अनिल कुमार पाण्डेय
देश में आयी उदारीकरण की बयार ने बहुत कुछ बदला है जिससे मीडिया भी अछूता नहीं रहा। बदली परिस्थितियों के चलते मीडिया का भी परिदृश्य बदला है। पारंपरिक मीडिया तक सीमित रहने वाला मास मीडिया आज कई रंग, रूप, आकार, प्रकार में हमारे सामने है। ये मानवीय संवाद का विस्तार नहीं तो और क्या है? टेलीविजन चैनलों की संख्या तकरीबन एक हजार की संख्या पार कर चुकी है। वहीं पत्र-पत्रिकाओं की संख्या लाखों में पहुंच रही है। इन सबके चलते ही सामाजिक जनसंवाद का बड़ी तेजी से विस्तार हुआ है। फेसबुक, ट्विटर समूहों के आपसी प्रतिभाग के बड़े प्लेटफार्म साबित हुये हैं। एक दशक पहले दिन की पहली खब़र रेडियों, टी.वी.और समाचार पत्रों से मिलती थी लेकिन अब परिस्थितियां पहले से अलग हैं। दुनिया के सभी देशों के बड़े नेता,अभिनेता सोशल मीडिया से जुड़े है परिणामत: वे अपनी बात संवाददाता सम्मेलन में न रखकर ट्विटर पर देते हैं।
सूचना क्रांति के इस दौर में सोशल माध्यमों का क्षितिज निरंतर विस्तारित हो  रहा है। आज सोशल माध्यम मुख्यधारा के संचार माध्यमों का विकल्प मात्र न होकर इनका प्रतिस्पर्धी हो गया है। सोशल माध्यम एक ऐसा नवाचार है जिसके माध्यम से हम विश्व के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति से जुड़ सकते हैं। कुछ साल पहले विकीलीक्स नाम का धमाका हुआ था। विकीलीक्स ने खोजी पत्रकारिता के क्षेत्र में न्यू मीडिया का सार्थक उपयोग किया था।
सही मायने में खबरों तक सभी की पहुंच समान रूप से हो गई है। पहले जहां सरकारी खबरें सिर्फ गिने चुने पत्रकारों को ही मिलती थी वहीं आज हम सभी की सरकारी सहित अन्य सूचनाओं पर एक समय पर, एक साथ पहुंच है। ऐसे में यहां पर एक बात उभरकर सामने आती है कि क्या मीडिया लोगों को नहीं बताएगा तो लोग नहीं जान पायेंगे? लेकिन ऐसा नहीं है। सोशल मीडिया आज सबसे तेज़ संचार माध्यम के रूप में उभरा है जो लाइव से भी तेज है। यहां पर यह लिखने का तात्पर्य है जनमाध्यम क्या कवर करने वाले है क्या लाइव होने वाला है ये सब भी इस माध्यम से  पता चला जाता है।
कई ऐसी बातें है जिन्हे मीडिया सामूहिक रुप से छिपाने का कार्य करता है जैसा कि नीरा राडिया प्रकरण में हुआ था। जिसे हमारा पारंपरिक मीडिया छुपा रहा था और सोशल मीडिया उसे उघाड़ रहा था। मीडिया मिक्स के इस दौर में चली आ रही परंपरागत पत्रकारिता मुश्किल दौर में नज़र आ रही है। जिस मीडिया से हम इस बात की अपेक्षा रखते हैं कि इनमें प्राप्त होने वाली ख़बरे सत्यापित और विश्वसनीय होगी। उसकी विश्वसनीयता अन्य माध्यमों से परखी जा सकती हैं। विभिन्न जनमाध्यमों से प्रसारित खबरों की सत्यता जांचना पहले से ही कहीं ज्यादा सरल एवम् सुलभ है। सूचना स्त्रोत असंख्य है जिनसे  हम सूचनाएं चुन सकते हैं,अपने विचार बना सकते हैं।
संचार प्रक्रिया को पहले एकतरफा माना जाता था, जिसे बाद में संचार वैज्ञानिकों ने द्विमार्गी प्रक्रिया करार दिया, लेकिन सूचना क्रांति के चलते वर्तमान समय में सूचना का प्रवाह बहुदिशीय हो गया है। इस सूचना प्रवाह में हम हस्तक्षेप के साथ ही खबरों को अस्वीकार भी कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में जनमाध्यमों में गलत जानकारियां देकर बच निकलना मुश्किल है। यह स्थिति तब है जब देश के एक चौथाई जनता तक ही स्मार्ट फोन पहुंचा है। कल्पना की जा सकती है कि जब सभी के पास इंटरनेट वाले फोन होगें तब मीडिया का परिदृश्य कैसा होगा ? लेकिन पारंपरिक मीडिया घरानों (अखबार, पत्र-पत्रिकाओं, टीवी, रेडियो) को इससे घबराने  की जरुरत नहीं है। यही वह विचार है जो सोशल मीडिया को परम्परागत मीडिया के प्रतिद्वंदी के रूप में नहीं बल्कि परस्पर पूरक बनने के लिए आतुर कर रहा है। ऐसे समय में मीडिया का मीडिया से परिचय हो रहा है। होने दीजिए बाधक मत बनिए! क्योंकि ये होकर ही रहेगा हम सब नहीं चाहेगें तब भी होगा।
(लेखक कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरूक्षेत्र से संबद्ध राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, सेक्टर -1, पंचकूला में पत्रकारिता एवम् जनसंचार विषय में सहायक प्राध्यापक हैं)

ईद मिलाद उन नबी की मुबारकबाद

ईद मिलाद उन नबी की मुबारकबाद

फ़िरदौस ख़ान की क़लम से

Star Web Media

ई-अख़बार पढ़ें

ब्लॉग

  • सूफ़ियाना बसंत पंचमी... - *फ़िरदौस ख़ान* सूफ़ियों के लिए बंसत पंचमी का दिन बहुत ख़ास होता है... हमारे पीर की ख़ानकाह में बसंत पंचमी मनाई गई... बसंत का साफ़ा बांधे मुरीदों ने बसंत के गीत ...
  • ग़ुज़ारिश : ज़रूरतमंदों को गोश्त पहुंचाएं - ईद-उल-अज़हा का त्यौहार आ रहा है. जो लोग साहिबे-हैसियत हैं, वो बक़रीद पर क़्रुर्बानी करते हैं. तीन दिन तक एक ही घर में कई-कई क़ुर्बानियां होती हैं. इन घरों म...
  • Rahul Gandhi in Berkeley, California - *Firdaus Khan* The Congress vice president Rahul Gandhi delivering a speech at Institute of International Studies at UC Berkeley, California on Monday. He...
  • میرے محبوب - بزرگروں سے سناہے کہ شاعروں کی بخشش نہیں ہوتی وجہ، وہ اپنے محبوب کو خدا بنا دیتے ہیں اور اسلام میں اللہ کے برابر کسی کو رکھنا شِرک یعنی ایسا گناہ مانا جات...
  • देश सेवा... - नागरिक सुरक्षा विभाग में बतौर पोस्ट वार्डन काम करने का सौभाग्य मिला... वो भी क्या दिन थे... जय हिन्द बक़ौल कंवल डिबाइवी रश्क-ए-फ़िरदौस है तेरा रंगीं चमन त...
  • 25 सूरह अल फ़ुरक़ान - सूरह अल फ़ुरक़ान मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 77 आयतें हैं. *अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है*1. वह अल्लाह बड़ा ही बाबरकत है, जिसने हक़ ...
  • ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ - ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ ਕਿਤੋਂ ਕਬੱਰਾਂ ਵਿਚੋਂ ਬੋਲ ਤੇ ਅੱਜ ਕਿਤਾਬੇ-ਇਸ਼ਕ ਦਾ ਕੋਈ ਅਗਲਾ ਵਰਕਾ ਫੋਲ ਇਕ ਰੋਈ ਸੀ ਧੀ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਤੂੰ ਲਿਖ ਲਿਖ ਮਾਰੇ ਵੈਨ ਅੱਜ ਲੱਖਾਂ ਧੀਆਂ ਰੋਂਦੀਆਂ ਤ...

एक झलक

Followers

Search

Subscribe via email

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

साभार

इसमें शामिल ज़्यादातर तस्वीरें गूगल से साभार ली गई हैं