प्रदीप हरित
कैथल (हरियाणा) जब से कांग्रेस कोर कमेटी के सदस्य और कैथल से विधायक रणदीप सुरजेवाला को पार्टी में राष्ट्रीय प्रवक्ता की जिक्वम्मेदारी मिली है तब से वे दिल्ली के होकर रह गए हैं। हरियाणा में ही नहीं बल्कि देश भर में अब उनका नाम बड़े नेताओं में है। वर्ष 2009 में कैथल विधान सभा से चुनाव जीतने के बाद रणदीप सुरजेवाला को प्रदेश सरकार मे मंत्री पद मिला। इस दौरान वे कैथल में लगातार आते रहे और पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलते रहे। इसके बाद 2014 में भी मोदी लहर के बावजूद वे करीब 23 हजार वोटों के बड़े अंतर से चुनाव जीते। इस बीच वे लगातार कार्यकर्ताओं से जुड़े रहे। वे हर शनिवार और रविवार को कैथल आते रहे और कार्यकर्ताओं और समर्थकों के संपर्क में रहे लेकिन जब से उन्हें पार्टी में राष्ट्रीय प्रवक्ता की जिक्वम्मेदारी मिली है तब से उनका कैथल से संपर्क कम होता गया। वे अधिकतर समय दिल्ली में रहने लगे और राष्टï्रीय प्रवञ्चता की जिक्वमेदारी निभाने लगे। हालांकि केन्द्रीय जिक्वमेदारी मिलने से उनका सियासी कद बढ़ा है लेकिन अपने चुनावी हल्के से दूरी उनके हित में नहीं है। इधर अधिकतर समय दिल्ली में बिताने से वे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के नजदीक होते गए। दिल्ली में अधिक समय रहने और कार्यकर्ताओं से दूरी होने के कारण कार्यकर्ता अब उनसे विमुख होने लगे हैं। सुरजेवाला की एक और कमी कार्यकर्ताओं और उनके समर्थकों को खलने लगी है कि वे अपने निवास पर मौजूद रहने के बावजूद समर्थकों को घंटों इंतजार करवाते हैं। जब भी वे यहां आते हैं तो उनके निवास पर समर्थकों की भारी भीड़ लग जाती है लेकिन वे उन्हें ज्यादा महत्व नहीं देते। यदि उन्हें किसी कार्यक्रम में बुलाया जाए तो वहां भी देरी से पहुंचते हैं। संभवत: जींद उप चुनाव में भी उनकी हार का यहीं कारण रहा ञ्चयोंकि तब भी तब भी कार्यकर्ताओं ने उन्हें चुनाव लडऩे से मना किया था लेकिन केन्द्रीय नेतृत्व का हवाला देते हुए वे चुनावी दंगल में कूद गए। अब सुरजेवाला को आने वाले समय में मुख्क्चयमंत्री के रूप में देखा जा रहा है। अब तीन महीने बाद हरियाणा विधान सभा का चुनाव आ रहा है। इस चुनाव के लिए उन्हें कार्यकर्ताओं से नजदीकी बनानी होगी। ऐसा ना हो कि शीर्ष नेताओं से नजदीकी और कार्यकर्ताओं से दूरी का खामियाजा उन्हें आगामी चुनाव में भुगतना पड़े।

ईद मिलाद उन नबी की मुबारकबाद

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