रकार के शोषण और दमन के खिलाफ संगठित होने का भी दिन है।


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