महफूज़ अली
हम सब ने अपने दैनिक जीवन में
एक नाम का इस्तेमाल भरपूर सुना है और किया भी है, और वह शब्द
है 'बाबू' . हम लोगों को प्यार से 'बाबू' बुलाते हैं, सरकारी
विभागों में तो अधिकारियों और किरानियों का 'बाबू' शब्द पर्याय ही
है, उनसे जब भी कोई काम निकालना हो
तो 'बाबू-भईया' ही एक ऐसा मन्त्र है जो हर हाल में काम कर जाता है, यहाँ तक के लोग अपने बच्चों का नाम भी प्यार से 'बाबू' रख लेते हैं, अर्थात यदि कोई हमें बाबू के नाम से पुकारे तो हम भारतीय
इससे प्रसन्नतापूर्वक आत्मसात करते हैं और इस 'शब्द' को एक सम्मानित संबोधन मानते हैं.
परन्तु क्या कभी किसी ने ये सोचने की चेष्टा की कि 'बाबू' शब्द कि व्युत्पत्ति कैसे हुई ? तो शायद उत्तर होगा 'नहीं'...साधारणतयः लोग इतनी गहराई में जाने कि नहीं सोचते हैं....हालाँकि यह तय है कि यह एक शब्द है और इसका अविर्भाव कहीं न कहीं से तो हुआ है...आखिर इस शब्द की पैठ हम सब के जीवन में इतनी गहरी भी तो है......तो आइये जानते हैं यह शब्द आखिर अपने आस्तित्व में कहाँ से आया ? जबकि यह शब्द किसी भी शब्द-कोष में उपलब्ध नहीं है...यदि आपको विश्वास नहीं तो आप किसी भी शब्द-कोष में इसकी तलाश कर सकते हैं....और हाँ अगर मिल जाए तो कृपया मुझे भी सूचित कीजियेगा मैं बहुत आभारी रहूँगा.....भूमिका यूँ भी काफी लम्बी हो चुकी है इसलिए अब सीधे मुद्दे पर आते हैं और जानते हैं 'बाबू' शब्द की व्युत्पत्ति का इतिहास....
जैसा की आप सबको अवगत है हमारा भारतवर्ष पूरे 200 वर्षों तक अंग्रेजों के पराधीन रहा....और ज़ाहिर है उस दौरान हिन्दुस्तानियों काफी तिरस्कार और हीनता का सामना करना पड़ा....परतंत्र भारत में भी भारतीय अंग्रेजों के घरों में, दफ्तरों में काम करते ही थे और गोरों के अपमान और हेय दृष्टि का शिकार भी आम तौर पर होते रहते थे......मुझे विश्वास है आप सबने अवश्य ही बबून (baboon) जो बन्दर की ही प्रजाति है, उसका नाम सुना या पढ़ा होगा.....
फिरंगी, हिन्दुस्तानी कार्यकर्ताओं को अपमानित करने के लिए 'बबून' कह कर बुलाया करते थे....हिन्दिस्तानियों को अंग्रेजों की अंग्रेजी एक्सेंट समझ में नहीं आती थी और वो इस गुमाँ में होते थी की साहब लोग उन्हें प्यार से 'बाबू' कह कर बुलाते हैं.....आज भी अंग्रेजो की अंग्रेजी समझने में कठिनाई हो जाती है, अगर STAR MOVIES, HBO और AXN पे SUBTITLES न चलें तो आज भी किसी के समझ में नही आती है....
हाँ...तो बात हो रही थी अंग्रेजो द्वारा हिन्दुस्तानी
कार्यकर्ताओं को अपमानित करने के लिए 'बबून' का संबोधन करना...यह संबोधन और भी ज्यादा उजागर तब होता था
जब विदेशों से मेहमान आये होते थे....यहाँ तक कि फिरंगी, प्रतिष्ठित I.C.S. Officers को भी 'बबून' के नाम से ही संबोधित करके अपना मनोरंजन करते थे.....और
बेचारे हिन्दुस्तानी ...जिन्हें आप सरल ह्रदय कहें या मूर्ख अपने घर जाकर
ख़ुशी-ख़ुशी घरवालों को बताया करते थे कि किस तरह उनके अंग्रेज साहब लोग उन्हें
प्यार से 'बाबू' बुलाते हैं....वो सर्वथा अनभिज्ञ थे कि अंग्रेज सीधे-सीधे
उन्हें 'बबून' संबोधन द्वारा गाली दे रहे हैं.....आज भी बहुत कम
हिन्दुस्तानी होंगे जिन्हें 'बबून' (baboon) बन्दर के बारे में जानकारी होगी....
और इस तरह 'बाबू' शब्द ने धीरे-धीरे भारतीय जन-मानस आपनी छाप बना ली ..और यह शब्द आम जीवन में प्रचलित हो गया....और आज यह शब्द हमारी नस-नस में रच-बस गया है...आज हम किसी भी सरकारी कार्यालय में कार्यरत किरानी या क्लर्क को 'बाबू' कहते हैं......IAS Officers को बाबू कहते हैं ....किसी की खुशामद करनी हो तो 'बाबू' कहते हैं ....वैसे कभी-कभी ऐसा भी लगता है की जिन सरकारी किरानियों या क्लर्कों ने जिन bureaucrats आम हिन्दुस्तानियों का जीना दूभर किया हुआ है उन्हें 'बाबू' कहना ही उचित होगा....क्यूंकि ये अपने नाम के अनुकूल ही तो काम करते हैं......अंग्रेजों ने इनके लिए तो यह नाम सही ही दिया है.....इनके लिए यह स्लोगन भी सही होगा...'हमें गर्व है कि हम बाबू हैं.......'