स्टार न्यूज़ एजेंसी
एक घंटे तक हुक्के का सुट्टा मारने से उतना ही नुकसान होता है जितना कि एक पैकेट सिगरेट के कार्बन मोनोआक्साइड से होता है.
हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल का कहना है कि हाल के वर्षों में हुक्का का प्रचलन बढ़ा है और अब पूरी दुनिया के शहरों में हुक्का बार खुल गए हैं, जहां पर लोग पानी के पाइप से धूम्रपान के कश मारते हैं.
तंबाकू धूम्रपान को पानी के जरिये से कश मारते हैं और लोग सोचते हैं कि इससे तंबाकू के टॊक्सिन छन जाते हैं.
जर्नल ऒफ़ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन में प्रकाशित एक पत्र में जिसमें हैमंड और एक छात्र ने 27 छात्रों पर गौर किया जो एक घंटे तक शाम को अलग-अलग समय पे, अप्रैल 2006 में पानी के पाइप से धूम्रपान किया करते थे. अन्य पांच छात्र जो हुक्का से धूम्रपान नहीं करते थे, लेकिन धूम्रपान करने वालों के साथ रहते थे. हिस्सा लेने वालों को अध्ययन में शामिल होने से पहले 84 घंटों तक पानी के पाइप से धूम्रपान से मुक्त रखा गया, उनके पानी के पाइप को भरे पानी के प्याले से जोड़ा गया और फिर उसमें 10 ग्राम अल फखेर मू असल तंबाकू को गरम करके कार्कोल के साथ मिलाया गया.
शोधकर्ताओं ने पाया कि हिस्सा लेने वालों में सांस लेने से पहले और बाद में कार्बन मोनोआक्साइड का अनुभव किया गया और इसका पता धूम्रपान करने वालों में मशीन से लगाया गया. हिस्सा लेने वालों में एक्सहेल्ड कार्बन मोनोआक्साइड औसतन प्रति दस लाख में 42 हिस्से थी बनिस्बत सिगरेट पीने वालों के, जिनके धूम्रपान करने वालों में प्रति दस लाख 17 हिस्से दर्ज की गई. अध्ययन में यह भी पाया गया कि कार्बन मोनोआक्साइड का स्तर उस कमरे में भी बढ़ा, जहां पर बैठकर हुक्का पिया जाता था और यह पर्यावरण की दृष्टि से अस्वस्थ स्तर तक पहुंच गया. ऐसा खुलासा फेडरल गवर्नमेंट ने लम्बे सत्र आयोजित पारित करने के बाद किया.
पांच मिनट तक सिगरेट पीने की तुलना में 45 मिनट तक पानी के पाइप से धूम्रपान करने से 36 गुना अधिक टैर उत्पन्न होता है.