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नई दिल्ली. देश के विभिन्न प्रदेशों के अनाथालयों में बच्चों का पालन-पोषण किया जा रहा है. राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों से प्राप्त सूचना के अनुसार अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के दो अनाथालयों में 27 बच्चे, आंध्र प्रदेश के 93 अनाथालयों में 5730, असम के दो अनाथालयों में 15, बिहार के दो अनाथालयों में में 95, छत्तीसगढ़ के एक अनाथालय में 12, चंडीगढ़ के चार अनाथालयों में 405, दिल्ली के 14 अनाथालयों में 1369 , हिमाचल प्रदेश के सात अनाथालयों में 355, मध्य प्रदेश के एक अनाथलय में 33, मेघालय के एक अनाथालय में 10, पंजाब के साथ अनाथालयों में 209, राजस्थान के तीन अनाथालयों में 150, सिक्किम के एक अनाथालय में 65, तमिलनाडु के 27 अनाथालयों में 4210, त्रिपुरा के छह अनाथालयों में 309, उत्तर प्रदेश के 89 अनाथालयों में 3221 और पश्चिम बंगाल के 18 अनाथालयों में 2534 बच्चे रह रहे हैं.

महिला और बाल विकास मंत्रालय में राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने आज लोकसभा में बताया कि राज्य सरकारें/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन स्वयं अथवा स्वैच्छिक संगठनों के सहयोग से अनाथालय स्थापित करते हैं और उन्हें चलाते हैं. अनाथालय और अन्य पूर्त आश्रम (पर्यवेक्षण और नियंत्रण) अधिनियम, 1960 तथा किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2000 एवं संशोधन अधिनियम, 2006 के अनुसार ही ये अनाथालय चलाए जाते हैं.


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