फ़िरदौस ख़ान
देश में तीन हज़ार सालों से नारियल उगाया जा रहा है. भारत के अलावा लंका, फ़िलीपींस, इंडोनीशिया, मलेशिया और दक्षिण सागर के द्वीपों, अमेरिका के उष्णकटिबंधीय प्रदेशों और प्रशांत महासागर के उष्ण द्वीपों में नारियल का उत्पादन होता है. दुनिया भर में नारियल के उत्पादन में भारत दूसरे स्थान पर है. देश के कई राज्यों की 16 लाख एकड़ भूमि में नारियल की खेती होती है. इनमें केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, असम, अरब सागर, लक्षदीव और बंगाल की खाड़ी के अंडमान एवं निकोबार द्वीप शामिल हैं. बिहार, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी अब नारियल की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है.

दक्षिण भारत के राज्यों केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में भरपूर नारियल होता है.  देश का फ़ीसद नारियल इन्हीं चार दक्षिणी प्रदेशों से मिलता है. नारियल का पेड़ तक़रीबन 80 सौ साल तक ज़िन्दा रहता है. यह सालाना 50 से 100 फल देता है. देश में नारियल की उत्पादकता 830 नारियल प्रति हेक्टेयर है. नारियल की खेती के लिए 100 से 150 सेंटीमीटर वर्षा अच्छी मानी जाती है. जहां का सालाना तापमान परिसर 25 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता हो यानी 20 डिग्री सेल्सियस से नीचे न जाता हो, वह जगह इसकी खेती के लिए सर्वोत्तम है. जहां सूरज की रौशनी में तेज़ी हो और 70 फ़ीसद से ज़्यादा आर्द्रता हो, वहां पर नारियल की खेती नहीं की जा सकती है. नारियल की खेती कई क़िस्म की मिट्टी में का जाती है, लेकिन जल निकास वाली रेतीली दोमट भूमि ख़ासकर समुद्र किनारे की मिट्टी इसके लिए सबसे अच्छी मानी जाती है. अमूमन नारियल की क़िस्में दो तरह की हैं, ऊंची और बौनी. ऊंची क़िस्मों को नारियल के साथ-साथ खोपरा और नारियल तेल के लिए उगाया जाता है, जबकि बौनी क़िस्में सजावटी पौधों के लिए उगाई जाती हैं. इन बौनी क़िस्मों में हरे, पीले और नारंगी रंग के फल लगते हैं. अमूमन इसकी रोपाई मानसून से पहले मई में करना अच्छा रहता है.  जिन इलाक़ों में सिंचाई के पर्याप्त साधन हैं, वहां अप्रैल में रोपण किया जा सकता है. निचले इलाक़ों में सितम्बर में भारी बारिश के मौसम के बीतने पर रोपाई करनी चाहिए.

देश की अर्थव्यवस्था में नारियल क्षेत्र सात हज़ार करोड़ रुपये का योगदान कर रहा है. एक करोड़ से ज़्यादा लोग नारियल से जुड़े रोज़गार में लगे हैं.
देश-विदेश में नारियल की भारी मांग है. नारियल को पवित्र माना जाता है. ये पूजा और कई तरह के धार्मिक कर्मकांडों में भी इस्तेमाल किया जाता हैं. नारियल का पानी पीने के काम में आता है. कच्चे और पक्के दोनों ही तरह के नारियल का मिठाइयों और पकवानों में इस्तेमाल होता है. नारियल के रेशों से गद्दे, थैले और भी कई तरह की चीज़ें बनाई जाती हैं. नारियल से बनी चीज़ों का एक बड़ा बाज़ार है. इनके निर्यात से देश को तक़रीबन 470 करोड़ रुपये की आमदनी होती है.

नारियल की खेती को बढ़ावा देने के लिए अंग्रेज़ी शासन काल यानी साल 1945 में भारतीय केंद्रीय नारियल समिति का गठन किया गया था. तब से इसे प्रोत्साहन देने का काम जारी है. नारियल उत्पादकों को उनकी फ़सल के सही दाम दिलाने के लिए केंद्र सरकार ने साल 2004 में कई योजनाएं शुरू की थीं. इनमें गुणवत्ता रोपण सामग्री का उत्पादन एवं वितरण, नारियल के तहत क्षेत्र विस्तार, उत्पादकता सुधारने के लिए एकीकृत खेती, केंद्रीय क्षेत्र स्कीम, नारियल प्रौद्योगिकी मिशन का कार्यान्वयन,  देश के परम्परागत नारियल उगाने वाले राज्यों में नारियल के बाग़ों की पुन: रोपाई और नवीकरण, सिफ़ारिश की गई पद्धतियों का प्रौद्योगिक प्रदर्शन, बाज़ार संवर्धन और सूचना प्रसार शामिल हैं.  देश में नारियल की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए संकर प्रजातियों की नई क़िस्में ईजाद की जा रही हैं. नारियल की संकर प्रजाति बीएचसी-3 विकसित करना देश के लिए एक बड़ी कामयाबी है. देश में एक दर्जन से ज़्यादा संकर प्रजातियां विकसित की जा चुकी है, जिनसे उत्पादकता में 80 फ़ीसद तक की बढ़ोतरी हुई है.

नारियल विकास बोर्ड (सीबीडी) द्वारा बेरोज़गार लोगों को नारियल और इसकी देखभाल से जुडे विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया जाता है.  इन्हें नारियल मित्र कहा जाता है, जो पौधा-रोपण से लेकर नारियल की खेती के विभिन्न चरणों का ध्यान रखते हैं. यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 17 अगस्त, 2011 में शुरू हुआ था. छह दिन के इस प्रशिक्षण के साथ प्रशिक्षार्थी को दैनिक भत्ता, पेड़ों पर चढ़ने की मशीन और दो पोशाकें मुफ़्त दी जाती हैं. ग़ौरतलब है कि नारियल विकास बोर्ड देश में नारियल की खेती और उद्योग के समेकित विकास के लिए कृषि मंत्रालय के अंतर्गत स्थापित एक सांविधिक निकाय है.

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों पर कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने 2016 सीज़न के लिए खोपरा के न्यूनतम समर्थन मूल्यों (एमएसपी) को अपनी मंज़ूरी दे दी है. यह फ़ैसला कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफ़ारिशों पर आधारित है. सीएसीपी, जो एक विशेषज्ञ निकाय है, एमएसपी के लिए अपनी सिफ़ारिशें पेश करने से पहले उत्पादन से जुड़े विभिन्न संसाधनों जैसे भूमि एवं जल के तर्कसंगत उपयोग को सुनिश्चित करने के अलावा उत्पादन लागत, मांग-आपूर्ति की समग्र स्थिति, घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय मूल्यों, खोपरा को नारियल तेल में परिवर्तित करने की लागत और शेष अर्थव्यवस्था पर मूल्य नीति के असर को भी ध्यान में रखता है.
उचित औसत गुणवत्ता वाले ‘मिलिंग खोपरा’ के न्यूनतम समर्थन मूल्य को 2016 सीज़न के लिए बढ़ाकर प्रति क्विंटल 5950 रुपये कर दिया गया है, जबकि साल 2015 में न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रति क्विंटल 5550 रुपये था. इसी तरह ‘बॉल खोपरा’ के न्यूनतम समर्थन मूल्य को भी 2016 सीज़न के लिए बढ़ाकर प्रति क्विंटल 6240 रुपये कर दिया गया है, जो साल 2015 में प्रति क्विंटल 5830 रुपये था. खोपरा के न्यूनतम समर्थन मूल्य से किसानों को उपयुक्त न्यूनतम मूल्य मिलना सुनिश्चित होने की उम्मीद है. इसी तरह खोपरा के न्यूनतम समर्थन मूल्य से नारियल की खेती में निवेश बढ़ने और इसकी बदौलत उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ने की भी उम्मीद है.
भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नेफ़ेड) और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड (एनसीसीएफ़) नारियल उत्पादक राज्यों में न्यूनतम समर्थन मूल्यों से जुड़े मूल्य समर्थन परिचालन के लिए आगे भी प्रमुख केन्द्रीय एजेंसियों के तौर पर काम करते रहेंगे.


أنا أحب محم صَلَّى ٱللّٰهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ

أنا أحب محم صَلَّى ٱللّٰهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ
I Love Muhammad Sallallahu Alaihi Wasallam

फ़िरदौस ख़ान का फ़हम अल क़ुरआन पढ़ने के लिए तस्वीर पर क्लिक करें

या हुसैन

या हुसैन

फ़िरदौस ख़ान की क़लम से

Star Web Media

सत्तार अहमद ख़ान

सत्तार अहमद ख़ान
संस्थापक- स्टार न्यूज़ एजेंसी

ई-अख़बार पढ़ें

ब्लॉग

  • नजूमी... - कुछ अरसे पहले की बात है... हमें एक नजूमी मिला, जिसकी बातों में सहर था... उसके बात करने का अंदाज़ बहुत दिलकश था... कुछ ऐसा कि कोई परेशान हाल शख़्स उससे बा...
  • कटा फटा दरूद मत पढ़ो - *डॉ. बहार चिश्ती नियामतपुरी *रसूले-करीमص अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि मेरे पास कटा फटा दरूद मत भेजो। इस हदीसे-मुबारक का मतलब कि तुम कटा फटा यानी कटा उसे क...
  • Dr. Firdaus Khan - Dr. Firdaus Khan is an Islamic scholar, poetess, author, essayist, journalist, editor and translator. She is called the princess of the island of the wo...
  • میرے محبوب - بزرگروں سے سناہے کہ شاعروں کی بخشش نہیں ہوتی وجہ، وہ اپنے محبوب کو خدا بنا دیتے ہیں اور اسلام میں اللہ کے برابر کسی کو رکھنا شِرک یعنی ایسا گناہ مانا جات...
  • इंदिरा गांधी हिम्मत और कामयाबी की दास्तां - *डॉ. फ़िरदौस ख़ान* ’लौह महिला’ के नाम से मशहूर इंदिरा गांधी न सिर्फ़ भारतीय राजनीति पर छाई रहीं, बल्कि विश्व राजनीति के क्षितिज पर भी सूरज की तरह चमकीं. उनकी ...
  • 25 सूरह अल फ़ुरक़ान - सूरह अल फ़ुरक़ान मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 77 आयतें हैं. *अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है*1. वह अल्लाह बड़ा ही बाबरकत है, जिसने हक़ ...
  • ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ - ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ ਕਿਤੋਂ ਕਬੱਰਾਂ ਵਿਚੋਂ ਬੋਲ ਤੇ ਅੱਜ ਕਿਤਾਬੇ-ਇਸ਼ਕ ਦਾ ਕੋਈ ਅਗਲਾ ਵਰਕਾ ਫੋਲ ਇਕ ਰੋਈ ਸੀ ਧੀ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਤੂੰ ਲਿਖ ਲਿਖ ਮਾਰੇ ਵੈਨ ਅੱਜ ਲੱਖਾਂ ਧੀਆਂ ਰੋਂਦੀਆਂ ਤ...

एक झलक

Followers

Search

Subscribe via email

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

साभार

इसमें शामिल ज़्यादातर तस्वीरें गूगल से साभार ली गई हैं