प्रसून लतांत
नई दिल्ली। गांधीजन देश की राष्ट्रीय राजधानी सहित विभिन्न राज्यों में सांप्रदायिकता के खिलाफ और महात्मा गांधी के बताए रास्ते पर सामाजिक समता, आर्थिक बराबरी और लोकतंत्र को मजबूत और विकसित करने के लिए अपने महाअभियान की शुरूआत 30 जनवरी से करने जा रहे हैं। तीस जनवरी 1948 को गांधी जी ने सांप्रदायिकता के खिलाफ शहादत दी थी। आज से 70 साल पहले महात्मा गांधी की जिस निर्ममता से हत्या कर दी गई थी उसे एक बड़ी भूल मानते हुए इस बार गांधीजन और उनकी संस्था एवं संगठन तीस जनवरी को 'प्रायश्चित और संकल्प दिवस’ के रूप में मनाएंगे। इसी के साथ उनकी ओर से गांधीजी की डेढ़ सौवीं जयंती 'गांधी 150’ के नाम से मनाए जाने वाले महा अभियान की औपचारिक शुरूआत भी हो जाएगी। वे इस मौके पर हरेक तरह की हिंसा का विरोध करते हुए यह संकल्प भी लेंगे कि हम जाति, धर्म और संप्रदाय जैसी संकीर्णताओं से खुद भी बचेंगे और समाज को भी बचाएंगे। साथ ही ऐसी प्रवृत्तियों के खिलाफ आवाज उठाएंगे। वे मौजूदा विकास और बेइंसाफी के खिलाफ सामाजिक समता, आर्थिक बराबरी और लोकतंत्र को मजबूत बनाने व विकसित करने की परंपरा और व्यवस्था की हिमायत करेंगे और उसे साकार करने के प्रयासों को भी अंजाम देंगे।
गांधी विचारों की देश की सर्वोच्च संस्थाओं गांधी स्मारक निधि, राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय, कस्तूरबा राष्ट्रीय स्मारक और गांधी शांति प्रतिष्ठान सहित सैंकड़ों संस्थाओं और संगठनों की ओर से 'गांधी 150’ महाअभियान की विधिवत शुरूआत 2 अक्टूबर 2018 से होगी। लेकिन गांधीजी के शहादत दिवस पर इस महाअभियान की औपचारिक घोषणा की जाएगी। देश के अनेक स्थानों पर तीस जनवरी को एक जगह लोग जमा होंगे और प्रायश्चित व संकल्प दिवस के रूप में मनाएंगे। इस मौके पर सबसे पहले 5.17 से कार्यक्रम शुरू होगा, क्योंकि 5.17 पर ही गांधी जी को गोली मारी गई थी। सर्वधर्म प्रार्थना होगी इसके बाद गांधीजन संकल्प लेंगे। इसके बाद 5.17 नाम से गांधी मार्ग के स्व. संपादक अनुपम मिश्र निर्मित फिल्म दिखाई जाएगी। इस फिल्म में 5.17 पर बिड़ला हाऊस दिल्ली में क्या घटना घटी थी उसका प्रमाणिक विवरण है। इस फिल्म की डीवीडी और सीडी देश भर में पहुंचा दी गई है। पिछले दिनों दिल्ली में 'गांधी 150’ महाअभियान की संरचना के लिए देश भर से लोग जुटे थे। उन्होंने 2 अक्टूबर 2018 से 2 अक्टूबर 2019 तक चलने वाले विभिन्न कार्यक्रमों की रूपरेखा तय कर ली है।
गांधीजी की रणनीति के मुताबिक 'गांधी 150’ का सांगठनिक स्वरूप बनाया गया है। देश के विभिन्न राज्यों में गांधीवादी संस्थाओं, संगठनों के साथ आम लोग भी इस साल दो अक्टूबर से शुरू होने वाले महाअभियान से जुड़ रहे हैं। विभिन्न विश्वविघालयों के विघार्थी भी साल भर अनेक कार्यक्रमों से युवाओं को जोड़ेंगे। 30 जनवरी को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गांधी शांति प्रतिष्ठान से एक मौन जुलूस राजघाट तक निकलेगा जो शाम को 5.17 पर गांधी स्मारक निधि परिसर में एक सभा में तब्दील हो जाएगा। इसके पहले गांधी शांति प्रतिष्ठान में पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी 'गांधी कौन’ पर वार्षिक व्याख्यान देंगे। गांधी स्मारक निधि परिसर में जैसी सभा होगी वैसी ही सभा सभी प्रांतीय संगठनों के जरिए आयोजित की जाएगी। गांधीजन महसूस कर रहे हैं देश में महात्मा गांधी के खिलाफ खासकर सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार किया जा रहा है और इस पर चर्चा करने की जरूरत ही नहीं समझी जा रही है। उनको यकीन है गांधी एक खास तरह की विचारधारा है जो अंतिमजन के उद्धार के साथ सत्य, अहिंसा के आधार पर सत्याग्रह के लिए प्रेरित करता है। गांधीजी असहमतियों का भी सम्मान करते थे और आज असहमति की आवाज को किसी भी तरह से दबाने की कोशिश की जा रही है। यही सब चिंताएं 'गांधी 150’ के जरिए पूरी तरह सतह पर आएंगी और इनके निराकरण के गांधीवादी उपाय खोजे जाएंगे।
'गांधी 150’ महाअभियान के लिए महात्मा गांधी का एक खास फोटो भी जारी किया गया है, जो देश भर के विभिन्न कार्यक्रमों की पहचान होगा। महाअभियान के लिए नारे भी तय किए गए हैं। इनमें 'महात्मा गांधी अमर रहे’, 'गांधी मरेंगे नहीं वे हमारे दिलों में रहते हैं’, 'एक है माटी एक हैं लोग, हम इंसान हैं हम गांधी जन हैं’ और 'जोड़ो—जोड़ो भारत जोड़ो’ आदि प्रमुख हैं। तीस जनवरी को असम, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड और हरियाणा में भी प्रायश्चित और संकल्प दिवस मनाए जाएंगे। गांधी 150 महाअभियान के दौरान गांधी कार्ड, गांधी टीशर्ट भी बांटे और बेचे जाएंगे। प्रसिद्ध गांधीवादी नारायण भाई की गांधीकथा की सीडी भी प्रदर्शित की जाएगी। महाअभियान के लिए फरवरी तक सभी प्रांतों में समितियों का गठन कर लिया जाएगा। वरिष्ठ गांधीवादी रामचंद्र राही का कहना है कि नागरिकों की पहल से गांधी 150 का यह आयोजन ऐतिहासिक बन जाएगा क्योंकि गांधी को लीलने वाली शक्तियों को समाज की ताकत का अहसास होगा। उनका कहना है कि गांधी 150 के लिए सभी को साथ लेकर चलना है। अनिल नौरिया की इस सलाह को तवज्जो दिया जा रहा है कि इस महाअभियान से दलितों, मुसलमानों और आदिवासियों को भी जोड़ना है और आजादी की लड़ाई में इनके योगदान को सामने लाना है।

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