सपना
अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए प्रधानमंत्री का नया 15 सूत्री कार्यक्रम अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों को विकास की मुख्य धारा में शामिल करने का सरकार का प्रयास है।
अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए इस कार्यक्रम की घोषणा अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के अंतर्गत जून, 2006 में की गयी थी ताकि अल्पसंख्यकों से संबंधित मामलों पर अधिक ध्यान केन्द्रित किया जा सके। इसका प्रयोजन समग्र नीति एवं योजना, समन्वय, मूल्याकंन एवं नियामक रूपरेखा की समीक्षा तथा अल्पसंख्यक समुदायों के लाभ के लिए विकास कार्यक्रमों को सरल बनाना था।
नये कार्यक्रम का महत्वपूर्ण उद्देश्य निर्धनों के लिए बनायी गयी विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ अल्पसंख्यक समुदायों के अलाभ में रहे व्यक्तियों तक पहुंचे। इन योजनाओं का लाभ अल्पसंख्यकों को समान रूप से मिले, नए कार्यक्रमों को अल्पसंख्यकों के ही क्षेत्रों में विकास परियोजनाओं का निश्चित भाग संचालित करने का निश्चय किया गया है। इसमें यह भी प्रावधान रखा गया है कि जहां संभव हो विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत लक्ष्य तथा परिव्यय का 15 प्रतिशत अल्पसंख्यकों के लिए निश्चित किया जाना चाहिए।
शिक्षा के लिए अवसरों को बढ़ाना; वर्तमान तथा नयी योजनाओं के माध्यम से आर्थिक गतिविधियों तथा रोजगार में अल्पसंख्यकों के लिए समान हिस्सा सुनिश्चित करना; स्वरोजगार के लिए ऋण सहायता बढ़ाना तथा राज्य तथा केन्द्रीय सरकार की नौकरियों में भर्ती; ढ़ांचागत विकास परियोजनाओं में उन्हें उपयुक्त हिस्सा देते हुए अल्पसंख्यकों के जीवनयापन में सुधार लाना; सामुदायिक हिंसा एवं असंगति का नियंत्रण तथा प्रतिबंधित करना कार्यक्रम का उद्देश्य है।
राष्ट्रीय आयोग अल्पसंख्यक अधिनियम, 1992 के अनुभाग 2(c) के अंतर्गत मुस्लिम, सिक्ख, क्रिश्चियन, बौद्ध, और जोरोस्टीयन्श (पारसियों) को अल्पसंख्यक समुदायों के रूप में अधिसूचित किया गया है।
अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों के लिए छात्रवृत्ति योजनाएं
अल्पसंख्यक समुदायों के लिए तीन छात्रवृत्ति योजनाएं शुरू की गयी हैं जिनके नाम हैं, कक्षा 1 से 10वीं, मैट्रिक पूर्व छात्रवृत्ति, कक्षा 11 से पीएचडी मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति एवं अंडर ग्रेजुऐट एवं स्नात्कोतर स्तर पर तकनीकी तथा पेशेवर पाठ्यक्रमों के लिए गुणवत्ता व साधन छात्रवृत्ति। यह महसूस किया गया है कि छात्रवृत्ति से अल्पसंख्यक समुदायों के अभिभावक अपने बच्चों को शिक्षा देने के लिए प्रोत्साहित होगें। योजना से उनकी शिक्षा की बुनियाद पक्की होगी तथा प्रतिस्पर्धात्मक रोजगार क्षेत्र में स्थान मिलेगा। शिक्षा के माध्यम से सशक्त होना योजना का उद्देश्य है जिससे अल्पसंख्यक समुदाय की सामाजिक- आर्थिक स्थिति का उत्थान होगा।
छात्रवृत्तियां उन छात्रों को प्रदान की जाती हैं जिन्होंने अपने पूर्व अंतिम परीक्षा में 50 प्रतिशत से कम अंक प्राप्त न किये हों एवं उनके अभिभावकों/संरक्षक की सभी स्रोतों से वार्षिक आय स्कूल और उच्च शिक्षा के अंतर्गत क्रमशः 1 लाख एवं 2 लाख रूपये से अधिक न हो। 30 प्रतिशत छात्रवृत्तियां, छात्राओं के लिए निर्धारित की गयी हैं। यदि पात्र छात्राओं की उपयुक्त संख्या उपलब्ध न हो तो निर्धारित किये गए में से शेष छात्रवृत्तियां पात्र छात्रों को प्रदान की जाए। वर्ष में उपलब्ध अल्पसंख्यकों के लिए छात्रवृत्तियों की संख्या सीमित तथा निश्चित है। यह आवश्यक है कि चयन के लिए प्राथमिकता अंकों के बजाय गरीबी पर जोर दिया जाए।
अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों के लिए गुणवत्ता व साधन आधारित छात्रवृत्ति की अन्य योजना में पेशेवर तथा तकनीकी पाठ्यक्रमों को अपनाने पर बल दिया है। हर वर्ष पूरे देश में 20 हजार छात्रवृत्तियां अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों के बीच वितरित की जाती हैं।
आनलाइन छात्रवृत्ति प्रबंधन योजना(ओएसएमएस)
गुणवत्ता व साधन आधारित छात्रवृत्ति योजना के लिए आनलाइन छात्रवृत्ति प्रबंधन योजना चालू वित्तीय वर्ष 2011-12 से अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की वेबसाइट www.minorityaffairrs.gov.in के माध्यम से प्रायोगिक परियोजना के रूप में शुरू की गयी है। छात्र आनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए वे वेबसाइट URL www.momascholarship.gov.in का माध्यम अपनाएं। उपभोक्ता तथा हितधारकों दोनों की दृष्टि से ओएसएमएस लाभदायक सिद्ध हुआ है। यह पहली बार है कि सरकारी छात्रवृत्ति योजना में इस प्रकार की प्रणाली अपनायी गयी है।
अल्पसंख्यक मामलों में उल्लेखनीय उपलब्धियां
धार्मिक तथा भाषा संबन्धी अल्पसंख्यकों के राष्ट्रीय आयोग (एनसीआरएलएम)की सिफारिशों के अनुसरण में सरकार ने अन्य पिछड़ी जातियों (ओबीसी) के 27 प्रतिशत कोटे में से अल्पसंख्यकों की पिछड़ी जातियों के लिए 1 जनवरी 2012 से 4.5 प्रतिशत का उप कोटा निर्धारित किया है। यह आरक्षण उन अल्पसंख्यक समुदायों के लिए मुहैय्या कराया गया है जो समय-समय पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा प्रकाशित अन्य पिछड़ी जातियों की केन्द्रीय सूची में शामिल हैं। यह आरक्षण केन्द्रीय सरकारी नौकरियों तथा सेवाओं एवं केन्द्रीय सरकारी शिक्षण संस्थानों में प्रवेश लेने के लिए भी होगा।
अल्पसंख्यक समुदायों को शैक्षणिक अधिकार देने के लिए अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने चार वर्षो के अल्प अंतराल के भीतर 11वीं योजना में एक करोड़ से अधिक छात्रवृत्तियां अल्पसंख्यकों को प्रदान की, इनमें से 50.34 प्रतिशत छात्राओं को प्रदान की गयी। वर्ष 2011-12 के दौरान अन्य उपलब्धियों के अंर्तगत 29.23 लाख मैट्रिक-पूर्व छात्रवृत्तियां प्रदान की गयी इनमें से 53.80 प्रतिशत छात्राओं को दी गयी; मैट्रिक के बाद की 4.38 लाख छात्रवृत्तियां प्रदान की गयी, इनमें से 55.65 प्रतिशत छात्राओं को मिली; एवं 29,579 गुणवत्ता एवं साधन छात्रवृत्तियां प्रदान की गयी इनमें से 38.06 प्रतिशत छात्राओं को प्राप्त हुयी।
बजट में बढ़त
केन्द्रीय बजट 2012-13 में अल्पसंख्यक समुदाय के विद्यार्थियों के उत्थान के लिए और प्रोत्साहन दिया गया है। अल्पसंख्यकों से संबन्धित विद्यार्थियों की छात्रवृत्तियों के लिए परिव्यय में उल्लेखनीय वृद्धि की गयी है। केन्द्रीय सामान्य बजट 2012-13 में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को केन्द्रीय योजना परिव्यय के रूप में 3,135 करोड़ का परिव्यय मिला है। यह वित्तीय वर्ष 2011-12 (जो 2750 करोड़ रूपये रहा) के संशोधित बजट अनुमानों से 385 करोड़ रूपये अधिक है।
मैट्रिक से पूर्व छात्रवृत्ति की राशि 540 करोड़ रूपये से बढ़ाकर 810 करोड़ रूपये; मैट्रिक के बाद की छात्रवृत्ति की राशि 405 करोड़ रूपये से बढ़ाकर 450 करोड़ रूपये; गुणवत्ता एवं साधन छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत 2011-12 के लिए संशोधित बजट अनुमान 126 करोड़ रूपये के मुकाबले 198 करोड़ रूपये का प्रावधान रखा गया है। अल्पसंख्यक छात्रों के लिए मौलाना आजाद राष्ट्रीय फैलोसिप की राशि को 47 करोड़ रूपये से बढ़कर 63 करोड़ रूपये का प्रावधान रखा गया है।
नये पहल कदम
2012-13 के बजट में कक्षा 9 की छात्राओं को निशुल्क साइकिल देने के लिए नयी योजना शुरू की गयी है। इसके लिए 4.50 करोड़ रूपये का प्रावधान रखा गया है। इसका उद्देश्य कक्षा 9 से आगे की अल्पसंख्यक छात्राओं की शिक्षा को जारी रखना है।
कौशल विकास के प्रयासों की अन्य नयी योजना के अंतर्गत 18 करोड़ रूपये का प्रावधान रखा गया है। इसमें अल्पसंख्यक समुदायों को ग्रामीण एवं शहरी जीवन यापन में सुधार करने के लिए उनका कौशल विकास करना शामिल है जिससे कि वे रोजगार प्राप्त कर सकें।
100 अल्पसंख्यक घनत्व वाले नगरों/शहरों एवं अल्पसंख्यक घनत्व वाले ब्लाकों/ अल्पसंख्यक संघठित जिलों के अंतर्गत शामिल नहीं किये गये 1 हजार गांवों के लिए ग्रामीण विकास कार्यक्रम में शिक्षा को बढ़ावा देने की योजना के लिए प्रत्येक में 45 करोड़ रूपये का प्रावधान रखा गया है।
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को गैरयोजना के रूप में 19.70 करोड़ रूपये का भी प्रावधान रखा गया है जिससे कि मंत्रालय के पास वित्तीय वर्ष 2012-13 में कुल वित्त 3154.70 करोड़ रूपये का हो जाए।