आर के सुधामन
उच्च विकास दर नि:संदेह अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी बात है लेकिन भारत जैसे
देश में जहां,
जनसंख्या का एक बहुत बड़ा हिस्सा गरीब है और गांवों में रहता
है, विकास दर तबतक बेमतलब है जब तक उसकी पहुंच ग्रामीण गरीबों
तक न हो।
खाद्य सुरक्षा के तहत सरकार
ने देश के सभी राज्यों में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले हर गरीब परिवार
को महीने में तीन रूपए प्रति किलोग्राम की दर से 25 किलोग्राम
अनाज प्रदान करने का प्रस्ताव रखा है। इन प्रतिबध्दताओं को पूरा करने के लिए श्री मुखर्जी ने कहा कि सामाजिक
क्षेत्र पर व्यय क्रमिक ढंग से बढ़ाकर 1,37,674 करोड़ रुपये कर
दिया गया है जो 2010-11 के कुल योजना व्यय
3,73,000 करोड़ रुपये का 37 प्रतिशत है।
योजना व्यय में पिछले साल के 3,25,000 करोड़ रुपये की तुलना
में 48,000 करोड़ रुपये बढ़ा दिया गया है जो करीब
15 फीसदी बढ़ोतरी है।
एक अनुमान के मुताबिक देश में
37.2 फीसदी लोग गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर करते हैं। लेकिन
ग्रामीण भारत में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों का प्रतिशत
41.8 है जबकि शहरी क्षेत्रों में इनका प्रतिशत
25.7 है। चार साल पूरे कर चुकी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार
गारंटी योजना का विस्तार देश के सभी जिलों में कर दिया गया है और इससे
4.5 करोड़ गरीब परिवारों के लाभान्वित होने की उम्मीद है। इस
योजना के लिए 2010-11 में आवंटन बढाक़र 41,000 करोड़ रुपये
कर दिया गया है।
इस योजना के तहत स्थायी सड़क
जैसी स्थायी परिसंपत्ति के सृजन हेतु श्रमिकों को काम उपलब्ध कराया जाता है और
उन्हें उसका भुगतान किया जाता है। यह निश्चित करने के लिए कि पारिश्रमिक श्रमिकों
तक आसानी से पहुंच जाए, इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है कि आम आदमी तक बैंकिंग सेवा पहुंचे।
श्रमिकों के लिए बीमा सुविधा का भी प्रावधान है।
श्री मुखर्जी ने बजट में
घोषणा की कि 2000 से अधिक की जनसंख्या वाले रिहायशी इलाकों
में सन् 2012 तक बैंकिंग सुविधाएं प्रदान करने का भी निर्णय
लिया गया है। रिजर्व बैंक अपने पहुंच कार्यक्रम के तहत गरीबों और ग्रामीण लोगों को
वित्तीय दायरे में लाने के लिए पहले से ही अनथक प्रयास शुरू कर चुका
है।
वित्त मंत्री ने अपने बजट
भाषण में कहा, लक्षित हितधारकों तक बीमा एवं अन्य सेवाएं
पहुंचाने का प्रस्ताव किया गया है। ये सेवाएं व्यावसायिक पत्रव्यवहार तथा उपयुक्त
प्रौद्योगिकी वाले अन्य माध्यमों से प्रदान की जाएंगी। इस व्यवस्था में
60000 रिहायशी इलाकों को लाभ पहुंचाने का प्रस्ताव है। न्न
बिना बैंक वाले क्षेत्रों तक
बैंकिंग सेवाएं पहुंचाने के लिए 2007-08 में वित्तीय समग्र
कोष एवं वित्तीय समग्र प्रौद्योगिकी कोष का गठन किया गया था। वित्त मंत्री ने
वित्तीय समग्रता में तेजी लाने के लिए बजट में इन दोनों कोषों के लिए
100-100 करोड़ रुपये दिए हैं।
गरीबों की देखभाल के लिए नरेगा और वित्तीय
समग्रता के अलावा सरकार ने ग्रामीण
क्षेत्रों में विकास गतिविधियां तेज कर दी हैं। सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि
वह ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को सर्वोच्च प्राथमिकता देगी। पहले के अपने इसी रुख के तहत वित्त मंत्री ने
ग्रामीण विकास के लिए 66,100 करोड़ रुपये दिए हैं। यदि
10000 करोड़ रुपये के आंतरिक और अतिरिक्त बजटीय सहयोग को भी
जोड़ लिया जाए तो 2010-11 में ग्रामीण विकास के लिए आवंटन
76,100 करोड़ रूपए हो जाता है। बजट में ग्रामीण विकास को
अवसंरचना विकास के आवंटन का 46 प्रतिशत मिला है।
ग्रामीण विकास कार्यक्रम के
तहत जिन परियोजनाओं पर काम होना है उनमें समेकित परती भूमि विकास कार्यक्रम,
सूखा संभावित क्षेत्र कार्यक्रम एवं मरूभूमि विकास कार्यक्रम शामिल
है। इन योजनाओं के तहत ग्रामीण क्षेत्र में शहरी सुविधाओं का प्रावधान (पीयूआरए) भी
शामिल है।
पीयूआरए का लक्ष्य विकास संभावनाओं को गति प्रदान करने के लिए
चिह्नित ग्रामीण क्षेत्रों में भौतिक एवं सामाजिक अवसंरचनाओं में अंतर को दूर करना
है। इससे गांवों से शहरों की ओर पलायन रोकने में मदद
मिलेगी।
ग्रामीण परिवहन, सिंचाई कार्यक्रम एवं अन्य अवसंरचना सुविधाओं के लिए भी आवंटन किए गए
हैं।
वित्त मंत्री ने कमजोर वर्गों
के लिए इंदिरा आवास योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में आवासों के निर्माण के लिए
प्रतिआवास लागत 45000 रुपये से बढाक़र 48500 रुपये कर दी है। इस योजना के तहत 2010-11 में आवंटन
10000 रुपये बढ़ा दिया गया है।
पिछड़े जिलों में अवसंरचना
संबंधी अंतर को दूर करने की रणनीति के तहत पिछड़े क्षेत्र अनुदान आवंटन कोष के लिए आवंटन
2009-10 के 5,800 करोड़ रुपये से
2010-11 में 26 फीसदी बढ़ाकर 7,300 करोड़ रुपये
कर दिया गया।
सूक्ष्म, छोटे और मझौले उद्यमों , जिनमें से ज्यादातर ग्रामीण
एवं अर्ध-शहरी क्षेत्रों में हैं, के लिए आवंटन
2010-11 में बढ़ाकर 2400 करोड़ रुपये कर
दिया गया है। समग्र खादी सुधार कार्यक्रम के लिए 15 करोड़ डालर
का एडीबी त्रऽण भी 300 चिह्नित खादी संस्थानों के पुनरुध्दार
पर व्यय किया जाएगा जिनमें से ज्यादातर संस्थान ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित
हैं।
असंगठित क्षेत्र में सामाजिक
सुरक्षा योजनाओं और कौशल विकास के लिए धन बढ़ा दिया गया है। सच्चाई यह है कि वित्त
मंत्री को वित्तीय समेकन प्रयासों में संतुलन कायम करना बड़ा मुश्किल था और ग्रामीण
कार्यक्रमों के लिए आवंटन बढाना था, उन्होंने बड़ी सूझबूझ के
साथ आवश्यक संसाधन ढूंढकर ग्रामीण विकास को गति दी।
सरकार वित्तीय वर्ष 2009-10 के
6.7 प्रतिशत वित्तीय
घाटे को वित्तीय वर्ष 2010-11 में 5.5
फीसदी पर लाने के लिए कटिबध्द है, ऐसे में व्यय में खास
ज्यादा वृध्दि करने के मामले में वित्त मंत्री के हाथ बंधे हुए हैं। संसाधन जुटाने
की दृष्टि से देखा जाए तो श्री मुखर्जी ने इसके बावजूद अच्छा काम किया क्योंकि वैश्विक मंदी से उबरने के लिए
पिछले दो वर्षों से दिए जा रहे आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज को उन्होंने आंशिक रूप से
वापस लिया है।