स्टार न्यूज़ एजेंसी
नई दिल्ली. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज महिलाओं के प्रति कार्यस्थल पर यौन शोषण रोकने संबंधी विधेयक को संसद में पेश करने को मंज़ूरी दी है। इस विधेयक का उद्देश्य संगठित एवं असंगठित एवं निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्रों में महिलाओं का सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराना है।

गौरतलब है कि ये विधेयक सुप्रीम कोर्ट द्वारा विशाखा विरुद्ध राजस्थान सरकार (1997) में स्वीकृत यौन शोषण की परिभाषा का प्रस्ताव करता है। ये विधेयक ना सिर्फ कामकाजी महिलाओं को रक्षा प्रदान करता है बल्कि कार्यक्षेत्र में प्रवेश करने वाली ग्राहक,प्रशिक्षु,दैनिक वेतन कर्मी महिलाओं को भी इसमें शामिल किया गया है। छात्राओं, कॉलेज एवं विश्वविद्यालय की शोधकर्मियों एवं अस्पताल में महिला रोगियों को भी इसमें शामिल किया है। इसके साथ असंगठित क्षेत्र के कार्यस्थल को भी शामिल करने का प्रस्ताव विधेयक में किया गया है।

विधेयक में शिकायतों को दर्ज करने और उन्हें दूर करने के लिए प्रभावी प्रस्ताव भी किये गए हैं। इस विधेयक के तहत प्रत्येक रोजगार प्रदाता को आंतरिक शिकायत समिति का गठन करना होगा। देश में 10 से ज्यादा कर्मियों वाले संस्थानों की छोटी संख्या को ध्यान में रखते हुए आवश्यकता पड़ने पर जिला और उप जिला स्तर पर स्थानीय शिकायत समिति का गठन करने का प्रस्ताव भी विधेयक में किया गया है।

रोजगार प्रदाता जो प्रस्तावित विधेयक को प्रस्तावों को पालन नहीं करेंगे उन पर सजा के साथ 50 हजार रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकेगा। चूंकि शिकायत का निपटारा होने की अवधि तक महिलो को धमकी मिलने या आक्रमकता की संभावना हो सकती है। इसलिए शिकायतकर्ता महिला को अंतरिम राहत के रुप में स्वयं या जिसके विरुद्ध शिकायत दर्ज की गई है का तबादला या कार्य से अवकाश पर जाने का प्रस्ताव किया गया है। शिकायत समिति को 90 दिनों के भीतर जांच पूरी करनी होगी और शिकायत समिति के प्रस्तावों को लागू करने के लिए रोजगार प्रदाता/ जिलाधिकारी को 60 दिनों का समय दिया जाएगा।

विधेयक में असत्य या जानबूझकर की गई शिकायतों के सुरक्षित निपटारे के प्रस्ताव भी किये गए हैं,विधेयक को लागू करने की जिम्मेवारी केंद्र और राज्य सरकारों की होगी। इसके साथ ही केंद्र एवं राज्य सरकारें ये भी सुनिश्चित करेंगी कि रोजगारदाता हर वर्ष दर्ज शिकायतों और उन्हें निपटारें संबंधी रिपोर्ट बनायें।

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