चांदनी
नई दिल्ली. हृदय बीमारी और मधुमेह के अलावा अत्यधिक वज़न या मोटा होने से घुटने में
दर्द की शिकायत होती है जिससे ऑस्टियोआर्थराइटिस का खतरा रहता है। बॉडी मास इंडेक्स
में हर यूनिट के इजाफे के साथ ही 11
फीसदी की दर से कार्टिलेज में कमी की आशंका होती है।
हार्ट
केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया
के अध्यक्ष डॉ.
के के अग्रवाल के मुताबिक़ ऑस्टियोआर्थराइटिस एक मुख्य मस्क्यूलोस्केलेटल डिसआर्डर है जिससे हमारे
समाज का एक बड़ा हिस्सा स्वास्थ्य सम्बंधी समस्या से जूझ रहा है। आमतौर पर
ऑस्टियोआर्थराइटिस धीरे-धीरे बढ़ता है,
लेकिन कुछ मरीजों में यह बड़ी तेजी से बढ़ता
है।
रेडियोलॉजी के अगस्त अंक में प्रकाशित रिपोर्ट में जिसमें शोधकर्ताओं ने
336
मरीजों को शामिल किया और उन पर ऑस्टियोआर्थराइटिस का अध्ययन किया।
ये सभी अत्यधिक वज़न वाले थे और उनमें ऑस्टियोआर्थराइटिस का खतरा सबसे ज्यादा था
लेकिन इनके घुटनों में कार्टिलेज की कमी बहुत कम या न के बराबर हुई। 30
महीनों तक किये गए अध्ययन में 20.2 फीसदी
मरीजों में देखा गया कि उनमें धीमी गति से कार्टिलेज में कमी हुई और 5.8
फीसदी में तेजी से कार्टिलेज में कमी दर्ज की
गई।
कार्टिलेज में कमी का प्रमुख आशंकित तथ्य पहले से ही कार्टिलेज को हो
चुका नुकसान होता है जो अत्यधिक वज़न या मोटापे,
टीयर्स या कार्टिलेज का अन्य जख्म जो घुटनों के जोड़ों
(मेनिसकस) और गंभीर लीजंस पर एमआरआई में
देखा गया है। अन्य तथ्यों में शामिल हैं इनफ्लेमेशन ऑफ द मेंब्रेन लाइनिंग द
ज्वाइंट्स और जोड़ों में फ्ल्यूड का असामान्य हो जाना।
वज़न में कमी एक महत्वपूर्ण तथ्य है जिससे इस बीमारी के बढ़ने की गति धीमी
हो जाती है। आस्टियोआर्थराइटिस के बढ़ने का खतरा वज़न को काबू पाने का एक अन्य कारण
है। अपने वज़न को बढ़ने न दें। जो लोग अत्यधिक वज़न के हो गए हों या हो रहे
हों,
उनकी हालत बदतर हो जाती है। अपने वज़न पर काबू खुराक और व्यायाम के
जरिये काबू रखें या वेट लॉस सर्जरी को अपनाएं जिससे नी रीप्लेसमेंट सर्जरी की जरूरत
नहीं पड़ेगी।