जगदीश्वर चतुर्वेदी
अमेरिकी समाज पोर्न में पूरी तरह पोर्न में डूब चुका है. समाज को पोर्न में डुबाने में बहुराष्ट्रीय मीडिया कंपनियां और कारपोरेट हाउस सबसे आगे हैं. हमारे देश में जो लोग अमेरिकीकरण के काम में लगे हैं उन्हें यह ध्यान रखना होगा कि भारतीय समाज का अमरीकीकरण करने का अर्र्थ है पोर्न में डुबो देना. पोर्न में डूब जाने का अर्थ है संवेदनहीन हो जाना. अमेरिकी समाज क्रमश: संवेदनहीनता की दिशा में आगे जा रहा है. संवेदनहीनता का आलम यह है कि समाज में बेगानापन बढ रहा है. जबकि सामाजिक होने का अर्थ है कि व्यक्ति सामाजिक संबंध बनाए, संपर्क रखे, एक-दूसरे के सुख-दुख में साझेदारी निभाएं. अमेरिकी समाज में वे ही लोग प्रभावशाली हैं जिनके पास वित्तीय सुविधाएं हैं, पैसा है. उनका ही मीडिया और कानून पर नियंत्रण है. मनोवैज्ञानिकों के यहां पोर्न और वेश्यावृत्ति एक ही कोटि में आते हैं. पोर्न वे लोग देखते हैं जो दमित कामेच्छा के मारे हैं. अथवा जीवन में मर्दानगी नहीं दिखा पाए हैं. वे लोग भी पोर्न ज्यादा देखते हैं जो यह मानते हैं कि पुरूष की तुलना में औरत छोटी, हेय होती है.ये ऐसे लोग हैं जो स्त्री के भाव, संवेदना, संस्कार, आचार- विचार, नैतिकता आदि किसी में भी आस्था नहीं रखते अथवा इन सब चीजों से मुक्त होकर स्त्री को देखते हैं. पोर्न देखने वाला अपने स्त्री संबंधी विचारों को बनाए रखना चाहता है. वह औरत को वस्तु की तरह देखता है. उसे समान नहीं मानता. पोर्न ऐसे भी लोग देखते हैं जो पूरी तरह स्त्री के साथ संबंध नहीं बना पाते.स्त्री के सामने अपने को पूरी तरह खोलते नहीं है. संवेदनात्मक अलगाव में जीते है. संवेदनात्मक अलगाव में जीने के कारण ही इन लोगों को पोर्न अपील करता है. पोर्न देखने वालों में कट्टर धर्मिक मान्यताओं के लोग भी आते हैं जो यह मानते हैं कि औरत तो नागिन होती है, राक्षसनी होती है. पोर्न का दर्शक अपने विचारों में अयथार्थवादी होता है. उसके यहां मर्द और वास्तव औरत के बीच विराट अंतराल होता है. जिस व्यक्ति को पोर्न देखने की आदत पड़ जाती है वह इससे सहज ही अपना दामन बचा नहीं पाता. पोर्न को देखे विना कामोत्तेजना पैदा नहीं होती. वह लगातार पोर्न में उलझता जाता है. अंत में पोर्न से बोर हो जाता है तो पोर्न के दृश्य उत्तेजित करने बंद कर देते हैं. इसके बाद वह पोर्न दृश्यों को अपनी जिन्दगी में उतारने की कोशिश करता है. यही वह बिन्दु है जहां से स्त्री का कामुक उत्पीडन, बलात्कार आदि की घटनाएं तेजी से घटने लगती हैं.यह एक सच है कि शर्म के मारे 90 फीसदी बलात्कार की घटनाओं की रिपोर्टिंग तक नहीं होती. अमेरिकी समाज में एक-तिहाई बलात्कारियों ने बलात्कार की तैयारी के लिए पोर्न की मदद ली. जबकि बच्चों का कामुक शोषण करने वालों की संख्या 53 फीसदी ने पोर्न की मदद ली.पोर्न की प्रमुख विषयवस्तु होती है निरीह स्त्री पर वर्चस्व.
पोर्न का इतिहास बड़ा पुराना प्राचीन ग्रीक समाज से लेकर भारत,चीन आदि तमाम देशों में पोर्न रचनाएं रची जाती रही हैं. किन्तु सन् 1800 के पहले तक पोर्न सामाजिक समस्या नहीं थी.किन्तु सन् 1800 के बाद से आधुनिक तकनीकी विकास, प्रिण्टिंग प्रेस, फिल्म, टीवी, इंटरनेट आदि के विकास के साथ-साथ जनतंत्र और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के उदय ने पोर्न को एक सामाजिक समस्या बना दिया है. मीडिया ने पोर्न और सेक्स को टेबू नहीं रहने दिया है. आज पोर्न सहज ही उपलब्ध है. सामान्य जीवन में पोर्नको जनप्रिय बनाने में विज्ञापनों की बड़ी भूमिका है. विज्ञापनों के माध्यम दर्शक की कामुक मानसिकता बनी है. कल तक जो विज्ञापन की शक्ति थी आज पोर्न की शक्ति बन चुकी है.आज पोर्न संगीत वीडियो से लेकर फैशन परेड तक छायी हुई है. वे वेबसाइड जो एमेच्योर पोर्न के नाम पर आई उनमें सेक्स के दृश्य देख्रकर लों में पोर्न के प्रति आकर्षण बढ़ा. स्कूल-कॉलज पढ़ने जाने वाली लड़कियां बड़े पैमाने ट्यूशन पढ़ने के बहाने अपने घर से निकलती थी. और छुपकर पोन्र का आनंद लेती थीं.इसके लिए वे वेबकॉम का इस्तेमाल करती थीं. वेबकास्ट की तकनीक का इस्तेमाल करने के कारण कम्प्यूटर पर प्रतिदिन अनेकों नयी वेबसरइट आने लगीं. लाइव शो आने लगे.इनमें नग्न औरत परेड करती दिखाई जाती है,सेक्स करते दिखाई जाती है. पोर्न के निशाने पर युवा दर्शक हैं. फे्रडरिक लेन (थर्ड) ने ”ऑवसीन प्रोफिटस:दि इंटरप्रिनर्स ऑफ पोर्नोग्राफी इन दि साइबर एज” में लिखा है कि पोर्न के विकास में वीसीआर और इंटरनेट तकनीक ने केन्द्रीय भूमिका अदा की है.
सामान्य तौर पर अमेरिकी मीडिया पर नजर डालें तो पाएंगे कि सन् 1999 में अमेरिका में उपभोक्ता पत्रिकाओं की बिक्री और विज्ञापन से होने वाली आमदनी 7.8 विलियन डालर थी,टेलीविजन 32 .3विलियन डालर, केबल टीवी 45..5 विलियन डालर, पेशेवर और शैक्षणिक प्रकाशन 14.8विलियन डालर, वीडियो किराए से वैध आमदनी 200 विलियन डालर सन् 2000 में आंकी गयी. विज्ञान इतिहासकार मैकेजी के अनुसार विश्व के सकल मीडिया उद्योग की आमदनी 107 ट्रिलियन डालर सन् 2000 में आंकी गयी. यानी पृथ्वी पर रहने वाले प्रति व्यक्ति 18000 हजार डालर. हेलेन रेनॉल्ड ने लिखा कि अमेरिका में सन् 1986 में सेक्स उद्योग में पचास लाख वेश्याएं थीं. जनकी सालाना आय 20 विलियन डालर थी. एक अनुमान के अनुसार सन् 2003 तक सारी दुनिया में कामुक (इरोटिका) सामग्री की बिक्री 3 विलियन डालर तक पहुँच जाने का अनुमान लगाया गया.फरवरी 2003 में ‘विजनगेन’ नामक संस्था ने अनुमान व्यक्त किया कि सन् 2006 तक ऑनलाइन पोर्न उद्योग 70 विलियन डालर का आंकडा पार कर जाएगा.
विशेषज्ञों में यह सवाल चर्चा के केन्द्र में है कि आखिरकार कितनी संख्या में पोर्न वेबसाइट हैं. एक अनुमान के अनुसार तीस से लेकर साठ हजार के बीच में पोर्न वेबसाइट हैं. ओसीएलसी का मानना है कि 70 हजार व्यावसायिक साइट हैं. इसके अलावा दो लाख साइट शिक्षा की आड़ में चलायी जा रही हैं. कुछ लोग यह मानते हैं कि वयस्क सामग्री अरबों खरबों पन्नों में है. सन् 2003 में ‘डोमेनसरफर’ द्वारा किए गए एक सर्वे से पता चला कि एक लाख सडसठ हजार इकहत्तर वेवसाइट ऐसी हैं जिसमें सेक्स पदबंध शामिल है. बत्तीस हजार नौ सौ बहत्तर में गुदा (अनल) पदबंध शामिल है. उन्नीस हजार दो सौ अडसठ में एफ (संभोग) पदबंध शामिल है. चार सौ सात में स्तन, तिरपन हजार चौरानवे में पोर्न, उनतालीस हजार चार सौ पिचानवे में एक्सएक्सएक्स पदबंध शामिल है. ‘अलटाविस्टा’ के अनुसार पोर्न के तीस लाख पन्ने हैं. असल संख्या से यह आंकड़ा काफी कम है. अकेले गुगल के ‘हिटलर’ सर्च में 1.7मिलियन पन्ने हैं. जबकि ‘कित्तिन’ में 1.2 मिलियन पन्ने हैं. ‘डाग’ में 17मिलियन पन्ने हैं.’सेक्स’ में 132 मिलियन पन्ने हैं. सन् 2003 में गुगल में 126 मिलियन पोर्न पन्ने थे. वयस्क उद्योग में कितने लोग काम करते हैं. इसका सारी दुनिया का सटीक आंकडा उपलब्ध नहीं है, इसके बावजूद कुछ आंकड़े हैं जो आंखें खोलने वाले हैं. आस्टे्रलिया इरोज फाउण्डेशन के अनुसार आस्ट्रेलिया में छह लाख छियालीस हजार लोग के वयस्क वीडियो के पता संकलन में थे.तकरीबन 250 दुकानें थीं जिनका सालाना कारोबार 100 मिलियन डालर था.इसके अलावा 800 वैध और 350 अवैध वेश्यालय, आनंद सहकर्मी, मेसाज पार्लर थे. सालाना 12 लाख लोग सेक्स वर्कर के यहां जाते हैं. यह आंकडा खाली आस्ट्रेलिया का है. इसी तरह वेब पर जाने वाले दस में चार लोग सेक्स या पोर्न वेब पर जरूर जाते हैं.
सेक्स उद्योग के आंकड़ों के बारे में एक तथ्य यह भी है कि इसके प्रामाणिक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं. इस क्षेत्र के बारे में अलग-अलग आंकड़े मिलते हैं. ”केसलॉन एनालिस्टिक प्रोफाइल: एडल्ट कंटेंट इण्डस्ट्रीज ” में आंकडों के इस वैविध्य को सामने रखा. सन् 2002 में एक प्रमोटर ने अनुमान व्यक्त किया कि वयस्क अंतर्वस्तु उद्योग 900 विलियन डालर का है. एक अन्य प्रमोटर ने कहा कि अकेले अमेरिका में ही इसका सालाना कारोबार 10 विलियन डालर का है. एक अन्य अमेरिकी कंपनी ने कहा कि वयस्क वीडियो उद्योग में सालाना 5 विलियन की वृद्धि हो रही है.
(लेखक, वामपंथी चिंतक और कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्रोफेसर हैं)
अमेरिकी समाज पोर्न में पूरी तरह पोर्न में डूब चुका है. समाज को पोर्न में डुबाने में बहुराष्ट्रीय मीडिया कंपनियां और कारपोरेट हाउस सबसे आगे हैं. हमारे देश में जो लोग अमेरिकीकरण के काम में लगे हैं उन्हें यह ध्यान रखना होगा कि भारतीय समाज का अमरीकीकरण करने का अर्र्थ है पोर्न में डुबो देना. पोर्न में डूब जाने का अर्थ है संवेदनहीन हो जाना. अमेरिकी समाज क्रमश: संवेदनहीनता की दिशा में आगे जा रहा है. संवेदनहीनता का आलम यह है कि समाज में बेगानापन बढ रहा है. जबकि सामाजिक होने का अर्थ है कि व्यक्ति सामाजिक संबंध बनाए, संपर्क रखे, एक-दूसरे के सुख-दुख में साझेदारी निभाएं. अमेरिकी समाज में वे ही लोग प्रभावशाली हैं जिनके पास वित्तीय सुविधाएं हैं, पैसा है. उनका ही मीडिया और कानून पर नियंत्रण है. मनोवैज्ञानिकों के यहां पोर्न और वेश्यावृत्ति एक ही कोटि में आते हैं. पोर्न वे लोग देखते हैं जो दमित कामेच्छा के मारे हैं. अथवा जीवन में मर्दानगी नहीं दिखा पाए हैं. वे लोग भी पोर्न ज्यादा देखते हैं जो यह मानते हैं कि पुरूष की तुलना में औरत छोटी, हेय होती है.ये ऐसे लोग हैं जो स्त्री के भाव, संवेदना, संस्कार, आचार- विचार, नैतिकता आदि किसी में भी आस्था नहीं रखते अथवा इन सब चीजों से मुक्त होकर स्त्री को देखते हैं. पोर्न देखने वाला अपने स्त्री संबंधी विचारों को बनाए रखना चाहता है. वह औरत को वस्तु की तरह देखता है. उसे समान नहीं मानता. पोर्न ऐसे भी लोग देखते हैं जो पूरी तरह स्त्री के साथ संबंध नहीं बना पाते.स्त्री के सामने अपने को पूरी तरह खोलते नहीं है. संवेदनात्मक अलगाव में जीते है. संवेदनात्मक अलगाव में जीने के कारण ही इन लोगों को पोर्न अपील करता है. पोर्न देखने वालों में कट्टर धर्मिक मान्यताओं के लोग भी आते हैं जो यह मानते हैं कि औरत तो नागिन होती है, राक्षसनी होती है. पोर्न का दर्शक अपने विचारों में अयथार्थवादी होता है. उसके यहां मर्द और वास्तव औरत के बीच विराट अंतराल होता है. जिस व्यक्ति को पोर्न देखने की आदत पड़ जाती है वह इससे सहज ही अपना दामन बचा नहीं पाता. पोर्न को देखे विना कामोत्तेजना पैदा नहीं होती. वह लगातार पोर्न में उलझता जाता है. अंत में पोर्न से बोर हो जाता है तो पोर्न के दृश्य उत्तेजित करने बंद कर देते हैं. इसके बाद वह पोर्न दृश्यों को अपनी जिन्दगी में उतारने की कोशिश करता है. यही वह बिन्दु है जहां से स्त्री का कामुक उत्पीडन, बलात्कार आदि की घटनाएं तेजी से घटने लगती हैं.यह एक सच है कि शर्म के मारे 90 फीसदी बलात्कार की घटनाओं की रिपोर्टिंग तक नहीं होती. अमेरिकी समाज में एक-तिहाई बलात्कारियों ने बलात्कार की तैयारी के लिए पोर्न की मदद ली. जबकि बच्चों का कामुक शोषण करने वालों की संख्या 53 फीसदी ने पोर्न की मदद ली.पोर्न की प्रमुख विषयवस्तु होती है निरीह स्त्री पर वर्चस्व.
पोर्न का इतिहास बड़ा पुराना प्राचीन ग्रीक समाज से लेकर भारत,चीन आदि तमाम देशों में पोर्न रचनाएं रची जाती रही हैं. किन्तु सन् 1800 के पहले तक पोर्न सामाजिक समस्या नहीं थी.किन्तु सन् 1800 के बाद से आधुनिक तकनीकी विकास, प्रिण्टिंग प्रेस, फिल्म, टीवी, इंटरनेट आदि के विकास के साथ-साथ जनतंत्र और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के उदय ने पोर्न को एक सामाजिक समस्या बना दिया है. मीडिया ने पोर्न और सेक्स को टेबू नहीं रहने दिया है. आज पोर्न सहज ही उपलब्ध है. सामान्य जीवन में पोर्नको जनप्रिय बनाने में विज्ञापनों की बड़ी भूमिका है. विज्ञापनों के माध्यम दर्शक की कामुक मानसिकता बनी है. कल तक जो विज्ञापन की शक्ति थी आज पोर्न की शक्ति बन चुकी है.आज पोर्न संगीत वीडियो से लेकर फैशन परेड तक छायी हुई है. वे वेबसाइड जो एमेच्योर पोर्न के नाम पर आई उनमें सेक्स के दृश्य देख्रकर लों में पोर्न के प्रति आकर्षण बढ़ा. स्कूल-कॉलज पढ़ने जाने वाली लड़कियां बड़े पैमाने ट्यूशन पढ़ने के बहाने अपने घर से निकलती थी. और छुपकर पोन्र का आनंद लेती थीं.इसके लिए वे वेबकॉम का इस्तेमाल करती थीं. वेबकास्ट की तकनीक का इस्तेमाल करने के कारण कम्प्यूटर पर प्रतिदिन अनेकों नयी वेबसरइट आने लगीं. लाइव शो आने लगे.इनमें नग्न औरत परेड करती दिखाई जाती है,सेक्स करते दिखाई जाती है. पोर्न के निशाने पर युवा दर्शक हैं. फे्रडरिक लेन (थर्ड) ने ”ऑवसीन प्रोफिटस:दि इंटरप्रिनर्स ऑफ पोर्नोग्राफी इन दि साइबर एज” में लिखा है कि पोर्न के विकास में वीसीआर और इंटरनेट तकनीक ने केन्द्रीय भूमिका अदा की है.
सामान्य तौर पर अमेरिकी मीडिया पर नजर डालें तो पाएंगे कि सन् 1999 में अमेरिका में उपभोक्ता पत्रिकाओं की बिक्री और विज्ञापन से होने वाली आमदनी 7.8 विलियन डालर थी,टेलीविजन 32 .3विलियन डालर, केबल टीवी 45..5 विलियन डालर, पेशेवर और शैक्षणिक प्रकाशन 14.8विलियन डालर, वीडियो किराए से वैध आमदनी 200 विलियन डालर सन् 2000 में आंकी गयी. विज्ञान इतिहासकार मैकेजी के अनुसार विश्व के सकल मीडिया उद्योग की आमदनी 107 ट्रिलियन डालर सन् 2000 में आंकी गयी. यानी पृथ्वी पर रहने वाले प्रति व्यक्ति 18000 हजार डालर. हेलेन रेनॉल्ड ने लिखा कि अमेरिका में सन् 1986 में सेक्स उद्योग में पचास लाख वेश्याएं थीं. जनकी सालाना आय 20 विलियन डालर थी. एक अनुमान के अनुसार सन् 2003 तक सारी दुनिया में कामुक (इरोटिका) सामग्री की बिक्री 3 विलियन डालर तक पहुँच जाने का अनुमान लगाया गया.फरवरी 2003 में ‘विजनगेन’ नामक संस्था ने अनुमान व्यक्त किया कि सन् 2006 तक ऑनलाइन पोर्न उद्योग 70 विलियन डालर का आंकडा पार कर जाएगा.
विशेषज्ञों में यह सवाल चर्चा के केन्द्र में है कि आखिरकार कितनी संख्या में पोर्न वेबसाइट हैं. एक अनुमान के अनुसार तीस से लेकर साठ हजार के बीच में पोर्न वेबसाइट हैं. ओसीएलसी का मानना है कि 70 हजार व्यावसायिक साइट हैं. इसके अलावा दो लाख साइट शिक्षा की आड़ में चलायी जा रही हैं. कुछ लोग यह मानते हैं कि वयस्क सामग्री अरबों खरबों पन्नों में है. सन् 2003 में ‘डोमेनसरफर’ द्वारा किए गए एक सर्वे से पता चला कि एक लाख सडसठ हजार इकहत्तर वेवसाइट ऐसी हैं जिसमें सेक्स पदबंध शामिल है. बत्तीस हजार नौ सौ बहत्तर में गुदा (अनल) पदबंध शामिल है. उन्नीस हजार दो सौ अडसठ में एफ (संभोग) पदबंध शामिल है. चार सौ सात में स्तन, तिरपन हजार चौरानवे में पोर्न, उनतालीस हजार चार सौ पिचानवे में एक्सएक्सएक्स पदबंध शामिल है. ‘अलटाविस्टा’ के अनुसार पोर्न के तीस लाख पन्ने हैं. असल संख्या से यह आंकड़ा काफी कम है. अकेले गुगल के ‘हिटलर’ सर्च में 1.7मिलियन पन्ने हैं. जबकि ‘कित्तिन’ में 1.2 मिलियन पन्ने हैं. ‘डाग’ में 17मिलियन पन्ने हैं.’सेक्स’ में 132 मिलियन पन्ने हैं. सन् 2003 में गुगल में 126 मिलियन पोर्न पन्ने थे. वयस्क उद्योग में कितने लोग काम करते हैं. इसका सारी दुनिया का सटीक आंकडा उपलब्ध नहीं है, इसके बावजूद कुछ आंकड़े हैं जो आंखें खोलने वाले हैं. आस्टे्रलिया इरोज फाउण्डेशन के अनुसार आस्ट्रेलिया में छह लाख छियालीस हजार लोग के वयस्क वीडियो के पता संकलन में थे.तकरीबन 250 दुकानें थीं जिनका सालाना कारोबार 100 मिलियन डालर था.इसके अलावा 800 वैध और 350 अवैध वेश्यालय, आनंद सहकर्मी, मेसाज पार्लर थे. सालाना 12 लाख लोग सेक्स वर्कर के यहां जाते हैं. यह आंकडा खाली आस्ट्रेलिया का है. इसी तरह वेब पर जाने वाले दस में चार लोग सेक्स या पोर्न वेब पर जरूर जाते हैं.
सेक्स उद्योग के आंकड़ों के बारे में एक तथ्य यह भी है कि इसके प्रामाणिक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं. इस क्षेत्र के बारे में अलग-अलग आंकड़े मिलते हैं. ”केसलॉन एनालिस्टिक प्रोफाइल: एडल्ट कंटेंट इण्डस्ट्रीज ” में आंकडों के इस वैविध्य को सामने रखा. सन् 2002 में एक प्रमोटर ने अनुमान व्यक्त किया कि वयस्क अंतर्वस्तु उद्योग 900 विलियन डालर का है. एक अन्य प्रमोटर ने कहा कि अकेले अमेरिका में ही इसका सालाना कारोबार 10 विलियन डालर का है. एक अन्य अमेरिकी कंपनी ने कहा कि वयस्क वीडियो उद्योग में सालाना 5 विलियन की वृद्धि हो रही है.
(लेखक, वामपंथी चिंतक और कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्रोफेसर हैं)