फ़िरदौस ख़ान
त्यौहारों का मज़ा तब ही है, जब वे ख़ुशियों के साथ संपन्न हों. होली है तो रंग भी होंगे. रंगों के साथ हुड़दंग भी होगा, ढोल-ताशे भी होंगे. यही सब तो होली की रौनक़ है. होली रंगों का त्यौहार है, हर्षोल्लास का त्यौहार है, उमंग का त्यौहार है. लेकिन दुख तो तब होता है, जब ज़रा सी लापरवाही से रंग में भंग पड़ जाता है. इंद्रधनुषी रंगों के इस त्यौहार की ख़ुशियां बरक़रार रहें, इसके लिए काफ़ी एहतियात बरतने की ज़रूरत होती है. अकसर देखने में आता है कि रसायनिक रंगों, भांग और शराब की वजह से कई परेशानियां पैदा हो जाती हैं.

बाज़ार में रंगों की बहार है. ज़्यादातर रंगों में रासायन मिले होते हैं, जो आंखों और त्वचा के लिए नुक़सानदेह हो सकते हैं. चिकित्सकों के मुताबिक़ रंगों ख़ासकर गुलाल में मिलाए जाने वाले चमकदार अभ्रक से कॉर्निया को नुक़सान हो सकता है. रसायनिक रंगों में भारी धातु जैसे सीसा हो सकती हैं, जिससे आंख, त्वचा को नुक़सान पहुंचने के अलावा डर्माटाइटिस, त्वचा का सूखना या चैपिगं, स्किन कैंसर, राइनाइटिस, अस्थमा और न्यूमोनिया जैसी बीमारियां हो सकती हैं. एम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ हरे और नीले रंगों का संबंध ऑक्युलर टॉक्सिसिटी से है. ज़्यादातर 'प्लेजिंग टू आई' रंग बाज़ार में मौजूद हैं, जो टॉक्सिक होते हैं और इनकी वजह से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. मैलाशाइट ग्रीन का इस्तेमाल होली के रंगों में बहुत होता है और इसकी वजह से आंखों में गंभीर खुजली की हो जाती है और एपिथीलियल को नुक़सान होता है. इसलिए इसे कॉर्नियाल के आसपास नहीं लगाना चाहिए. इसके अलावा सस्ते रसायन जैसे सीसा, एसिड, एल्कलीज, कांच के टुकड़े से न सिर्फ़ त्वचा संबंधी समस्या होती है, बल्कि एब्रेशन, खुजली या झुंझलाहट के साथ ही दृष्टि असंतुलित हो जाती है और सांस संबंधी समस्या हो सकती है. इससे कैंसर का ख़तरा भी बना रहता है. एल्कलीन वाले रंगों से ज़ख़्म हो सकते है. अमूमन बाज़ार में तीन तरह के रंग बिकते हैं, पेस्ट, सूखा पाउडर और पानी वाले रंग. परेशानी तब बढ़ जाती है, जब इन्हें तेल के साथ मिलाकर त्वचा पर इस्तेमाल किया जाता है. ज़्यादातर रंग या गुलाल में दो तत्व होते हैं- एक कलरेंट जो टॉक्सिक हो सकता है और दूसरा एस्बेसटस या सिलिका होता है. दोनों से ही स्वास्थ्य संबंधी ख़तरे होते हैं. सिलिका से त्वचा पर बुरा असर पड़ता है, जबकि एस्बेसटस से कैंसर हो सकता है.

होली खेलने के लिए प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करना सबसे अच्छा है. बाज़ार में हर्बल रंग भी मिलते हैं, लेकिन इनकी क़ीमत ज़्यादा होती है. वैसे घर पर भी प्राकृतिक रंग बनाए जा सकते हैं. पीले रंग के लिए हल्दी सबसे अच्छी है. टेसू के फूलों को पानी में उबालकर पीला रंग तैयार किया जा सकता है. अमलतास और गेंदे के फूलों को पानी में उबालकर भी पीला रंग बनाया जा सकता है. लाल रंग के लिए लाल चंदन पाउडर का इस्तेमाल किया जा सकता है. गुलाब और गुड़हल के सूखे फूलों को पीसकर गुलाल बनाया जा सकता है. गुलाबी रंग के लिए चुकंदर को पीसकर उबाल लें. कचनार के फूलों को पीसकर पानी में मिलाने से क़ुदरती गुलाबी या केसरिया रंग बनाया जा सकता है. हरा रंग बनाने के लिए मेहंदी का इस्तेमाल किया जा सकता है. मेहंदी के पत्तों को पीसकर प्राकृतिक हरा रंग बनाया जा सकता है. नीले रंग के लिए नील का इस्तेमाल किया जा सकता है.

कुछ लोग होली के दिन पक्के रंगों का इस्तेमाल करते हैं, जिससे रंग कई दिन तक नहीं उतरता. इससे कई बार मनमुटाव भी हो जाता है. कुछ लोग होली खेलना पसंद नहीं करते. ऐसे लोगों को जबरन रंग लगाया जाता है, तो लड़ाई-झगड़ा भी हो जाता है. बच्चे सादे या रंगीन पानी से भरे ग़ुब्बारे एक-दूसरे पर फेंकते हैं. ग़ुब्बारा आंख के पास लग जाने से आंख को नुक़सान हो सकता है. ये ग़ुब्बारे अकसर लड़ाई-झगड़ों की वजह भी बन जाते हैं. होली खेलने के दौरान कुछ सावधानियां बरत कर इस पर्व की ख़ुशी को बरक़रार रखा जा सकता है. बच्चों को ग़ुब्बारों से न खेलने दें. दांतों के बचाव के लिए डेंटल कैप्स का इस्तेमाल करना चाहिए. नुक़सानदेह रंगों से बचाव के लिए धूप के चश्मे का इस्तेमाल किया जा सकता है. शरीर को रंगों के द्ष्प्रभाव से बचाने के लिए पूरी बांह के कपड़े पहनने चाहिए. चमकदार और गहरे रंग के पुराने कपड़ों को तरजीह दी जानी चाहिए. जब कोई जबरन रंग लगाने की कोशिश करे, तो आंखें और होंठ बंद रखते हुए अपना बचाव करना चाहिए. बालों में तेल ज़रूर लगा लेना चाहिए, ताकि उन पर रंगों का बुरा असर न पड़े. रंगों को साफ़ करने के लिए गुनगुने पानी का इस्तेमाल करना चाहिए. अगर आंख में रंग पड़ गया है, तो फ़ौरन इसे बहते हुए नल से धो लेना चाहिए. रंग में में रसायनिक तत्व होंगे, तो इससे आंखों में हल्की एलर्जी होगी या फिर बहुत तेज़ जलन होने लगेगी. व्यक्ति को एलर्जी की समस्या, कैमिकल बर्न, कॉर्नियल एब्रेशन और आंखों में ज़ख़्म की समस्या हो सकती है. होली के दौरान आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले ज़्यादातर रंग हल्के लाल रंग के होते हैं और इसका असर 48 घंटे तक रहता है. अगर साफ़ दिखाई न दे, तो मरीज़ को फ़ौरन इमरजेंसी में दाख़िल कराया जाना चाहिए.

होली पर भांग और शराब का सेवन आम है. चिकित्सकों के मुताबिक़ भांग के सेवन की वजह से दिल की धड़कन और ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है, जिससे मस्तिष्क को नुक़सान पहुंचने का ख़तरा बना रहता है. भांग से से मानसिक संतुलन बिगड़ सकता है, जिससे व्यक्ति ख़ुद को संभाल नहीं पाता. शराब पीने वालों के साथ भी अकसर ऐसा होता है. ज़्यादा शराब पीने के बाद व्यक्ति अपनी सुधबुध खो बैठता है. इसकी वजह से सड़क हादसे का खतरा भी बढ़ जाता है.
होली प्रेम का पावन पर्व है, इसलिए इसे सावधानी पूर्वक प्रेमभाव के साथ ही मनाना चाहिए.


फ़िरदौस ख़ान का फ़हम अल क़ुरआन पढ़ने के लिए तस्वीर पर क्लिक करें

या हुसैन

या हुसैन

फ़िरदौस ख़ान की क़लम से

Star Web Media

सत्तार अहमद ख़ान

सत्तार अहमद ख़ान
संस्थापक- स्टार न्यूज़ एजेंसी

ई-अख़बार पढ़ें

ब्लॉग

  • सालगिरह - आज हमारी ईद है, क्योंकि आज उनकी सालगिरह है. और महबूब की सालगिरह से बढ़कर कोई त्यौहार नहीं होता. अगर वो न होते, तो हम भी कहां होते. उनके दम से ही हमारी ज़...
  • Thank Allah - When we are happy in our life, thank us Allah and celebrate. And when we are unhappy in our life, say thank us Allah and grow. Allah's mercy is greater t...
  • Life - Life is most difficult exam for everyone. Many people fail because they try to copy others. They not realizing that everyone has a different question pap...
  • میرے محبوب - بزرگروں سے سناہے کہ شاعروں کی بخشش نہیں ہوتی وجہ، وہ اپنے محبوب کو خدا بنا دیتے ہیں اور اسلام میں اللہ کے برابر کسی کو رکھنا شِرک یعنی ایسا گناہ مانا جات...
  • हमारा जन्मदिन - कल यानी 1 जून को हमारा जन्मदिन है. अम्मी बहुत याद आती हैं. वे सबसे पहले हमें मुबारकबाद दिया करती थीं. वे बहुत सी दुआएं देती थीं. उनकी दुआएं हमारे लिए किस...
  • 25 सूरह अल फ़ुरक़ान - सूरह अल फ़ुरक़ान मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 77 आयतें हैं. *अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है*1. वह अल्लाह बड़ा ही बाबरकत है, जिसने हक़ ...
  • ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ - ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ ਕਿਤੋਂ ਕਬੱਰਾਂ ਵਿਚੋਂ ਬੋਲ ਤੇ ਅੱਜ ਕਿਤਾਬੇ-ਇਸ਼ਕ ਦਾ ਕੋਈ ਅਗਲਾ ਵਰਕਾ ਫੋਲ ਇਕ ਰੋਈ ਸੀ ਧੀ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਤੂੰ ਲਿਖ ਲਿਖ ਮਾਰੇ ਵੈਨ ਅੱਜ ਲੱਖਾਂ ਧੀਆਂ ਰੋਂਦੀਆਂ ਤ...

एक झलक

Followers

Search

Subscribe via email

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

साभार

इसमें शामिल ज़्यादातर तस्वीरें गूगल से साभार ली गई हैं