स्टार न्यूज़ एजेंसी
नई दिल्ली. महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने आज लोक सभा में बताया कि घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण
अधिनियम का क्रियान्वयन राज्यों/यंघ राज्य क्षेत्रों द्वारा किया जाता है।
अधिनियम के क्रियान्वयन हेतु राज्य सरकारों को संरक्षण अधिकारियों को नियुक्त,
सेवा प्रदाताओं को पंजीकृत तथा आश्रय गृहों एवं चिकित्सा सुविधाओं को अधिसूचित
करना होता है। विशेषकर संरक्षण अधिकारियों की नियुक्ति एवं बाल विकास प्रभारी
राज्य मंत्रियों एवं सचिवों की 16-17 जून, 2010 को आयोजित बैठक में की
गई।
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम एक सिविल कानून है, जो घरेलू
हिंसा की पीड़ितों को संरक्षण एवं सहायता प्रदान करता है। इस अधिनियम के अंतर्गत,
पीड़ित महिला संरक्षण आदेश, निवास आदेश, अभिरक्षा आदेश, क्षतिपूर्ति आदेश, आर्थिक
सहायता, आश्रय एवं चिकित्सा सुविधाओं जैसी विभिन्न प्रकार की राहतें प्राप्त कर
सकती है। पीड़ित महिला भारतीय दंड संहिता की धारा 498क के अंतर्गत भी, जहां कहीं
संगत हो, शिकायत दर्ज कर सकती है। भारतीय दंड संहिता की धारा 498क के अभिकथित
दुरूपयोग के साथ इस अधिनियम के अभिकथित दुरूपयोग की कुछ शिकायतें/अभ्यावेदन
प्राप्त हुए हैं। ये शिकायतें घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम के किसी
विशिष्ट उपबंध की बजाय मुख्य रूप से भारतीय दंड संहिता की धारा 498क के अभिकथित
दुरूपयोग की हैं।
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत
पीड़ित महिला को निर्धारित प्रक्रिया अपनाने के बाद मजिस्ट्रेट द्वारा पारित आदेश
पर अनेक राहतें दी जाती हैं। अधिनियम में मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ अपील करने
का उपबंध भी है। यद्यपि, कानूनी उपबंधों के दुरूपयोग, यदि कोई हो, से निपटने के लिए
भारतीय दंड संहिता की धारा 211 एवं दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 250 जैसे मौजूदा
कानूनों में सुरक्षोपाय हैं, भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने भारतीय दंड संहिता की
धारा 498क के अभिकथित दुरूपयोग के आरोपों पर विराम लगाने के लिए न्यायालयों द्वारा
निर्देशित प्रक्रिया का अनुपालन करने तथा भारत सरकार द्वारा समय-समय पर जारी
एडवाइजरी का अनुसरण करने के लिए सभी राज्य सरकारों एवं संघ राज्य क्षेत्र
प्रशासनों को 20.10.2009 को एडवाइजरी जारी की है।