कल्पना पालखीवाला
प्लास्टिक कचरे से पर्यावरण को पहुंचने वाले खतरों का अध्ययन अनेक समितियों ने किया है। प्लास्टिक थैलों के इस्तेमाल से होने वाली समस्यायें मुख्य रूप से कचरा प्रबंधन प्रणालियों की खामियों के कारण पैदा हुई हैं। अंधाधुंध रसायनों के इस्तेमाल के कारण खुली नालियों का प्रवाह रूकने, भूजल संदूषण आदि जैसी पर्यावरणीय समस्यायें जन्म लेती हैं। प्लास्टिक रसायनों से निर्मित पदार्थ है जिसका इस्तेमाल विश्वभर में पैकेजिंग के लिये होता है, और इसी कारण स्वास्थ्य तथा पर्यावरण के लिये खतरा बना हुआ है। यदि अनुमोदित प्रक्रियाओं और दिशा-निर्देशों के अनुसार प्लास्टिक की रिसाइक्लिंग (पुनर्चक्रण) किया जाए तो पर्यावरण अथवा स्वास्थ्य के लिये ये खतरा नहीं बनेगा।

प्लास्टिक किसे कहते हैं?
प्लास्टिक एक प्रकार का पॉलीमर यानी मोनोमर नाम की दोहराई जाने वाली इकाइयों से युक्त बड़ा अणु है। प्लास्टिक थैलों के मामले में दोहराई जाने वाली इकाइयां एथिलीन की होती हैं। जब एथिलीन के अणु को पॉली एथिलीन बनाने के लिए 'पॉलीमराइज' किया जाता है, वे कार्बन अणुओं की एक लम्बी शृंखला बनाती हैं, जिसमें प्रत्येक कार्बन को हाइड्रोजन के दो परमाणुओं से संयोजित किया जाता है।

प्लास्टिक थैले किससे बने होते हैं?
प्लास्टिक थैले तीन प्रकार के बुनियादी पॉली एथिलीन पॉलीमरों-उच्च घनत्व वाले पॉलीएथिलीन (एचडीपीई),अल्पघनत्व वाले पॉलीएथिलीन (एलडीपीई) अथवा लीनियर अल्प घनत्व वाले पॉलीएथिलीन (एलएलडीपीई) में से किसी एक से बना होता है। किराने वाले थैले आम तौर पर एचडीपीई के बने होते हैं, जबकि ड्राई क्लीनर के थैले एलडीपीई से निर्मित होते हैं। इन पदार्थों के बीच मुख्य अंतर पॉलीमर शृंखला की मुख्य धारा से चलन होने की सीमा पर निर्भर होता है। एचडीपीई और एलएलडीपीई एक रेखीय अविचलित शृंखलाओं से बनी होती है जबकि एलडीपीई शृंखला में विघटन होता है।

क्या प्लास्टिक के थैले स्वास्थ्य के लिये हानिप्रद है?
प्लास्टिक मूल रूप से विषैला या हानिप्रद नहीं होता। परन्तु प्लास्टिक के थैले रंग और रंजक, धातुओं और अन्य तमाम प्रकार के अकार्बनिक रसायनों को मिलाकर बनाए जाते हैं। रंग और रंजक एक प्रकार के औद्योगिक उत्पाद होते हैं जिनका इस्तेमाल प्लास्टिक थैलों को चमकीला रंग देने के लिये किया जाता है। इनमें से कुछ कैंसर को जन्म देने की संभावना से युक्त हैं तो कुछ खाद्य पदार्थों को विषैला बनाने में सक्षम होते हैं। रंजक पदार्थों में कैडमियम जैसी जो भरी धातुएं होती हैं वे फैलकर स्वास्थ्य के लिये खतरा साबित हो सकती हैं।

प्लास्टिसाइजर अल्प अस्थिर प्रकृति का जैविक (कार्बनिक) एस्सटर (अम्ल और अल्कोहल से बना घोल) होता है। वे द्रवों की भांति निथार कर खाद्य पदार्थों में घुस सकते हैं। ये कैंसर पैदा करने की संभावना से युक्त होते हैं।

एंटी आक्सीडेंट और स्टैबिलाइजर अकार्बनिक और कार्बनिक रसायन होते हैं जो निर्माण प्रक्रिया के दौरान तापीय विघटन से रक्षा करते हैं।

कैडमियम और जस्ता जैसी विषैली धातुओं का इस्तेमाल जब प्लास्टिक थैलों के निर्माण में किया जाता है, वे निथार कर खाद्य पदार्थों को विषाक्त बना देती हैं। थोड़ी-थोड़ी मात्रा में कैडमियम के इस्तेमाल से उल्टियां हो सकती हैं और हृदय का आकार बढ सक़ता है। लम्बे समय तक जस्ता के इस्तेमाल से मस्तिष्क के ऊतकों का क्षरण होकर नुकसान पहुंचता है।

प्लास्टिक थैलों से उत्पन्न समस्याएं
प्लास्टिक थैलियों का निपटान यदि सही ढंग से नहीं किया जाता है तो वे जल निकास (नाली) प्रणाली में अपना स्थान बना लेती हैं, जिसके फलस्वरूप नालियों में अवरोध पैदा होकर पर्यावरण को अस्वास्थ्यकर बना देती हैं। इससे जलवाही बीमारियों भी पैदा होती हैं। रि-साइकिल किये गए अथवा रंगीन प्लास्टिक थैलों में कतिपय ऐसे रसायन होते हैं जो निथर कर जमीन में पहुंच जाते हैं और इससे मिट्टी और भूगर्भीय जल विषाक्त बन सकता है। जिन उद्योगों में पर्यावरण की दृष्टि से बेहतर तकनीक वाली रि-साइकिलिंग इकाइयां नहीं लगी होतीं, वे प्रक्रम के दौरान पैदा होने वाले विषैले धुएं से पर्यावरण के लिये समस्याएं पैदा कर सकते हैं। प्लास्टिक की कुछ थैलियों जिनमें बचा हुआ खना पड़ा होता है, अथवा जो अन्य प्रकार के कचरे में जाकर गड-मड हो जाती हैं, उन्हें प्राय: पशु अपना आहार बना लेते हैं, जिसके नतीजे नुकसान दायक हो सकते हैं। चूंकि प्लास्टिक एक ऐसा पदार्थ है जो सहज रूप से मिट्टी में घुल-मिल नहीं सकता और स्वभाव से अप्रभावनीय होता है, उसे यदि मिट्टी में छोड़ दिया जाए तो भूगर्भीय जल की रिचार्जिंग को रोक सकता है। इसके अलावा, प्लास्टिक उत्पादों के गुणों के सुधार के लिये और उनको मिट्टी से घुलनशील बनाने के इरादे से जो रासायनिक पदार्थ और रंग आदि उनमें आमतौर पर मिलाए जाते हैं, वे प्राय: स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालते हैं।

प्लास्टिक कचरा प्रबंधन हेतु कार्य योजनायें
अनेक राज्यों ने तुलनात्मक दृष्टि से मोटे थैलों का उपाय सुझाया है। ठोस कचरे की धारा में इस प्रकार के थैलों का प्रवाह काफी हद तक कम हो सकेगा, क्योंकि कचरा बीनने वाले रिसाइकिलिंग के लिये उनको अन्य कचरे से अलग कर देंगे। पतली प्लास्टिक थैलियों की कोई खास कीमत नहीं मिलती और उनको अलग-थलग करना भी कठिन होता है। यदि प्लास्टिक थैलियों की मोटाई बढा दी जाए, तो इससे वे थोड़े महंगे हो जाएंगे और उनके उपयोग में कुछ कमी आएगी।

प्लास्टिक की थैलियों, पानी की बोतलों और पाउचों को कचरे के तौर पर फैलाना नगरपालिकाओं की कचरा प्रबंधन प्रणाली के लिये एक चुनौती बनी हुई है। अनेक पर्वतीय राज्यों (जम्मू एवं कश्मीर, सिक्किम, पश्चिम बंगाल) ने पर्यटन केन्द्रों पर प्लास्टिक थैलियोंबोतलों के उपयोग को प्रतिबंधित कर दिया है। हिमाचल प्रदेश सरकार ने एक कानून के तहत समूचे राज्य में 15.08.2009 से प्लास्टिक के उपयोग पर पाबंदी लगा दी है।

केन्द्र सरकार ने भी प्लास्टिक कचरे से पर्यावरण को होने वाली हानि का आकलन कराया है। इसके लिये कई समितियां और कार्यबल गठित किये गए, जिनकी रिपोर्ट सरकार के पास है।

पर्यावरण और वन मंत्रालय ने रि-साइकिंल्ड प्लास्टिक मैन्यूफैक्चर ऐंड यूसेज रूल्स, 1999 जारी किया था, जिसे 2003 में, पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1968 के तहत संशोधित किया गया है ताकि प्लास्टिक की थैलियों और डिब्बों का नियमन और प्रबंधन उचित ढंग से किया जा सके। भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने धरती में घुलनशील प्लास्टिक के 10 मानकों के बारे में अधिसूचना जारी की है।

प्लास्टिक के विकल्प
प्लास्टिक थैलियों के विकल्प के रूप में जूट और कपड़े से बनी थैलियों और कागज की थैलियों को लोकप्रिय बनाया जाना चाहिए और इसके लिए कुछ वित्तीय प्रोत्साहन भी दिया जाना चाहिए। यहां, ध्यान देने की बात है कि कागज की थैलियों के निर्माण में पेड़ों की कटाई निहित होती है और उनका उपयोग भी सीमित है। आदर्श रूप से, केवल धरती में घुलनशील प्लास्टिक थैलियों का उपयोग ही किया जाना चाहिये। जैविक दृष्टि से घुलनशील प्लास्टिक के विकास के लिये अनुसंधान कार्य जारी है।


أنا أحب محم صَلَّى ٱللّٰهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ

أنا أحب محم صَلَّى ٱللّٰهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ
I Love Muhammad Sallallahu Alaihi Wasallam

फ़िरदौस ख़ान का फ़हम अल क़ुरआन पढ़ने के लिए तस्वीर पर क्लिक करें

या हुसैन

या हुसैन

फ़िरदौस ख़ान की क़लम से

Star Web Media

सत्तार अहमद ख़ान

सत्तार अहमद ख़ान
संस्थापक- स्टार न्यूज़ एजेंसी

ई-अख़बार पढ़ें

ब्लॉग

  • आज पहली दिसम्बर है... - *डॉ. फ़िरदौस ख़ान* आज पहली दिसम्बर है... दिसम्बर का महीना हमें बहुत पसंद है... क्योंकि इसी माह में क्रिसमस आता है... जिसका हमें सालभर बेसब्री से इंतज़ार रहत...
  • कटा फटा दरूद मत पढ़ो - *डॉ. बहार चिश्ती नियामतपुरी *रसूले-करीमص अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि मेरे पास कटा फटा दरूद मत भेजो। इस हदीसे-मुबारक का मतलब कि तुम कटा फटा यानी कटा उसे क...
  • Dr. Firdaus Khan - Dr. Firdaus Khan is an Islamic scholar, poetess, author, essayist, journalist, editor and translator. She is called the princess of the island of the wo...
  • میرے محبوب - بزرگروں سے سناہے کہ شاعروں کی بخشش نہیں ہوتی وجہ، وہ اپنے محبوب کو خدا بنا دیتے ہیں اور اسلام میں اللہ کے برابر کسی کو رکھنا شِرک یعنی ایسا گناہ مانا جات...
  • आज पहली दिसम्बर है... - *डॉ. फ़िरदौस ख़ान* आज पहली दिसम्बर है... दिसम्बर का महीना हमें बहुत पसंद है... क्योंकि इसी माह में क्रिसमस आता है... जिसका हमें सालभर बेसब्री से इंतज़ार र...
  • 25 सूरह अल फ़ुरक़ान - सूरह अल फ़ुरक़ान मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 77 आयतें हैं. *अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है*1. वह अल्लाह बड़ा ही बाबरकत है, जिसने हक़ ...
  • ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ - ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ ਕਿਤੋਂ ਕਬੱਰਾਂ ਵਿਚੋਂ ਬੋਲ ਤੇ ਅੱਜ ਕਿਤਾਬੇ-ਇਸ਼ਕ ਦਾ ਕੋਈ ਅਗਲਾ ਵਰਕਾ ਫੋਲ ਇਕ ਰੋਈ ਸੀ ਧੀ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਤੂੰ ਲਿਖ ਲਿਖ ਮਾਰੇ ਵੈਨ ਅੱਜ ਲੱਖਾਂ ਧੀਆਂ ਰੋਂਦੀਆਂ ਤ...

एक झलक

Followers

Search

Subscribe via email

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

साभार

इसमें शामिल ज़्यादातर तस्वीरें गूगल से साभार ली गई हैं