विगत वर्ष में कुछ हुए, सपने चकनाचूर।
आगत में आशा करें, नहीं सफलता दूर।।
स्वागत आगत वर्ष का, करने लिए उमंग।
अक्षत, कुंकुम, दीप ले, मन में विपुल तरंग।
आने वाला आयगा, जाने वाला जाय।
स्वागत आगत का करें,कहें विगत को 'बाय'।।
प्रश्न यक्ष के आज तक , कब सुलझे हैं मित्र!
मन में आगत का रखें, शुभागमन का चित्र।।
अंतिम साँसें ले रहा, दो हजार पच्चीस।
खड़ा हुआ है द्वार पर, दो हजार छब्बीस।।
-डॉ. रामस्नेहीलाल शर्मा 'यायावर'
-डॉ. रामस्नेहीलाल शर्मा 'यायावर'
