स्टार न्यूज़ एजेंसी 
दिल की नसों में आने वाली रुकावट का सही समय पर पता लगा लिया जाए, तो हार्ट अटैक, लकवा और सडन डेथ के मामलों को रोका जा सकता है.
दरअसल दिल की धमनियों में रुकावट के लक्षण जब तक सामने आते हैं, तब तक आर्टरी में 70 पर्सेंट ब्लॉकेज हो चुकी होती है. इससे कम रुकावट में लक्षण सामने आएं यह ज़रूरी नहीं है. 70 पर्सेंट से कम ब्लॉकेज में ट्रेडमिल टेस्ट नेगेटिव आ सकता है और 60 पर्सेंट से कम ब्लॉकेज में स्ट्रेस ईको टेस्ट भी नेगेटिव आ सकता है. 40 पर्सेंट से कम ब्लॉकेज की स्थिति में कोरोनरी एंजियाग्राफ़ी से भी पता न लगे ऐसा भी संभव है. आर्टरी में ब्लॉकेज को गर्दन की आर्टरी की दीवारों की मोटाई से जोड़ा जा सकता है. इसके लिए आईएमटी (इनटिमा मीडिया थिकनेस) टेस्ट अब उपलब्ध हो चुका है. एक हाई रेज़ोल्युशन कलर डॉप्लर अल्ट्रासाउंड है.

हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने कहा कि आईएमटी टेस्ट बचपन में से ही शुरू हो जाना चाहिए, क्योंकि दिल की धमनियों में रुकावट का सिलसिला इसी उम्र में शुरू हो जाता है. ऐसी महिलाएं जिन्हें सीने में दर्द की शिकायत हो और जिनमें नेक आर्टरी की मोर्फ़ालॉजी सामान्य हो, तो इनमें कोरोनरी एंजियोग्राफ़ी की ज़रूरत नहीं होती है. अगर ग्रीवा धमनी की मोटाई 0.55 मिमी हो, तो थोरेसिक एओट्रा की मोटाई 33 मिमी से कम हो तो हार्ट में ब्लॉकेज की संभावना कम  होती है.

उन मरीज़ों में जिनमें कुछ लक्षण भी दिखाई दे रहे हों और नेक आर्टरी की दीवारों में 1.15 मिमी से ज़्यादा ब्लॉकेज होने का मतलब है दिल की धमनी में 94 फ़ीसद रुकावट. लक्षणों वाले लोगों में गर्दन की आर्टरी का 0.75 मिमी से ज़्यादा मोटा होना दिल की धमनियों में रुकावट का सूचक माना जाता है. गर्दन की आर्टरी वॉल का 1.5 मिमी से अधिक मोटेपन का संबंध हृदय रोगों से होने वाली अकाल मृत्यु के पारिवारिक इतिहास से होता है. गर्दन की आर्टरी वॉल में 1 मिमी से कम ब्लॉकेज के सिर्फ 2 पर्सेंट मामलों में दिल की तीनों धमनियों में रुकावट होती है और 1.5 मिमी से ज्यादा मोटाई वाले मामले दिल की धमनियों में 95 पर्सेंट ब्लॉकेज के सूचक हैं.

गर्दन की आर्टरी की दीवारों की मोटाई बढऩा और प्लाक (मैल) जमना हार्ट ब्लॉकेज का सबसे बड़ा लक्षण है. गर्दन की धमनियों की दीवारों की मोटाई पैर की धमनियों की दीवारों की मोटाई से भी संबंधित है और पैर की धमनियों की दीवारों की मोटाई बढ़ने का मतलब है हार्ट अटैक का ख़तरा कहीं ज्यादा होना. इस स्थिति में बाईपास सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है. एंटिमा मीडिया थिकनेस अल्ट्रासाउंड टेस्ट से भविष्य में होने वाले हार्ट अटैक की आशंका का पता लगाया जा सकता है. दूसरे ऐसे टेस्ट जिनसे हार्ट अटैक के खतरे का पता लग सकता है उनमें हाई सेंसिटिव सी रिएक्टिव प्रोटीन और ऐबनॉर्मल लिपिड प्रोफाइल शामिल हैं.


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