स्टार न्यूज़ एजेंसी
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि लिव-इन रिलेशनशिप और शादी से पहले दो वयस्कों के बीच आपसी सहमति से यौन संबंध कोई अपराध नहीं है.
चीफ जस्टिस केजी बालकृष्णन की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय बेंच ने कल दक्षिण भारतीय अभिनेत्री खुशबू की विशेष अनुमति याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए यह व्यवस्था दी है. गौरतलब है कि दक्षिण भारतीय फिल्म ने अभिनेत्री खुशबू ने सितम्बर 2005 में एक साक्षात्कार में कहा था कि विवाह पूर्व सेक्स में कोई बुराई नहीं है. इस पर सियासी पार्टी पट्टली मक्कल काची (पीएमके) ने अभिनेत्री खुशबू को अदालत की अवमानना करने के आरोप में एक कानूनी नोटिस भेजा था. साथ ही तमिलनाडु के सियासी दलों और महिला संगठनों ने अभिनेत्री के खिलाफ मुहिम छेड़ दी थी और उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था. उनका कहना था कि इस बयान से तमिल संस्कृति का अपमान होता है जिसके लिए अभिनेत्री खुशबू को माफी मांगनी चाहिए. हालांकि खुशबू ने अपने बयान के लिए राष्ट्रीय टीवी पर माफी तो मांग ली थी. बाद में खुशबू ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर अपने खिलाफ दायर 22 आपराधिक मामलों को खारिज करने की मांग की थी, जो उनके बयान को लेकर दायर किए गए थे.
याचिकाकर्ताओं के वकीलों का कहना था कि खुशबू द्वारा शादी से पहले सेक्स को मान्य किए जाने से युवाओं का नैतिक पतन होगा. इस पर बेंच ने पूछा कि क्या आप बता सकते हैं कि उस साक्षात्कार से कितने घर प्रभावित हुए. इसका जवाब न में मिलने पर बेंच ने कहा कि तब आप कैसे कह सकते है कि आप पर गलत असर पड़ा?
अदालत ने कहा कि जब दो वयस्क साथ रहना चाहते हों तो इसमें गलत क्या है? क्या यह कोई अपराध है?’ अदालत ने कहा, यहां तक कि पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान कृष्ण और राधा भी साथ-साथ रहते थे. बेंच ने कहा कि कोई भी कानून लिव-इन रिलेशनशिप और शादी से पहले सेक्स पर पाबंदी नहीं लगा सकता. साथ ही कहा कि साथ रहना जीवन का अधिकार है. संविधान के अनुच्छेद 21 में स्वच्छंदता से जीने को मौलिक अधिकार माना गया है.