स्टार न्यूज़ एजेंसी
नई दिल्ली.देश के अनेक भागों में आज से वर्षा की गतिविधियों में
तेजी होने की संभावना है। भारतीय मौसम विभाग कहना है कि मानूसन की गतिविधि इस महीने
के पहले सप्ताह की तुलना में दूसरे सप्ताह के दौरान कुल मिलाकर धीमी रही है। इसका
मुख्य कारण मानसून दबाव की धुरी का औसत समुद्र तल पर अपनी सामान्य स्थिति के उत्तर
में बढ़ना है और बंगाल की खाड़ी पर वर्षा वाले बादलों का अनुपस्थित होना है। हालांकि दबाव का पूर्वी छोर ऊपरी हवा के चक्रवाती प्रसार के सहयोग से और
रोजमर्रा की घटा बढ़ी से लगभग सामान्य स्थिति में बना रहा। इससे मध्यवर्ती और
निकटवर्ती प्रायद्वीपीय भारत के विभिन्न भागों में व्यापक वर्षा हुई। पहले सप्ताह
के दौरान 36 मौसम
वैज्ञानिक उप डिवीजनों में से 8
डिवीजनों में जरूरत से ज्यादा वर्षा हुई। चार में सामान्य वर्षा
हुई, 19 में कम वर्षा हुई और पांच उप डिवीजनों में बिल्कुल
वर्षा नहीं हुई। बिहार, पूर्वी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ, विदर्भ, आंध्र
प्रदेश, तमिलनाडु और उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम में
पहले सप्ताह के दौरान अच्छी वर्षा हुई।
कुल मिलाकर 15 जुलाई तक इस वर्ष के मानसून के दौरान संचयी वर्षा एलपीए से 14 प्रतिशत कम रहा है। कुल
36 मौसम वैज्ञानिक उप डिविजनों में से 6
डिवीजनों में सामान्य से ज्यादा, 16 में सामान्य और
14 उप डिवीजनों में कम वर्षा हुई
है।
संख्यात्मक मौसमी भविष्यवाणी
के मॉडलों से मानसून दबाव के कल से अपनी सामान्य स्थिति से उत्तर की ओर बढने क़ा पता
चलता है। भविष्यवाणी से यह भी पता चलता है कि उत्तर प्रदेश के ऊपर निचले
क्षोभमंडलीय स्तरों में कल से चक्रवाती
संचरण के बनने के संकेत हैं। पश्चिमी बाधा आज से उत्तर पश्चिमी भारत पर असर डाल
सकती है। तथापि संख्यात्मक मौसमी भविष्यवाणी के मॉडलों से अगले 5 से 7 दिन के दौरान मानूसन के दबाव के बनने के कोई
संकेत नहीं हैं।
अरब सागर पर संकट भूमध्यवर्ती
बहाव के मजबूत होने और बंगाल की खाड़ी पर मानसून दबाव के कम होने से पूर्वी,
मध्यवर्ती और प्रायद्वीपीय भारत पर वर्षा की गतिविधि बढ़ने क़ी
संभावना है।