स्टार न्यूज़ एजेंसी
नई दिल्ली. रेल राज्यमंत्री केएच मुनियप्पा ने कहा है कि रेल भूमि पर अतिक्रमण करने वालों का पुन:स्थापन तथा पुनर्वास यदि व्यावहारिक हो तो संबंधित राज्य सरकारों द्वारा किया जाता है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में, रेलों ने दिल्ली सरकार की पुन:स्थापन तथा पुनर्वास नीति के अनुसार संरक्षा जोन में रेल भूमि पर स्थित 1998 के पहले से अतिक्रमणों के पुन:स्थापन की आंशिक लागत वहन करने की स्वीकृति दी है। 4359 झुग्गियों के पुनर्वास के संबंध में रेल मंत्रालय द्वारा दिल्ली सरकार के पास 11.25 करोड़ रुपए जमा कराए गए हैं। इस समय, रेल भूमि पर रह रहे झुग्गी वालों को हटाने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
आज लोकसभा में एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि रेल के पास 1.13 लाख हेक्टेयर खाली भूमि है । इसमें रेल के अपने विकास कार्यों के लिए चिन्हित भूमि जैसे दोहरीण, आमान परिवर्तन, यार्ड के ढांचे में परिवर्तन ओर यातायात सुविधा कार्यों, फैक्ट्रियों की स्थापना, डीएफसीसीआईएल परियोजना और रेलपथ की सर्विसिंग के लिए अपेक्षित भूमि की संकरी पटटी शामिल है। रेल के निकट भविष्य में परिचालनिक आवश्यकताओं के लिए अनपेक्षित खाली भूमि का वाणिज्यिक विकास सहित वैकल्पिक उपयोग किया जाता है । रेल ने लगभग 4336 एकड़ रेल भूमि की परिमाप वाले 139 स्थलों की पहचान की है जिसकी निकट भविष्य में परिचालनिक उपयोग के लिए जरूरत नहीं है। 133 स्थलों में से, 3744 एकड़ भूमि खाली पड़ी रेल भूमि के वाणिज्यिक विकास के लिए संसद के अधिनियम द्वारा स्थापित प्राधिकरण रेल भूमि विकास प्राधिकरण को सौंपी गई है।