फ़िरदौस ख़ान
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ मोर्चा खोला.  केंद्र सरकार के भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के ख़िलाफ़ कांग्रेस की नई दिल्ली के रामलीला मैदान में हुई किसान खेत मज़दूर रैली को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने किसानों के मुद्दे उठाए. उन्होंने ओडिशा के आदिवासियों का मुद्दा उठाया, विदर्भ में सूखा पीड़ित किसानों की बात की, किसानों के आत्महत्या के मामले को उठाया. उन्होंने
उद्योगपतियों की मदद से प्रधानमंत्री की जीत और फिर उद्योगपतियों को फ़ायदा पहुंचाने वाली सरकार की नीतियों का ज़िक्र किया.
उन्होंने कहा, ''2013 में हमारी यूपीए सरकार जो भूमि विधेयक लाई थी, उसमें संशोधन कर किसानों से जबरन ज़मीन लेने की कोशिश की जा रही है. आईटी, इंडस्ट्री से पहले किसानों ने नींव रखी, उसी नींव पर सबकुछ बना है. लेकिन पीएम को देश की शक्ति समझ में नहीं आ रही है.
उन्होंने कहा, आज देश के लोगों को लग रहा है कि ये सरकार ग़रीबों की नहीं, बल्कि उद्योगपतियों की है. किसान सोता है तो उसे मालूम नहीं होता कि कल उसके साथ क्या होने वाला है, कब उसकी ज़मीन छिनने वाली है.

विदर्भ के किसानों का मुद्दा उठाते हुए उन्होंने कहा, मैं विदर्भ में सूखे के बाद के हालात का जायज़ा लेने गया था. वहां मैंने ज़हर की वो बोतल देखी, जिसे पीकर किसान ने आत्महत्या की थी. उसकी बीवी वहां थी, बच्चे वहां थे, लेकिन उनका भविष्य वहां नहीं था. समर्थन मूल्य के बारे में उन्होंने कहा, हमने गेहूं का समर्थन मूल्य पांच सौ से बढ़ाकर चौदह सौ रुपये किया था. गन्ने का समर्थन मूल्य भी बढ़ाया था. किसानों का 70 हज़ार करोड़ रुपए कर्ज़ माफ़ किया और सस्ती दरों पर अधिक कर्ज़ दिलाया. मज़दूरों के लिए मनरेगा लेकर आए. उन्होंने कहा, मोदी ने कहा कि मैं कचरा साफ़ कर रहा हूं. उन्हें हिंदुस्तान के लोगों की शक्ति पसंद नहीं आती. किसान-मज़दूर जो ख़ून पसीना बहाते हैं, वो उन्हें दिखाई नहीं देता. जो शब्द उन्होंने इस्तेमाल किए वो ना मोदी जी को शोभा देते हैं और ना ही प्रधानमंत्री के पद को. भूमि अधिग्रहण विधेयक पर उन्होंने कहा, हमने दो साल की मेहनत के बाद भूमि अधिग्रहण बिल पास किया था. बीजेपी ने भी संसद में मेज़ें थपथपाई थीं. तो अब बीजेपी क्यों बदल गई है. क्यों ऑर्डिनेंस से बिल ला रही है, लोकसभा-राज्यसभा से नहीं. अब उन्होंने बिल से कंसेट क्लॉज़ हटा दिया है, पांच साल के भीतर ज़मीन इस्तेमाल करने की शर्त भी हटा दी है. दरअसल वे आपकी ज़मीन ख़रीदकर आपको बीच में छोड़ देना चाहते हैं. खाद सब्सिडी का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा, बीजेपी सरकार में एमएसपी वहीं पड़ी है. खाद सब्सिडी कम हुई. हरियाणा में किसानों पर लाठीचार्ज हुआ. कृषि बजट कम हुआ. किसानों की फसलें मंडियों में पड़ी है. बहाने बना रहे हैं, लेकिन फ़सलें नहीं ख़रीद रहे हैं. वो एक ओर से किसान को कमज़ोर कर रहे हैं और दूसरी ओर उनकी ज़मीन ख़रीदने की कोशिश कर रहे हैं. किसानों को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा, आपको एक बात समझनी है, जिसे आप ज़मीन मानते हैं, वो आपकी मां है. आपकी ज़मीन का दाम अगले पांच-दस सालों में सोने के दाम से ज़्यादा होगा. आपको अपनी ज़मीन बचानी है, ताक़ि ये आपके काम आए.

केंद्र सरकार की उद्योगपतियों को फ़ायदा पहुंचाने की नीतियों का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा, मोदी ने चुनाव जीतने के लिए करोड़ों रुपये का क़र्ज़ लिया है. उसी क़र्ज़ के आधार पर उन्होंने चुनाव जीता और अब क़र्ज़ देने वालों को ख़ुश करने में लगे हुए हैं. गुजरात में कुछ उद्योगपतियों ने मोदी को मदद की और उन्हीं के बल पर वह चुनाव जीतने में सफ़ल रहे. उन लोगों को वह गुजरात में फ़ायदा पहुंचा चुके हैं और अब देश भर में फ़ायदा पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं. आपकी ज़मीन उद्योगपतियों को देकर उन्हें ये क़र्ज़ चुकाना है. वो चाहते हैं कि किसान को सही दाम ना मिले, उसकी फ़सल को पानी ना मिले, खाद ना मिले. किसान अपने बल पर खड़ा ना हो सके, किसान टूट जाए और फिर हम उसकी ज़मीन ख़रीद कर उद्योगपतियों को दे दें. मोदी जी का मॉडल है नींव को कमज़ोर करो, सीढ़ी से इमारत पर चढ़ो, इमारत को चमकाओ उस पर रंग लगाओ और पूरी दुनिया को दिखाओ कि देखो भैया मैंने इमारत चमका दी है. भले ही नींव कमज़ोर हो जाए. किसान इस देश की नींव है. उन्होंने कहा, ये देश किसानों और मज़दूरों का देश है. प्रगति की ज़रूरत है, विकास की ज़रूरत है, मेक इन इंडिया की ज़रूरत है, लेकिन किसानों की भी ज़रूरत है, किसानों के बच्चों की पढ़ाई की भी ज़रूरत है. उनके भविष्य की भी ज़रूरत है. हम ऐसा हिंदुस्तान नहीं चाहते हैं जहां चुनिंदा लोग आगे बढ़ जाएं और बाक़ी सब पीछे रह जाएं. हम चाहते हैं सब आगे बढ़ें.

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी किसान महारैली को संबोधित करते हुए केंद्र सरकार सरकार पर आरोप लगाया कि वह देश के किसानों से नहीं अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से गेंहूं ख़रीदने का करार कर रही है. उन्होंने कहा कि मोदी किसान और मजदूर विरोधी है. सोनिया ने कहा, इस सरकार ने एक बार भी न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं बढ़ाया. प्रमुख कृषि उत्पादों की क़ीमत में लगातार कमी आ रही है. उन्होंने किसानों की भारी संख्या में रैली में मौजूदगी के प्रति आभार जताते हुए कहा, आपके यहां आने से हमें प्रेरणा मिली है. हम यहां इसलिए इकट्ठा हुए हैं, ताकि सरकार को संदेश दे सकें कि अब बहुत हो चुका. देश के किसान, मज़दूर और ग़रीब अब मोदी के चाल को समझ चुके हैं. हमारी सरकार में एमएसपी में बढ़ोतरी की जाती है. किसानों की फ़सल को ख़रीद कर उसे प्रोत्साहित करते थे, लेकिन मोदी सरकार इस तरफ़ ध्यान नहीं दे रही.
एक तरफ़ मौसम की ख़राबी से किसानों को नुक़सान हुआ, तो दूसरी तरफ़ केंद्र सरकार की तरफ़ से जो राहत की घोषणाएं की जा रही हैं, वे ना के बराबर हैं. यह जले पर नमक छिड़कने के बराबर है. सिंतबर 2013 में हमारी सरकार भूमि अधिग्रहण पर एक क़ानून लेकर आई, तो इसमें भाजपा भी शामिल थी लेकिन अब इसे षड़यंत्र बताया जा रहा है. आपने क़ानून में जैसे बदलाव किए हैं, वे वह किसानों के ख़िलाफ़ हैं.

सोनिया गांधी ने कहा, सरकार यह नहीं देख रही कि आप ज़मीन बेचना चाहते हैं या नहीं. इससे उसे कुछ लेना देना नहीं है. औद्योगिक कॉरिडर बनाने के लिए उसके एक किलोमीटर के दायरे में भी अधिग्रहण किया जाना है, जिससे किसानों को नुक़सान होगा और उद्योगपतियों को फ़ायदा होगा. हमने भूमि अधिग्रहण क़ानून उनकी सहमति से बनाया था. मोदी ने ही सबका साथ और सबका विकास की बात कही थी, लेकिन अब मुकर रहे हैं. हमने भाजपा सरकार की नीतियों के विरोध में 14 दलों के साथ मिलकर राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा और आपके हितों की रक्षा की बात कही. इन 10 महीनों में क्या हुआ. पिछले एक साल में धान, कपास, आलू के मूल्य में गिरावट आ चुकी है.  गन्ना किसानों का बक़ाया नहीं मिल रहा है. इतना ही नहीं यूरिया की भी कमी हो गई है और कालाबाज़ारी हो रही है. खाद्य पदार्थों की क़ीमतें बढ़ गई हैं. इन्ही कारणों से किसान क़र्ज़ के जाल में फंसे हैं. कहां गए वे लोग, जो किसानों के हितों की बात करते थे. इनकी कथनी और करनी में बड़ा अंतर है. दिल में कुछ और ज़ुबान पर कुछ. हमारी मनरेगा, खाद्य सुरक्षा, सिंचाई, शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण योजनाओं की राशि में भारी कमी की जा रही है. इससे ग़रीबों पर बूरा असर पड़ेगा. भाजपा सरकार ने ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका से गेहूं ख़रीदा,  देश के किसानों से नहीं. उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक रामलीला मैदान से हमें एक नई उर्जा मिली है. इसी ऊर्जा के साथ हम आपके हितों के लिए संघर्ष करेंगे.  हम सत्ता से बाहर भले ही हो गए, लेकिन हमारी कोशिशों में कोई कमी नहीं आएगी. किसान की आवाज़ ना दबी और ना दबेगी.

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी रैली को संबोधित करते हुए केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि पीएम ने किसानों को सब्ज़बाग़ दिखाया. केंद्र सरकार की किसान विरोधियों नीतियों का मुक़ाबला करने के लिए हम यहां इकट्ठा हुए हैं, हम लोग ज़रूर कामयाब होंगे. उन्होंने कहा कि पीएम जाकर कहते थे हम किसानों की फ़सलों का उचित मूल्य देंगे, लेकिन हक़ीक़त में गेंहू चावल, गन्ना कपास सबकी क़ीमतें गिर रही हैं. केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए पूर्व पीएम ने कहा कि मोदी सरकार का लैंड बिल किसान विरोधी है. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार का बिल किसानों के हित में था, लेकिन ये बिल किसानों के विरोध में हैं. उन्होंने कहा कि फ़सलें बर्बाद हो रही हैं और सरकार को किसानों की परवाह नहीं है. हम केंद्र सरकार को ये बिल किसी भी कीमत पर पास नहीं होने देंगे. उन्होंने कहा कि ये बिल देखकर मोदी सरकार की असलियत का पता चल गया है. भाजपा सरकार में किसानों की दुर्दशा हो रही है.

केंद्र सरकार के भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के ख़िलाफ़ कांग्रेस की नई दिल्ली के रामलीला मैदान में हुई किसान खेत मज़दूर रैली बेहद कामयाब रही.  चिलचिलाती धूप के बावजूद किसानों, खेत मज़दूरों और लोगों ने इसमें बढ़ चढ़कर शिरकत की. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी तक़रीबन 12 बजे मंच पर आए, जबकि रैली में हिस्सा लेने वाले लोगों के आने का सिलसिला सुबह से ही शुरू हो गया था. हालांकि गर्मी और धूप के मद्देनज़र रामलीला मैदान में शामियाना लगाया गया था, लेकिन इसके बावजूद गर्मी से लोग बेहाल रहे, लेकिन उनका जोश बरक़रार रहा. सोनिया गांधी, राहुल गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को मंच पर प्रतीक स्वरूप हल का प्रतिरूप भेंट किया गया. रैली में दिल्ली के अलावा राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब तथा अन्य प्रदेशों के लोग शामिल हुए. दरअसल, किसानों को अहसास होने लगा है कि कांग्रेस ही उनके हितों की रक्षा कर सकती है.

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