कृष्ण राज पाठक
सोरों (उत्तर प्रदेश). महाकवि तुलसी दास की जन्म-भूमि सोरों में सोमवती अमावस्या पर दुनिया भर से आये लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाकर स्नान किया.
यहां भगवान श्री वराह जी ने अपनी देह त्यागी थी, जिसकी दास्तान यहां बना एक कुंड कहता है. यहां की गंगा की एक यह विशेषता भी है कि यहां विसर्जित की जाने वाली अस्थियां तीन दिन के अन्दर अपने आप ही गल जाती हैं. दुनिया की किसी भी नदी में यह विशेषता नहीं है. अपने पितरों और देवताओं को पिंड-दान देकर लोग यहां पुण्य अर्जित करने की इच्छा से आते हैं.
सोमवती अमावस्या पर यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए प्रशासनिक तौर पर किसी किस्म की कोई व्यवस्था नहीं थी, जिससे लाखों श्रद्धालुओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ा.