मनोज गुप्ता
मई
दिवस
दुनियाभर में मई
दिवस कम्युनिस्ट और
साम्यवादी प्रदर्शनों के
केंद्र में रहा
है। बहुत बाद
में आकर मई
दिवस एक यादगार
दिन के बजाय
समारोह बन गया।
रूस, चीन
और क्यूबा जैसे
कम्युनिस्ट
देशों में मई
दिवस एक महत्वूपर्ण
सार्वजनिक अवकाश का
दिन
है।
इस दिन साम्यवादी
विचारधारा से जुड़े
श्रमिक संघ रैली, बैठक और
प्रदर्शन करते हैं।
भारत में पहला
मई दिवस मद्रास
(मौजूदा चेन्नई) में
लेबर किसान पार्टी
ने एक मई, 1923 को मनाया
था। संभवत: इस
प्रकार पहली बार
देश में लाल
झंडा फहराया गया
था।
श्रम
कल्याण योजनाएं
केंद्रीय श्रम एवं
रोजगार मंत्री श्री
मल्लिकार्जुन
खड़गे ने मई
दिवस, 2010 को
सरकार की श्रम
कल्याण योजनाओं के
प्रचार प्रसार के
लिए चुना। मई
दिवस पर राष्ट्र
के नाम संबोधन
में श्री खड़गे
ने कहा,
''असंगठित क्षेत्र के
श्रमिकों को सामाजिक
सुरक्षा प्रदान करने
के लिए असंगठित
श्रमिक सामाजिक सुरक्षा
अधिनियम, 2008
नामक नया कानून
बनाया गया है।
इसी प्रकार गरीबों
के लिए राष्ट्रीय
स्वास्थ्य बीमा योजना नामक
स्वास्थ्य बीमा योजना
एक अप्रैल, 2008 से
लागू हुई। इस
योजना के तहत
गरीबी रेखा से
नीचे जीवन यापन
करने वाले सभी
परिवारों को इलाज
के लिए बिना
नकद के 30 हजार रूपए
तक देनदारी के लिए
स्मार्टकार्ड
जारी किये जाएंगे।
अबतक 1.4 करोड़ स्मार्ट
कार्ड जारी किए
जा चुके हैं। ''
नई
पहल
श्रमिकों के लिए
मई दिवस न
केवल ऐतिहासिक रूप
से महत्वपूर्ण है
बल्कि यह मजूदरों
के लिए सभी
प्रकार के शोषण
और दमन के
खिलाफ संगठित होने
का भी दिन
है।