फ़िरदौस ख़ान
भारतीय जनता पार्टी की आईटी सेल के लोग और नेता कांग्रेस नेताओं को कितना ही बुरा कहें, लेकिन उनके आक़ाओं को कांगेस नेताओं की तारीफ़ करनी ही पड़ती है. अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज नये संसद भवन में लोकसभा को संबोधित करते हुए देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को याद किया. नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये भवन नया है, यहां सबकुछ नया है, सारी व्यवस्थाएं नई हैं, यहां तक आपके सब साथियों को भी आपने एक नये रंग-रूप के साथ प्रस्तुत किया है. सब कुछ नया है लेकिन यहां पर कल और आज को जोड़ती हुई एक बहुत बड़ी विरासत का प्रतीक भी मौजूद है, वो नया नहीं है, वो पुराना है. और वो आज़ादी की पहली किरण का स्वयं साक्षी रहा है जो आज अभी हमारे बीच उपस्थित है. वो हमारे समृद्ध इतिहास को जोड़ता है और जब आज हम नये सदन में प्रवेश कर रहे हैं, संसदीय लोकतंत्र का जब ये नया गृह प्रवेश हो रहा है तो यहां पर आज़ादी की पहली किरण का साक्षी, जो आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरणा देने वाला है, वैसा पवित्र सैंगोल और ये वो सैंगोल है जिसको भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू का स्पर्श हुआ था, ये पंडित नेहरू के हाथों में पूजाविधि कर-करके आज़ादी के पर्व का प्रारम्भ हुआ था. और इसलिए एक बहुत महत्वपूर्ण अतीत को उसके साथ ये सैंगोल हमें जोड़ता है. तमिलनाडु की महान परम्परा का वो प्रतीक तो है ही देश को जोड़ने का भी, देश की एकता का भी वो प्रतीक है. और हम सभी माननीय सांसदों को हमेशा जो पवित्र सैंगोल पंडित नेहरू के हाथ में शोभा देता था वो आज हम सबकी प्रेरणा का कारण बन रहा है, इससे बड़ा गर्व क्या हो सकता है.   

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा को संबोधित करते हुए कहा कि नये संसद भवन का ये प्रथम और ऐतिहासिक सत्र है. मैं सभी माननीय सांसदों को और सभी देशवासियों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं.  

आज प्रथम दिवस के प्रथम सत्र में नये सदन में आपने मुझे बात रखने के लिए अवसर दिया है इसलिए मैं आपका बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं. इस नये संसद भवन में मैं आप सभी माननीय सांसदों का भी हृदय से स्वागत करता हूं. ये अवसर कई माइनो में अभूतपूर्व है. आज़ादी के अमृतकाल का ये उषाकाल है और भारत अनेक सिद्धियों के साथ नये संकल्प लेकर के, नये भवन में अपना भविष्य तय करने के लिए आगे बढ़ रहा है. विज्ञान जगत में चंद्रयान-3 की गगनचुंबी सफलता हर देशवासी को गर्व से भर देती है. भारत की अध्यक्षता में G-20 का असाधारण आयोजन विश्व में इच्छित प्रभाव इस अर्थ में ये अद्वितीय उपलब्धियां हासिल करने वाला एक अवसर भारत के लिए बना. इसी आलोक में आज आधुनिक भारत और हमारे प्राचीन लोकतंत्र का प्रतीक नये संसद भवन का शुभारम्भ हुआ है. सुखद संयोग है कि गणेश चतुर्थी का शुभ दिन है. गणेश जी शुभता और सिद्धी के देवता है, गणेश जी विवेक और ज्ञान के भी देवता है. इस पावन दिवस पर हमारा ये शुभारंभ संकल्प से सिद्धी की ओर एक नये विश्वास के साथ यात्रा को आरम्भ करने का है. 

आज़ादी के अमृतकाल में हम जब नये संकल्पों को लेकर चल रहे हैं तब, अब जब गणेश चतुर्थी का पर्व आज है तब लोकमान्य तिलक की याद आना बहुत स्वाभाविक है. आज़ादी के आन्दोलन में लोकमान्य तिलक जी ने गणेश उत्सव को एक सार्वजनिक गणेश उत्सव के रूप में प्रस्थापित करके पूरे राष्ट्र में स्वराज्य की आहलेख जगाने का माध्यम बनाया था. लोकमान्य तिलक जी ने गणेश पर्व से स्वराज्य की संकल्पना को शक्ति दी उसी प्रकास से आज ये गणेश चतुर्थी का पर्व, लोकमान्य तिलक जी ने स्वतंत्र भारत स्वराज्य की बात कही थी. आज हम समृद्ध भारत गणेश चतुर्थी के पावन दिवस पर उसकी प्रेरणा के साथ आगे बढ़ रहे हैं. सभी देशवासियों को इस अवसर पर फिर एक बार मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं.         

आज संवत्सरी का भी पर्व है ये अपने आप में एक अद्भुत परम्परा है इस दिन को एक प्रकार से क्षमावाणी का भी पर्व कहते है. आज मिच्छामी दुक्कड़म कहने का दिन है, ये पर्व मन से, कर्म से, वचन से अगर जाने अनजाने किसी को भी दुख पहुंचाया है तो उसकी क्षमायाचना का अवसर है. मेरी तरफ़ से भी पूरी विनम्रता के साथ, पूरे हृदय से आप सभी को, सभी सांसद सदस्यों को और सभी देशवासियों को मिच्छामी दुक्कड़म. आज जब हम एक नई शुरुआत कर रहे हैं तब हमें अतीत की हर कड़वाहट को भुलाकर आगे बढ़ना है. स्पिरिट के साथ जब हम यहां से, हमारे आचरण से, हमारी वाणी से, हमारे संकल्पों से जो भी करेंगे, देश के लिए, राष्ट्र के एक-एक नागरिक के लिए वो प्रेरणा का कारण बनना चाहिए और हम सबको इस दायित्व को निभाने के लिए भरसक प्रयास भी करना चाहिए.

ये भवन नया है, यहां सबकुछ नया है, सारी व्यवस्थाएं नई हैं, यहां तक आपके सब साथियों को भी आपने एक नये रंग-रूप के साथ प्रस्तुत किया है. सब कुछ नया है लेकिन यहां पर कल और आज को जोड़ती हुई एक बहुत बड़ी विरासत का प्रतीक भी मौजूद है, वो नया नहीं है, वो पुराना है. और वो आज़ादी की पहली किरण का स्वयं साक्षी रहा है जो आज अभी हमारे बीच उपस्थित है. वो हमारे समृद्ध इतिहास को जोड़ता है और जब आज हम नये सदन में प्रवेश कर रहे हैं, संसदीय लोकतंत्र का जब ये नया गृह प्रवेश हो रहा है तो यहां पर आज़ादी की पहली किरण का साक्षी, जो आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरणा देने वाला है, वैसा पवित्र सैंगोल और ये वो सैंगोल है जिसको भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू का स्पर्श हुआ था, ये पंडित नेहरू के हाथों में पूजाविधि कर-करके आज़ादी के पर्व का प्रारम्भ हुआ था. और इसलिए एक बहुत महत्वपूर्ण अतीत को उसके साथ ये सैंगोल हमें जोड़ता है. तमिलनाडु की महान परम्परा का वो प्रतीक तो है ही देश को जोड़ने का भी, देश की एकता का भी वो प्रतीक है. और हम सभी माननीय सांसदों को हमेशा जो पवित्र सैंगोल पंडित नेहरू के हाथ में शोभा देता था वो आज हम सबकी प्रेरणा का कारण बन रहा है, इससे बड़ा गर्व क्या हो सकता है.   
      
नये संसद भवन की भव्यता, आधुनिक भारत के महिमा को भी मंडित करती है. हमारे श्रमिक, हमारे इंजीनियर्स, हमारे कामगारों उनका पसीना इसमें लगा है और कोरोना काल में भी उन्होंने जिस लगन से इस काम को किया है क्योंकि मुझे कार्य जब चल रहा था तब उन श्रमिकों के बीच आने का बार-बार मौक़ा मिलता था और ख़ासकर के मैं उनके स्वास्थ्य को लेकर के उनसे मिलने आता था लेकिन ऐसे समय भी उन्होंने इस बहुत बड़े सपने को पूरा किया. आज मैं चाहूंगा कि हम सब हमारे उन श्रमिकों का, हमारे उन कामगारों का, हमारे इंजीनियर्स का हृदय से धन्यवाद करें. क्योंकि उनके द्वारा ये निर्मित भाविक पीढ़ियों को प्रेरणा देने वाला है. और 30 हज़ार से ज़्यादा श्रमिक बंधुओं ने परिश्रम किया है, पसीना बहाया है इस भव्य व्यवस्था को खड़ी करने के लिए और कई पीढ़ियों के लिए ये बहुत बड़ा योगदान होने वाला है. 

मैं उन श्रमयोगियों का नमन तो करता ही हूं लेकिन एक नई परम्परा का प्रारम्भ हो रहा है, इसका मुझे अत्यंत आनंद है. इस सदन में एक डिजिटल बुक रखी गई है. जिस डिजिटल बुक में उन सभी श्रमिकों का पूरा परिचय इसमें रखा गया है, ताकि आने वाली पीढ़ियों को पता चलेगा कि हिन्दुस्तान के किस कोने से कौन श्रमिक ने आकर के इस भव्य इमारत को, यानी उनके पसीने को भी अमृत्व देने का प्रयास इस सदन में हो रहा है, ये एक नई शुरुआत है, शुभ शुरुआत है और हम सबके लिए गर्व की शुरुआत है. मैं इस अवसर पर 140 करोड़ देशवासियों की तरफ़ से, मैं इस अवसर पर लोकतंत्र की महान परम्परा की तरफ़ से हमारी इन श्रमिकों का अभिनंदन करता हूं. 

हमारे यहां कहा जाता है ‘यद भावं तद भवति’ और इसलिए हमारा भाव जैसा होता है वैसे ही कुछ घटित होता है ‘यद भावं तद भवति’ और इसलिए हम जैसी भावना करते हैं और हमने जैसी भावना करके प्रवेश किया है, मुझे विश्वास है, भावना भीतर जो होगी हम भी वैसे ही ख़ुद भी बनते जाएंगे और वो बहुत स्वाभाविक है. भवन बदला है मैं चाहूंगा भाव भी बदलना चाहिए, भावना भी बदलनी चाहिए. 

संसद राष्ट्र सेवा का सर्वोच्च स्थान है. ये संसद दलहित के लिए नहीं है, हमारे संविधान निर्माताओं ने इतनी पवित्र संस्था का निर्माण दलहित के लिए नहीं सिर्फ़ और सिर्फ़ देशहित के लिए किया है. नये भवन में हम सभी अपने वाणी से, विचार से, आचार से संविधान के जो स्पिरिट है उन मानदंडों को लेकर के नये संकल्पों के अनुसार नवी भाव को लेकर के, नई भावना को लेकर के, मैं आशा करता हूं अध्यक्ष जी आप कल भी कह रहे थे, आज भी कह रहे थे, कभी स्पष्ट कह रहे थे, कभी थोड़ा लपेट कर भी कह रहे थे हम सांसदों के व्यवहार के संबंध में, मैं मेरी तरफ़ से आपको आश्वासन देता हूं कि हमारा पूरा प्रयास रहेगा और मैं चाहूंगा कि सदन के नेता के नाते हम सभी सांसद आपकी आशा-अपेक्षा में खरे उतरें. हम अनुशासन का पालन करें देश हमें देखता है, आप जैसा दिशानिर्देश करे.      

अभी चुनाव तो दूर है और जितना समय हमारे पास बचा है इस Parliament के, मैं पक्का मानता हूं कि यहां जो व्यवहार होगा ये निर्धारित करेगा कि कौन यहां बैठने के लिए व्यवहार करता है और कौन वहां बैठने के लिए व्यवहार करता है. जो वहां ही बैठे रहना चाहता है उसका व्यवहार क्या होगा और जो जहां आकर के भविष्य में बैठना चाहता है उसका व्यवहार क्या होगा इसका फ़र्क़ बिल्कुल आने वाले महीनों में देश देखेगा और उनके बर्ताव से पता चलेगा ये मुझे पूरा विश्वास है. 
  
हमारे यहां वेदों में कहा गया है, ‘संमिच, सब्रता, रुतबा बाचंम बदत’ अर्थात हम सब एकमत होकर, एक समान संकल्पय लेकर, कल्या णकारी सार्थक संवाद करें. यहां हमारे विचार अलग हो सकते हैं, विमर्श अलग हो सकते हैं लेकिन हमारे संकल्पे एकजुट ही होते हैं, एकजुट ही रहते हैं. और इसलिए हमें उसकी एकजुटता के लिए भी भरपूर प्रयास करते रहना चाहिए.  

हमारी संसद ने राष्ट्रएहित के तमाम बड़े अवसरों पर ही इसी भावना से काम किया है. न कोई ईधर का है, न उधर का है, सब कोई राष्ट्रर के लिए करते रहे हैं. मुझे आशा है कि इस नई शुरुआत के साथ इस संवादीय के वातावरण में और इस संसद के पूरे डिबेट में हम उस भावना को जितना ज़्यादा मज़बूत करेंगे, हमारी आने वाली पीढ़ियों को अवश्य  हम प्रेरणा देंगे. संसदीय परम्प राओं की जो लक्ष्मबण रेखा है, उन लक्ष्मढण रेखा का पालन हम सबको करना चाहिए और वो स्पी कर महोदय की अपेक्षा को हमें जरूर पूरा करने की कोशिश करनी चाहिए. 

लोकतंत्र में राजनीति, नीति और शक्ति का इस्तेामाल, ये समाज में प्रभावी बदलाव का एक बहुत बड़ा माध्याम होता है. और इसलिए स्पे स हो या सपोर्ट्स हों, स्टायर्टअप हो या सेल्फ़ हेल्प ग्रुप हो, हर क्षेत्र में दुनिया भारतीय महिलाओं की ताक़त देख रही है. G20 की अध्यहक्षता women-led development की चर्चा, आज दुनिया इसका स्वातगत कर रही है, स्वी कार कर रही है. दुनिया समझ रही है कि सिर्फ़ महिलाओं के विकास की बात enough नहीं है. हमें मानव जाति की विकास यात्रा में उस नये पड़ाव को अगर प्राप्तम करना है, राष्ट्र  की विकास यात्रा में हमने नई मंज़िलों को पाना है, तो ये आवश्यपक है कि women-led development को हम बल दें और G-20 में भारत की बात को विश्वक ने स्वी कार किया है. 

महिला सशक्तिकरण की हमारी हर योजना ने महिला नेतृत्‍व करने की दिशा में बहुत सार्थक क़दम उठाए हैं. आर्थिक समावेश को ध्याणन में रखते हुए जनधन योजना शुरू की, 50 करोड़ लाभार्थियों में से भी अधिकतम महिला बैंक एकाउंट की धारक बनी हैं. ये अपने आप में बहुत बड़ा परिवर्तन भी है, नया विश्वा स भी है. जब मुद्रा योजना रखी गई, ये देश गर्व कर सकता है कि उसमें बिना बैंक गारंटी 10 लाख रुपये की लोन देने की योजना और उसका लाभ पूरे देश में सबसे ज़्यादा महिलाओं ने उठाया, महिला entrepreneur का ये पूरा वातावरण देश में नज़र आया. पीएम आवास योजना- पक्केत घर ये भी उसकी रजिस्ट्रीि ज़्यादातर महिलाओं के नाम हुई, महिलाओं का मालिकाना हक़ बना. 

हर देश की विकास यात्रा में ऐसे milestone आते हैं, जब वो गर्व से कहता है कि आज के दिन हम सब ने नया इतिहास रचा है. ऐसे कुछ पल जीवन में प्राप्त  होते हैं. 
नये सदन के प्रथम सत्र के प्रथम भाषण में, मैं बड़े विश्वावस और गर्व से कह रहा हूं कि आज के ये पल, आज का ये दिवस संवत्सहरी हो, गणेश चतुर्थी हो, उससे भी आशीर्वाद प्राप्तस करते हुए इतिहास में नाम दर्ज करने वाला समय है. हम सबके लिए ये पल गर्व का पल है. अनेक वर्षों से महिला आरक्षण के संबंध में बहुत चर्चाएं हुई हैं, बहुत वाद-विवाद हुए हैं. महिला आरक्षण को लेकर संसद में पहले भी कुछ प्रयास हुए हैं. 1996 में इससे जुड़ा बिल पहली बार पेश हुआ था. अटल जी के कार्यकाल में कई बार महिला आरक्षण का बिल पेश किया गया, कई बार. लेकिन उसे पार कराने के लिए आंकड़े नहीं जुटा पाए और उसके कारण वो सपना अधूरा रह गया. महिलाओं को अधिकार देने का, महिलाओं की शक्ति का उपयोग करने का वो काम, शायद ईश्व र ने ऐसे कई पवित्र काम के लिए मुझे चुना है. 

एक बार फिर हमारी सरकार ने इस दिशा में क़दम बढ़ाया है. कल ही कैबिनेट में महिला आरक्षण वाला जो विधेयक है उसको मंज़ूरी दी गई है. आज 19 सितम्बयर की ये तारीख़ इसीलिए इतिहास में अमरत्वे को प्राप्त  करने जा रही है. आज जब महिलाएं हर सेक्टगर में तेज़ी से आगे बढ़ रही हैं, नेतृत्वह कर रही हैं, तो बहुत आवश्यपक है कि नीति-निर्धारण में, पॉलिसी मेकिंग में हमारी माताएं, बहनें, हमारी नारी शक्ति अधिकतम योगदान दें, ज़्यादा से ज़्यादा योगदान दें. योगदान ही नहीं, वे महत्व,पूर्ण भूमिका निभाएं. 

आज इस ऐतिहासिक मौक़े पर नये संसद भवन में सदी सदन की, सदन की पहली कार्यवाही के रूप में, उस कार्यवाही के अवसर पर देश के इस नये बदलाव का आह्वान किया है और देश की नारी शक्ति के लिए सभी सांसद मिल करके नये प्रवेश द्वार खोल दें, इसका आरम्भ हम इस महत्वकपूर्ण निर्णय से करने जा रहे हैं. Women-led development के अपने संकल्प  के आगे बढ़ाते हुए हमारी सरकार आज एक प्रमुख संविधान संशोधन विधेयक प्रस्तुmत कर रही है. इस विधेयक का लक्ष्य  लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी का विस्तारर करने का है. नारी शक्ति वंदन अधिनियम - इसके माध्यंम से हमारा लोकतंत्र और मज़बूत होगा. 

मैं देश की माताओं, बहनों, बेटियों को नारी शक्ति वंदन अधिनियम के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं. मैं सभी माताओं, बहनों, बेटियों को आश्व स्ति करता हूं कि हम इस बिल को क़ानून बनाने के लिए संकल्प बद्ध हैं. मैं सदन में सभी साथियों से आग्रहपूर्वक निवेदन करता हूं, आग्रह भी करता हूं और जब एक पावन शुरुआत हो रही है, पावक विचार हमारे सामने आया है तो सर्वसम्मतति से, जब ये बिल क़ानून बनेगा तो उसकी ताक़त अनेक गुना बढ़ जाएगी. और इसलिए मैं सभी मान्यह सांसदों से, दोनों सदन के सभी मान्या सांसदों से इसे सर्वसम्म ति से पारित करने के लिए प्रार्थना करते हुए आपका आभार व्यंक्त, करता हूं. इस नये सदन के प्रथम सत्र में मुझे आपने मेरी भावनाओं को व्य्क्त  करने का अवसर दिया. बहुत-बहुत धन्येवाद. 

ईद मिलाद उन नबी की मुबारकबाद

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