- मेथीदानाः- दरदरे पीसे हुए मेथीदाने के चुर्ण की फक्की मात्रा 20 ग्राम से 50 ग्राम सुबह-शाम खाना खाने से 15-20 मीनट पहले लेते रहने से मूत्र व खून में शक्कर की मात्रा कम हो जाती है । आवश्यकता अनुसार तीन से चार सप्ताह तक लें । गर्म प्रकृति वाले विशेष ध्यान दे । गर्म प्रकृति वाले इसे मट्ठे या छाछ के साथ ले । अनुकूल होने पर मात्रा 70 से 80 ग्राम दोनो बार की मिलाकर ले सकते हैं । हानि रहित है ।
- जिन रोगियों को बार-बार पेशाब आना, अधिक प्यास लगना, घाव धीरे-धीरे भरना ऐसे लक्षण हो उन रोगियों को वजन घटाना चाहिये, बशर्ते अगर उनका वजन उंचाई के हिसाब से अधिक हो तो हर दस-पन्द्रह दिनों में शुगर की जांच करवाते रहे । सामान्य वजन वाले नहीं । वैसे रोगी को स्वयं ही इसका अनुभव होने लगेगा ।
- गर्म तासीर के पदार्थ माफिक नहीं आने वाले रोगियों के लिए रात्रि में मेथीदाना भीगोकर और सुबह-शाम निथार कर उसका जल पीना अति उतम रहेगा । विशेष कर सभी रोगियों के लिए गर्मियों में भीगा हुआ मेथीदाना फेंकने के बजाय खा लेनेे से विशेष लाभ होता है ।
- गेहुं का आटा छानने के बाद जो चोकर बच जाता है उसे 20 ग्राम लेकर उसमे पानी मिलाकर आटे की तरह गुंथ ले और उसकी पेड़े की तरह टिकिया बना ले । उस टिकिया को तवे पर भून ले और प्रातःकाल खाली पेट इसका सेवन 6 माह तक करे । शुगर से मुक्ति मिल जायेगी।
- गेहु के आटे को भूरा होने तक लोेहे की कड़ाही में ही भूने, उसमे दो या तीन चम्मच तेल मंुगफली या सरसों तेल मिलाकर उस आटे से रोटी बनाकर ही खायें । ऐसा करने से इन्स्यूलिन की जरूरत नहीं रहेगी और न ही मधुमेह का खतरा रहेगा ।
- गेहुं के 5 किलो आटे में आधा किलो जौ, आधा किलो चना देशी, पाव भर मेथीदाना मिलाकर उपर बताये अनुसार भूनकर खाते रहने से मधुमेह रोगी इस बीमारी से निजात पा सकता है ।
- विशेषः- आटे मे मोयन के लिए सिर्फ-मुंगफली तेल, सरसों तेल या जैतुन का तेल ही प्रयोग में लावें । सोयाबीन, सुरजमुखी या सफोला जैसे तेल का उपयोग नहीं करें ।
- अमरूद का एक या दो स्वच्छ किटाणु रहित पत्तों को थोड़ा कुटकर रात्रि को कांच के गिलास में (पात्र धातु का न हो) या चीनी मिट्टी के प्याले में भिगोकर सुबह खाली पेट पीने से एक माह में ही अनुकूल परिणाम नजर आयेगें । दवा की जरूरत नहीं रहेगी ।
- जामुन की चार-पांच पत्तियां सुबह एवं शाम को खाकर चार-पांच रोज पश्चात शुगर टेस्ट करवायें । आशा से अधिक वांछित परिणाम आयेगें ।
- नीम की सात से आठ हरी मुलायम पत्तियां सुबह हर रोज खाली पेट चबाकर उसका रस निगल जाये ऐसा नियमित करते रहने से शुगर पर नियन्त्रण बना रहता है, एवं दस-पन्द्रह दिन तक यह प्रयोग करने के बाद आप जरूरत के मुताबिक चाय मिठी और मीठा भोजन भी ले सकते हैं । शुगर आपका कोई भी नुकसान नहीं कर सकती है ।
- पत्तियां चबाने के पांच से दस मिनट के अन्तराल पर हल्का या पेट भर नाश्ता अवश्य लें । अन्यथा हानि होने की प्रबल संभावना रहती है ।
- नियमित रूप से तुलसी की दो से चार पत्तियां लेते रहने से रक्त शर्करा में अवश्य ही फायदा होगा । साथ में अन्य कई बीमारियों में भी विशेष फायदा देगी । अल्सर वाले मरीजों को विशेष फायदा होगा ।
- उपरोक्त बातों के अलावा भी अगर रोगी चाहे तो सुर्य-किरण चिकित्सा द्वारा तैयार किया हुआ पानी प्रयोग में लाकर रोगी शुगर की बीमारी से हमेशा के लिये निजात पा सकता है। । रोगी
- को दस-बीस रूपये से अधिक धन व्यय करने की जरूरत नहीं रहेगी । सिर्फ आपकी आस्था और विश्वास की जरूरत रहेगी।
- विशेषः- शुगर वाला रोगी अगर कपालभाति प्राणायाम 15 मीनट एवं मण्डुकासन 7 से 8 बार करे तो शुगर नियमित हो जाती है एवं उपरोक्त किसी एक विधि को करने के बाद सोने पे सुहागा वाली बात होगी।
साभार उठो जागो