विदेश मंत्रालय में सहायक निदेशक मोहन लाल लोदवाड़ ने जल शक्ति मंत्रालय के निदेशक विजय सिंह मीणा के कहानी संग्रह 'रहना नहीं देश बिराना है' की समीक्षा की है. इस समीक्षा को ज्यों का त्यों पेश किया जा रहा है-  

देहात का सजीव चित्रण  
आठ बेहतरीन कहानियों वाली इस किताब में कुल 117 पृष्ठ हैं। यह पुस्तक विशाल हृदय के धनी प्रिय लेखक, कवि मित्र और लोक साहित्य के सिद्धहस्त लोकप्रिय कथाकार ने स्वयं अपने कर कमलों से 11 जुलाई, 2015 को मुझे भेंट की। तब से लेकर आज तक मैं इसे तीन बार पढ़ चुका हूँ। 
इन सभी कहानियों में गाँव और देहात का सजीव और जीवंत लोक चित्रण हैं। इन कहानियों में कहीं भी आपको विद्वता और पंडिताई के कठिन और बोझिल, नकली तथा बनाबटी शब्द और वाक्य पढ़ने को नहीं मिलेंगे। इस किताब में इतनी सरल-सुबोध और प्रचलित लोक भाषा का प्रयोग किया गया है कि आपको कहीं भी अटकना नहीं पड़ेगा।
जब लोक साहित्य की बात उठती है तो उसके साहित्य में लोकोक्तियों, स्थानीय बोलियों, उप-बोलियों और भाषाओं में प्रचलित कथनों और शब्दों का प्रयोग होना लाजिमी है। ये सब गुण इस किताब में आपको पढ़ने को बखूबी मिलेंगे। इन विशेषताओं के कारण ही यह पुस्तक इतनी रुचिकर, पठनीय और संग्रहणीय बन पड़ी है कि आपको सशरीर देहात की सेर कराती प्रतीत होती है। 
जैसा कि लेखक ने अपने आत्मकथ्य में उद्धृत किया है कि भारत की आत्मा गाँवों में बसती है। यह पुस्तक इस तथ्य को सही साबित करती है। कथाकार ने यह भी उल्लेख किया है कि मेरी कहानियों का मूल उद्गम राजस्थान के मीणा आदिवासी समाज से ही है। जैसा कि आप जानते हैं कि मीणा आदिवासी समुदाय पूरे राजस्थान में फैला हुआ है और उसकी बहुसंख्यक आबादी राजस्थान के पूर्वी भूभाग में निवास करती है। इस किताब की सभी कहानियों की पृष्ठभूमि इसी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती है। 
इस कहानी संग्रह में एक से बढ़कर एक कहानियां हैं। मेरी नजर में 'रहना नहीं देश बिराना है' नामक कहानी हिंदी साहित्य की एक कालजयी कहानी है। यह कहानी समाज में उपेक्षित जीवन जीने को मजबूर अविवाहित (रंडुओ) नागरिकों की सामाजिक स्थिति, परिवारजनों और समाज द्वारा उनका बेवजह उत्पीड़न, उपहास और उनके मानसिक द्वंद को उजागर करती है। ऐसे व्यक्तियों के लिए समाज में प्रचलित लोकोक्तियों, लोक गीतों और उनके जीवननिर्वाह के साधनों का जीता जागता उदाहरण प्रस्तुत किया गया है। इसके बाद, 'पाहन पूजे हरि मिले'; 'दूध की लालसा' और 'दाव-पेच' जैसी बेहतरीन कहानियां आपको ताउम्र याद रहेंगी। इसके अलावा, नीबू का पेड़; बाप बड़ा न भैया सबसे बड़ा रुपैया; एक चोर की मौत तथा तुक्का जैसी पठनीय और मनोविनोद की श्रेष्ठ कहानियां हैं। 
इन कहानियों को ग्रामीण परिवेश में रहे बिना और जिए बिना कोई लिख ही नहीं सकता। मिथकीय और काल्पनिक पृष्ठभूमि पर आप दिमागी कसरत से कहानी लिख सकते हैं लेकिन ऐसी कहानियां बिना किसी अनुभव के लिखना असंभव है। यह पूर्वी राजस्थान प्रदेश के भूभाग और मीणा आदिवासी समुदाय के सामाजिक जीवन का एक जीवंत और प्रामाणिक दस्तावेज है। 
देहाती परिवेश और अशिक्षा, गरीबी, बेरोजगारी के कुचक्र तथा जीवननिर्वाह के सीमित अवसरों के मध्य गुजर-बसर करने वाले मीणा समुदाय की जिंदगी का दिग्दर्शन इन कहानियों में मिलेगा। प्रेमचंद, फणीश्वरनाथ रेणु, रांगेय राघव और चरण सिंह पथिक जैसे बड़े लेखकों की परछाई इन कहानियों में दृष्टव्य है। इन कहानियों में एक तरफ समाज के रीति-रिवाज, मान्यताएं, उत्सव, पर्व और त्योहारों का उल्लास मिलेगा तो दूसरी ओर विभिन्न कुरीतियों, अंधविश्वासों और छल, कपट, प्रपंच, लालच, ईर्ष्या और बदले की भावना के विद्रूप चेहरे नजर आएंगे।  
अगर आप अच्छी और वास्तविक कहानियां पढ़ना चाहते हैं, देश के विभिन्न हिस्सों में बोली जाने वाली बोलियों और भाषाओं को सीखना चाहते हैं और अपने भाषाई कौशल को निखारना और समृद्ध करना चाहते हैं तथा राजस्थान राज्य के गठन से लेकर अब तक पूर्वी राजस्थान के भूभाग की उपेक्षा से वाकिफ होना चाहते हैं तो आपको इससे बेहतरीन और कोई दूसरी किताब देखने और पढ़ने को नहीं मिलेगी। 
यह मेरी श्रेष्ठ संग्रहणीय किताबों में से एक है। हालांकि, मुझे इस किताब में टंकण संबंधी अशुद्धियों ने तंग किया।
-मोहन लाल लोदवाड़

पुस्तक: रहना नहीं देश बिराना है (कहानी संग्रह)
कथाकार: श्री विजय सिंह मीणा, निदेशक, जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली
प्रकाशक: ज्योतिपर्व प्रकाशन, गाज़ियाबाद
मूल्य: पेपरबैक: 129 रुपये; हार्डबैक: 249 रुपये

ईद मिलाद उन नबी की मुबारकबाद

ईद मिलाद उन नबी की मुबारकबाद

फ़िरदौस ख़ान की क़लम से

Star Web Media

ई-अख़बार पढ़ें

ब्लॉग

  • सूफ़ियाना बसंत पंचमी... - *फ़िरदौस ख़ान* सूफ़ियों के लिए बंसत पंचमी का दिन बहुत ख़ास होता है... हमारे पीर की ख़ानकाह में बसंत पंचमी मनाई गई... बसंत का साफ़ा बांधे मुरीदों ने बसंत के गीत ...
  • ग़ुज़ारिश : ज़रूरतमंदों को गोश्त पहुंचाएं - ईद-उल-अज़हा का त्यौहार आ रहा है. जो लोग साहिबे-हैसियत हैं, वो बक़रीद पर क़्रुर्बानी करते हैं. तीन दिन तक एक ही घर में कई-कई क़ुर्बानियां होती हैं. इन घरों म...
  • Rahul Gandhi in Berkeley, California - *Firdaus Khan* The Congress vice president Rahul Gandhi delivering a speech at Institute of International Studies at UC Berkeley, California on Monday. He...
  • میرے محبوب - بزرگروں سے سناہے کہ شاعروں کی بخشش نہیں ہوتی وجہ، وہ اپنے محبوب کو خدا بنا دیتے ہیں اور اسلام میں اللہ کے برابر کسی کو رکھنا شِرک یعنی ایسا گناہ مانا جات...
  • देश सेवा... - नागरिक सुरक्षा विभाग में बतौर पोस्ट वार्डन काम करने का सौभाग्य मिला... वो भी क्या दिन थे... जय हिन्द बक़ौल कंवल डिबाइवी रश्क-ए-फ़िरदौस है तेरा रंगीं चमन त...
  • 25 सूरह अल फ़ुरक़ान - सूरह अल फ़ुरक़ान मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 77 आयतें हैं. *अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है*1. वह अल्लाह बड़ा ही बाबरकत है, जिसने हक़ ...
  • ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ - ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ ਕਿਤੋਂ ਕਬੱਰਾਂ ਵਿਚੋਂ ਬੋਲ ਤੇ ਅੱਜ ਕਿਤਾਬੇ-ਇਸ਼ਕ ਦਾ ਕੋਈ ਅਗਲਾ ਵਰਕਾ ਫੋਲ ਇਕ ਰੋਈ ਸੀ ਧੀ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਤੂੰ ਲਿਖ ਲਿਖ ਮਾਰੇ ਵੈਨ ਅੱਜ ਲੱਖਾਂ ਧੀਆਂ ਰੋਂਦੀਆਂ ਤ...

एक झलक

Followers

Search

Subscribe via email

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

साभार

इसमें शामिल ज़्यादातर तस्वीरें गूगल से साभार ली गई हैं