फ़िरदौस ख़ान
अक्टूबर कृषि कार्यों के लिए बहुत अहम महीना है. इस माह में कहीं ख़रीफ़ की पकी फ़सल की कटाई हो रही है, तो कहीं रबी की फ़सल की बुआई की तैयारियां ज़ोरशोर से चल रही हैं. जिन किसानों ने आलू की फ़सल लेने के लिए अगेती क़िस्म की धान उगाई थी. उनकी फ़सलें मंडी पहुंच चुकी हैं. बाक़ी धान की फ़सल या तो पक गई है या माह के आख़िर तक पककर तैयार हो जाएगी. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि धान की जो फ़सल पककर तैयार हो चुकी है, उसकी कटाई कर लेनी चाहिए. दानों में नमी 12 से 14 फ़ीसद रखनी चाहिए, ताकि इसकी वाजिब क़ीमत मिल सके. वक़्त पर बोयी उड़द, मूंग और मक्का की फ़सल की कटाई भी कर लेनी चाहिए.
धान की आवक
अनाज मंडियों में एक अक्टूबर से धान और लेवी चावल की सरकारी ख़रीद शुरू हो गई है. हरियाणा में पीआर धान उगाने वाले किसान इस बार फ़ायदे में रहेंगे, क्योंकि प्रदेश सरकार ने पीआर धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1400 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है, जो पिछले साल के मुक़ाबले 55 रुपये ज़्यादा है. सरकारी ख़रीद एजेंसियां ज़िला खाद्य एवं आपूर्ति विभाग, हैफेड और हरियाणा एग्रो कन्फ़ेड हर साल पीआर धान की ख़रीद करती हैं. एजेंसियां धान की ख़रीद कर मिलिंग के लिए प्राइवेट मिलरों को देती हैं. क़ाबिले-ग़ौर है कि इस बार किसानों ने पीआर धान कम उगाया है, इसलिए किसानों को समर्थन मूल्य से ज़्यादा दाम भी मिल सकते हैं. सितंबर में सरकारी ख़रीद न होने की वजह से किसानों को कम दाम में अपनी फ़सल बेचनी पड़ी. व्यापारियों ने 1200 से 1250 रुपये प्रति क्विंटल धान ख़रीदा. किसानों का कहना है कि आलू की फ़सल लेने के लिए उन्होंने अगेती क़िस्म की धान 6129 लगाई थी. उन्हें इस बात का मलाल है कि सरकारी ख़रीद नीति के कारण उन्हें काफ़ी नुक़सान उठाना पड़ा. उनका कहना है कि धान की आवक को देखते हुए सरकार को धान की सरकारी ख़रीद जल्द शुरू करनी चाहिए, ताकि किसानों को उनकी उपज के सही दाम मिल सकें. छ्त्तीसगढ़ के कई किसानों का कहना है कि उन्हें पिछले सीज़न की उपज के दाम अभी तक नहीं मिले हैं. ऐसी हालत में उन्होंने क़र्ज़ उठाकर नई फ़सल उगाई है. बिलासपुर ज़िले के सैकड़ों किसानों का कहना है कि वे आख़िरी तारीख़ से दो दिन पहले ही अपना धान लेकर मंडी पहुंच गए थे. लेकिन कंप्यूटर में ख़राबी आ जाने के कारण उनका भुगतान नहीं हो पाया. अधिकारी पिछले कई महीनों से उन्हें दफ़्तरों के चक्कर कटवा रहे हैं. अधिकारियों का कहना है कि 15 फ़रवरी को रात में ख़रीद के दौरान कंप्यूटर में आख़िरी दिन की ख़रीदी के लिए लोड किया गया सॉफ्टवेयर लॉक हो गया, जिसकी वजह से भुगतान नहीं हो पाया. दरअसल, पिछले साल का भुगतान नहीं होने की वजह से कई छोटे किसान धान की ठीक तरह से बुआई नहीं कर पाए. पिछले साल लिए गए क़र्ज़ पर भी ब्याज़ दिनोदिन बढ़ रहा है. कई किसानों ने ज़्यादा ब्याज़ पर क़र्ज़ लेकर धान की बुआई की है. किसानों का कहना है कि अगर उनका हिसाब-किताब क़ाग़ज़ों में होता, तो शायद उन्हें भुगतान वक़्त पर मिल जाता. लेकिन कंप्यूटर की ख़राबी और अधिकारियों की लापरवाही की वजह से उन्हें और उनके परिवार को बहुत परेशानियां उठानी पड़ रही हैं.

उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव खाद्य एवं रसद बीएम मीना ने किसानों को फ़सल की सही क़ीमत दिलवाने और बिचौलियों के ज़रिये धान की ख़रीद रोकने के लिए कारगर क़दम उठाने को कहा है. अधिकारियों का कहना है कि धान ख़रीद के लिए सभी ज़रूरी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. संबंधित अधिकारियों को ज़रूरी निर्देश दिए गए हैं, ताकि किसानों को किसी तरह की परेशानी न हो. उन्होंने बताया कि तय नियमानुसार 17 फ़ीसद तक नमी वाले धान की ही ख़रीद होगी. इसलिए किसानों को चाहिए कि वे अपने धान को पूरी तरह से सुखा कर मंडी में लाएं. अनाज मंडियों में पेयजल, बिजली, साफ़-सफ़ाई, सड़कों की मरम्मत, बोरियों का प्रबंध, धान की लदाई व उठान, गोदामों की व्यवस्था, धान की ख़रीद और भुगतान आदि के लिए अलग-अलग अधिकारियों एवं एजेंसियों को तैनात किया गया है.
बुआई
अक्टूबर के पहले पखवाड़े में सरसों की बुआई करनी चाहिए. माह के दूसरे पखवाड़े में गेहूं चना, मटर, मसूर बो लेना चाहिए. माह के तीसरे सप्ताह तक गन्ना की बुआई भी कर लेनी चाहिए. अगर किसानों को खेतीबाड़ी की आधुनिक जानकारी दी जाए, तो वह कम ख़र्च में अधिक से अधिक पैदावार हासिल कर सकते हैं. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि फ़सलों के जीवनकाल में विभिन्न रोगों और कीटों का प्रकोप होन से फ़सल का स्वास्थ्य, मात्रा और गुणवत्ता प्रभावित होती है. इसकी रोकथाम के लिए बिजाई से पहले बीज को उपचारित कर किसान अपनी फ़सल की रक्षा कर सकते हैं. बीज जनित रोगों की रोकथाम के निए वैज्ञानिक व सिफ़ारिशी तरीक़े से बीजोपचार किया जाना चाहिए. हिसार स्थित चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विभाग के आरके मलिक के मुताबिक़ बिजाई का समय गेहूं की उत्पादकता को प्रभावित करता है. राज्य के सिंचित इलाक़ों में, जहां पर अधिक उपज देने वाली बौनी क़िस्मों की बिजाई की जाती है, वहां गेहूं की बिजाई का वक़्त 15 अक्टूबर से 15 नवंबर है. बारानी हालत में सी-306 और डब्ल्यूएच 533 क़िस्मों की बिजाई अक्टूबर के अंतिम सप्ताह और नवंबर के पहले सप्ताह में कर लेनी चाहिए. गेहूं की अगेती व समय की बिजाई इसलिए अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि फ़सल पकते वक़्त मार्च व अप्रैल में होने वाला अधिक तापमान दानों को प्रभावित न कर पाए. पछेती हालत में गेहूं की बिजाई दिसंबर के तीसरे सप्ताह तक की जा सकती है, लेकिन इसके बाद गेहूं की बिजाई फ़ायदेमंद नहीं होती. गेहूं की पछेती बिजाई के लिए पछेती क़िस्में ही बोनी चाहिए, जैसे यूपी-2338, डब्ल्यू एच-पी बी डब्ल्यू-373 व राज-3765. कभी भी अगेती क़िस्मों की बिजाई पछेती नहीं करनी चाहिए, क्योंकि अगेती क़िस्मों पर पछेते हालात में जलवायु का प्रतिकूल असर पड़ता है और पैदावार में कमी हो सकती है. इसलिए अगेती बिजाई के लिए हरसंभव प्रयास किया जाना चाहिए, ताकि अधिक से अधिक पैदावार ली जा सके. हिसार स्थित चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विभाग के ओपी लठवाल के मुताबिक़ गेहूं की बिजाई हमेशा बीज व खाद ड्रिल से करनी चाहिए, ताकि बीज व खाद सही गहराई पर डालकर पूरा फ़ायदा दे सकें. सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल के फालों की दूरी 20 सेंटीमीटर रखें, जबकि पछेती बिजाई के लिए यह दूरी 18 सेंटीमीटर रखकर बीज को 5-6 सेंटीमीटर गहरा बोना चाहिए.

इस माह आलू, गोभी, टमाटर, मूली, गाजर और शलजम आदि की बुवाई भी कर लेनी चाहिए. आलू की बुआई के लिए अक्टूबर का दूसरा पखवाड़ा अच्छा वक़्त है, क्योंकि जिन स्थानों पर दिसंबर के आख़िर में या जनवरी के पहले हफ़्ते में पाला पड़ता है, वहां आलू को बढ़ने के लिए पूरा वक़्त मिल जाता है. आलू अच्छी जल निकास वाली बलूई दोमट मिट्टी में ही लगाने चाहिए. खेत में पूर्व से पश्चिम की दिशा में मेंड 5-6 सेंटीमाटर की दूरी पर बनाएं और बीज को मेंड की उत्तरी ढलान पर 20-25 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाना चाहिए.
आख़िर में...
गेहूं और जौ की नई उन्नत क़िस्म विकसित
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विशेषज्ञों ने गेहूं की डब्ल्यूएच 1142 और जौ की बीएच 959 नामक दो नई उन्नत क़िस्में विकसित की हैं. जबलपुर स्थित जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय में हुई अखिल भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधानकर्ताओं की बैठक में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक डॊ. एसके दत्ता ने इसकी पुष्टि की है. डॊ. एसके दत्ता की अध्यक्षता वाली केंद्रीय पौध क़िस्म पहचान कमेटी का मानना है कि विश्वविद्यालय में विकसित गेहूं की डब्ल्यूएच 1142 क़िस्म देश के उत्तर-पश्चिमी समतल क्षेत्रों पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, जम्मू, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के तराई वाले क्षेत्रों में समय पर बिजाई तथा कम सिंचाई जल परिस्थिति में खेती के लिए अच्छी है.  इसी तरह कमेटी ने जौ की बीएच 959 क़िस्म की सेंट्रल जोन में आने वाले मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात और राजस्थान के कोटा उदयपुर मंडल में बिजाई के लिए सही बताया है. कृषि विश्वविद्यालय कुलपति डॊ. केएस खोखर के मुताबिक़ इससे पहले विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई अमेरिकन कपास की एच1316 व एच1353 क़िस्मों की देश के केंद्रीय जोन में बिजाई के लिए पहचान की जा चुकी है. विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. एसएस सिवाच का कहना है कि गेहूं की डब्ल्यूएच 1142 क़िस्म की उत्तर-पश्चिमी जोन में 48.1 क्विंटल प्रति हैक्टेयर औसत पैदावार दर्ज की गई है. यह डब्ल्यूएच 1080, एचडी 3043 तथा पीबीडब्ल्यू 644 क़िस्मों के मुक़ाबले 7.9 फ़ीसद, 4.8 फ़ीसद 5.3 फ़ीसद अधिक है. इसमें प्रोटीन, लोहा जस्ता की मात्रा 12.1 फ़ीसद, 36.4 पीपीएम 33.7 पीपीएम है. इन क़िस्मों को विकसित करने में वैज्ञानिक डॊ. एसआर वर्मा, डॊ. एएस रेडू, डॊ. एसके सेठी, डॊ. एसएस ढांडा, डॊ. आईएस पंवार, डॊ. ओपी बिश्नोई, डॊ. एसएस कड़वासरा, डॊ. आरपी सहारण, डॊ. शशि मदान, डॊ. रेणु मुंजाल, डॊ. आरएस कंवर, डॊ. भगत सिंह, डॊ. विक्रम सिंह, डॊ. आरएएस लांबा, डॊ. एसएस गरख, डॊ. वाईपीएस सोलंकी, डॊ. केडी सहरावत, डॊ. आरएस बेनीवाल और डॊ. योगेंद्र कुमार का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. 


أنا أحب محم صَلَّى ٱللّٰهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ

أنا أحب محم صَلَّى ٱللّٰهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ
I Love Muhammad Sallallahu Alaihi Wasallam

फ़िरदौस ख़ान का फ़हम अल क़ुरआन पढ़ने के लिए तस्वीर पर क्लिक करें

या हुसैन

या हुसैन

फ़िरदौस ख़ान की क़लम से

Star Web Media

सत्तार अहमद ख़ान

सत्तार अहमद ख़ान
संस्थापक- स्टार न्यूज़ एजेंसी

ई-अख़बार पढ़ें

ब्लॉग

  • नजूमी... - कुछ अरसे पहले की बात है... हमें एक नजूमी मिला, जिसकी बातों में सहर था... उसके बात करने का अंदाज़ बहुत दिलकश था... कुछ ऐसा कि कोई परेशान हाल शख़्स उससे बा...
  • कटा फटा दरूद मत पढ़ो - *डॉ. बहार चिश्ती नियामतपुरी *रसूले-करीमص अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि मेरे पास कटा फटा दरूद मत भेजो। इस हदीसे-मुबारक का मतलब कि तुम कटा फटा यानी कटा उसे क...
  • Dr. Firdaus Khan - Dr. Firdaus Khan is an Islamic scholar, poetess, author, essayist, journalist, editor and translator. She is called the princess of the island of the wo...
  • میرے محبوب - بزرگروں سے سناہے کہ شاعروں کی بخشش نہیں ہوتی وجہ، وہ اپنے محبوب کو خدا بنا دیتے ہیں اور اسلام میں اللہ کے برابر کسی کو رکھنا شِرک یعنی ایسا گناہ مانا جات...
  • इंदिरा गांधी हिम्मत और कामयाबी की दास्तां - *डॉ. फ़िरदौस ख़ान* ’लौह महिला’ के नाम से मशहूर इंदिरा गांधी न सिर्फ़ भारतीय राजनीति पर छाई रहीं, बल्कि विश्व राजनीति के क्षितिज पर भी सूरज की तरह चमकीं. उनकी ...
  • 25 सूरह अल फ़ुरक़ान - सूरह अल फ़ुरक़ान मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 77 आयतें हैं. *अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है*1. वह अल्लाह बड़ा ही बाबरकत है, जिसने हक़ ...
  • ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ - ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ ਕਿਤੋਂ ਕਬੱਰਾਂ ਵਿਚੋਂ ਬੋਲ ਤੇ ਅੱਜ ਕਿਤਾਬੇ-ਇਸ਼ਕ ਦਾ ਕੋਈ ਅਗਲਾ ਵਰਕਾ ਫੋਲ ਇਕ ਰੋਈ ਸੀ ਧੀ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਤੂੰ ਲਿਖ ਲਿਖ ਮਾਰੇ ਵੈਨ ਅੱਜ ਲੱਖਾਂ ਧੀਆਂ ਰੋਂਦੀਆਂ ਤ...

एक झलक

Followers

Search

Subscribe via email

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

साभार

इसमें शामिल ज़्यादातर तस्वीरें गूगल से साभार ली गई हैं