सरफ़राज़ ख़ान
नई
दिल्ली. रोज़ाना महिलाएं एक से दो ड्रिंक और जो पुरुष दो
से चार ड्रिंक लेते हैं, उनमें मौत का खतरा उल्टा होता है। हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ
इंडिया के अध्यक्ष
डॉ. के के
अग्रवाल के
मुताबिक़ ''स्टैण्डर्ड ड्रिंक'
की परिभाषा भिन्न देशों में अलग-अलग है। अमेरिका में स्टैण्डर्ड ड्रिंक
लगभग 0.5
से 0.6
एफएल ओजेड या 12
से 14
ग्राम शराब है जो 12
औंस बीयर,
पांच औंस वाइन और 80
प्रूफ लिक्वर के 1.5
औंस के बराबर होती है। ब्रिटेन में स्टैंडर्ड पेय के रूप में 8 ग्राम एल्कोहल है,
जबकि जापान में यह 19.75 ग्राम और भारत में 10 ग्राम है।
एल्कोहलिक लीवर डिसीज में द सीरम ब्लड टेस्ट एएसटी (एसजीओटी)
,
एएलटी (एसजीपीटी) और गैम्मग्लुटैमिल ट्रांसफरेस (जीजीटी) असामान्य
होता है। असामान्यता की वजह सीरम एएसटी (एसजीओटी) का एएलटी (एसजीपीटी) की तुलना में
भिन्न होना होता है। आमतौर पर यह औसतन 2.0 होता है और यह
लीवर डिसीज में न के बराबर देखी जाती है।
सीरम एएसटी और एएलटी की उचित मात्रा हमेशा 500
आईयू/एल (और यह 300 आईयू/एल) होती है।
लीवर के जख्मी होने का खतरा तब कहीं ज्यादा बढ़ जाता है जब वायरल या इस्कैमिक
हेपेटाइटिस या एसीटेमिनोफेन या थेरेपी डोज की वजह से ऐसा होता
है।
एल्कोहलिक लीवर डैमेज असिम्प्टोमैटिक फैटी लीवर से लेकर एल्कोहलिक
हेपेटाइटिस तक और ज्वाइंडिस के साथ ही लीवर फेल्योर,
कोग्यूलोपैथी और एन्सीफैलोपैथी के रूप में अंत होता है। जो लोग
पहली बार शराब पीते हैं, उनमें स्थिति तभी गंभीर होती
है, जब जानलेवा लीवर की बीमारी पहले से मौजूद हो। इस
स्थिति में भी कुछ मरीजों में महत्वपूर्ण उल्टाव संभव हो सकता
है।
शराब से लीवर में कई तरह के हिस्टोपैथालॉजिक स्टियोटोसिस लेकर सिरॉसिस
तक बदलाव होते हैं। स्टियोटोसिस,
एल्कोहलिक हेपेटाइटिस और संभावित सिरॉसिस में उल्टाव संभव है।
हेपेटाइटिस सी संक्रमण का प्रचलन 25 से 65 फीसदी में होता है, जो शराब पीने की वजह से
होते हैं जिससे कहीं ज़्यादा समस्या हो सकती है। इन मरीज़ों में कहीं ज़्यादा गंभीर
बीमारी होती है और बचने की संभावना कम हो जाती है साथ ही हेपैटोसेलुलर कार्सिनोमा
का ख़तरा बढ़ जाता है। फैटी लीवर या एल्कोहलिक स्टियोटोसिस बहुत ज्यादा शराब पीने के
कुछ हीं घंटों के अंदर हो सकता है।