सरफ़राज़ ख़ान
हिसार (हरियाणा). कपास में जीवाणुओं का उपयोग किसानों के लिए आर्थिक तौर पर बहुत लाभकारी साबित हो सकता है। इनके प्रयोग से किसानों को जहां कपास की फसल में कम यूरिया खाद डालने की जरूरत पड़ेगी वहां उन्हे करीब 10 प्रतिशत यादा पैदावार मिलेगी तथा उत्पादन की गुणवत्त्ता में भी सुधार होगा। इसके अतिरिक्त यह जीवाणु कपास की पैदावार को प्रभावित करने वाले जड़गाठ रोग से बचने में भी मदद करेंगे।
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के एक प्रवक्ता ने आज यह जानकारी देते हुए बताया कि किसान अन्य फसलों में टीके के रूप में यह जीवाणु पहले से उपयोग कर रहे हैं तथा इन टीकों के फसल उत्पादन में काफी उत्साहवर्धक नतीजे रहे हैं। विश्वविद्यालय के सूक्ष्म जीव वैज्ञानिकों ने कपास की फसल के लिए इन जीवाणुओं की पहचान की है। यह जिवाणु वातावरण से नाईट्रोजन ग्रहण करके पौधों को उपलब्ध कराने, भूमि में अघुलनशील फास्फेट को घुलनशील फास्फेट में परिवर्तित करने तथा कपास के पौधों को जड़गाठ रोग से बचाने में सक्षम हैं।
विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इन जीवाणुओं को टीके का रूप प्रदान किया है। किसानों के उपयोग के लिए इन टीकों का विश्वविद्यालय में उत्पादन किया जा रहा है। इन टीकों के कारण जहां कपास की पैदावार बढ़ती है वहां कपास की गुणवत्ता के साथ-साथ भूमि की उर्वरा शक्ति में भी सुधार होता है।