डॉ. फ़िरदौस ख़ान

Posted Star News Agency Sunday, March 17, 2019


फ़िरदौस ख़ान एक इस्लामी विद्वान, शायरा, कहानीकार, निबंधकार, पत्रकार, सम्पादक और अनुवादक हैं। उन्हें फ़िरदौस ख़ान को लफ़्ज़ों के जज़ीरे की शहज़ादी के नाम से जाना जाता है। वे उर्दू, हिन्दी, अंग्रेज़ी, पंजाबी और अरबी सहित कई भाषाओं की जानकार हैं।

उन्होंने दूरदर्शन केन्द्र, आकाशवाणी और देश के प्रतिष्ठित समाचार-पत्रों व पत्रिकाओं में कई वर्षों तक काम किया है। उन्होंने अनेक साप्ताहिक समाचार-पत्रों और पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया है। वे दूरदर्शन केन्द्र और आकाशवाणी की प्रख्यात प्रसारक, दूरदर्शन केन्द्र के समाचार अनुभाग की प्रख्यात सम्पादक और आकाशवाणी की प्रसिद्ध कम्पेयर रही हैं। इसके अलावा उन्होंने कई समाचार चैनलों में भी अपनी प्रतिभा का योगदान दिया है। उन्होंने कई वृत्तचित्र, टेलीविज़न नाटक और रेडियो नाटक भी लिखे हैं। वे देश-विदेश के विभिन्न समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं, पुस्तकों, समाचार और फ़ीचर एजेंसियों के लिए लिखती हैं।

उत्कृष्ट पत्रकारिता, कुशल सम्पादन और श्रेष्ठ लेखन के लिए उन्हें अनेक पुरस्कारों ने नवाज़ा जा चुका है. उन्हें डॉक्टर ऑफ़ फ़िलॉसफ़ी की मानद उपाधि से भी सम्मानित किया गया है। वे मुशायरों और कवि सम्मेलनों में भी शिरकत करती रही हैं। कई बरसों तक उन्होंने हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की तालीम भी ली. वे उर्दू, हिन्दी, पंजाबी और इंग्लिश में लिखती हैं. वे मासिक पैग़ामे-मादरे-वतन की सम्पादक और मासिक वंचित जनता में सम्पादकीय सलाहकार भी रही हैं। 'स्टार न्यूज़ एजेंसी' और 'स्टार वेब मीडिया' नाम से उनके दो न्यूज़ पॉर्टल भी हैं।

वे रूहानियत में यक़ीन रखती हैं। उन्होंने फ़हम अल क़ुरआन लिखा है। ये उनकी ज़िन्दगी का शाहकार है, जो इंशा अल्लाह रहती दुनिया तक लोगों को अल्लाह के पैग़ाम से रूबरू करवाता रहेगा। वे सूफ़ी सिलसिले से जुड़ी हैं। उन्होंने सूफ़ी-संतों के जीवन दर्शन पर आधारित एक किताब 'गंगा-जमुनी संस्कृति के अग्रदूत' लिखी है, जिसे साल 2009 में प्रभात प्रकाशन समूह के ‘ज्ञान गंगा’ ने प्रकाशित किया था। वे अपनी अम्मी मरहूमा ख़ुशनूदी ख़ान उर्फ़ चांदनी ख़ान को अपना पहला मुर्शिद और अपने अब्बू मरहूम सत्तार अहमद ख़ान को अपना दूसरा मुर्शिद मानती हैं। 

वे कहती हैं कि हमारी ज़िन्दगी का मक़सद ख़ुदा की रज़ा हासिल करना है। हमारा काम इसी मंज़िल तक पहुंचने का रास्ता है, इसी क़वायद का एक हिस्सा है। कायनात की फ़ानी चीज़ों में हमें न पहले कभी दिलचस्पी थी और न आज है और कभी होगी। फ़हम अल क़ुरआन लिखते वक़्त हमें इस बात का अहसास हुआ कि हमने अपनी ज़िन्दगी फ़ानी चीज़ों के लिए ज़ाया नहीं की। बचपन से ही हमारी दिलचस्पी इबादत और रूहानी इल्म हासिल करने में ही रही है। 

वे बलॉग भी लिखती हैं। उनके कई बलॉग हैं। फ़िरदौस डायरी और मेरी डायरी उनके हिंदी के बलॉग है। हीर पंजाबी का बलॉग है। जहांनुमा उर्दू का बलॉग है और द प्रिंसिस ऑफ़ वर्ड्स अंग्रेज़ी का बलॉग है। राहे-हक़ उनका रूहानी तहरीरों का बलॉग है। उन्होंने राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम का पंजाबी अनुवाद किया है। 

उनकी शायरी किसी को भी अपना मुरीद बना लेने की तासीर रखती है। मगर जब वे हालात पर तब्सिरा करती हैं, तो उनकी क़लम तलवार से भी ज़्यादा तेज़ हो जाती है। जहां उनकी शायरी में इबादत, इश्क़, समर्पण, रूहानियत और पाकीज़गी है, वहीं उनके लेखों में ज्वलंत सवाल मिलते है, जो पाठक को सोचने पर मजबूर कर देते हैं। अपने बारे में वे कहती हैं-
नफ़रत, जलन, अदावत दिल में नहीं है मेरे
अख़लाक़ के सांचे में अल्लाह ने ढाला है…
वे ये भी कहती हैं-
मेरे अल्फ़ाज़, मेरे जज़्बात और मेरे ख़्यालात की तर्जुमानी करते हैं, क्योंकि मेरे लफ़्ज़ ही मेरी पहचान हैं...

अपडेट 10 जून 2025


أنا أحب محم صَلَّى ٱللّٰهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ

أنا أحب محم صَلَّى ٱللّٰهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ
I Love Muhammad Sallallahu Alaihi Wasallam

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