ईरान यानी ईरान इस्लामी गणराज्य पश्चिमी एशिया में स्थित एक देश है. इसे साल 1935 तक फ़ारस नाम से भी जाना जाता है. इसकी राजधानी तेहरान है. यह देश पश्चिम में इराक़ और तुर्की, उत्तर-पश्चिम में अज़रबैजान और आर्मीनिया, उत्तर में कैस्पियन सागर, उत्तर-पूर्व में तुर्कमेनिस्तान, पूर्व में अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान और दक्षिण में फ़ारस की खाड़ी और ओमान की खाड़ी से घिरा हुआ है. ईरान दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है.
इस्लामी क्रांति के बाद ईरान में बड़ा बदलाव आया. इस्लामी क्रांति से पहले ईरान में मातृ मृत्यु दर 274 प्रति 100,000 थी, लेकिन अब यह 16 प्रति 100,000 हो गई है.
शिशु मृत्यु दर भी 82 प्रति 1,000 से 11 प्रति 1,000 हो गई है।विश्व बैंक के अनुसार, पहलवी शासन के दौरान, सालाना 140,000 से अधिक शिशुओं की मृत्यु हो जाती थी, जो हाल के वर्षों में 20,000 से कम हो गई है.
इस्लामी क्रांति से पहले, 37 प्रतिशत शहरों में अस्पतालों और चिकित्सा केंद्रों तक पहुंच थी, लेकिन अब यह आंकड़ा 97 प्रतिशत से अधिक हो गया है.
ईरान में अस्पताल के बिस्तरों की संख्या 50,000 से बढ़कर 150,000 हो गई है.
इस्लामी क्रांति से पहले देश में प्रति 10,000 लोगों पर 3 डॉक्टर थे, लेकिन अब यह आंकड़ा प्रति 10,000 पर 16 डॉक्टरों तक पहुंच गया है.
डॉक्टरों की संख्या में लगभग 12 गुना वृद्धि हुई है. क्रांति से पहले, सामान्य चिकित्सकों और विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों सहित लगभग 14,000 चिकित्सक थे, जिनमें एक महत्वपूर्ण हिस्सा विदेशी डॉक्टरों का था.
अब ईरान में 160,912 चिकित्सक हैं, जो 11 गुना से अधिक बढ़ चुके हैं.
वर्तमान में, लगभग 60,000 डॉक्टर सामान्य और चिकित्सा निवास स्तर पर अध्ययन कर रहे हैं. अगर हम इनको देश में डॉक्टरों की संख्या में जोड़ते हैं, तो डॉक्टरों की संख्या लगभग 200,000 है. वर्तमान में, देश में विदेशी डॉक्टरों की आवश्यकता नहीं है.
ईरान में 60 प्रतिशत मेडिकल स्नातक महिलाएं हैं. डॉक्टरेट स्तर पर 52 प्रतिशत स्नातक महिलाएं हैं.
ईरान में महिला डॉक्टरों की संख्या अब 71,000 है, जो क्रांति की शुरुआत से 35 गुना अधिक है. 1983 में, तीन महिला डॉक्टर विशेषज्ञ थीं, लेकिन अब लगभग 1,600 हैं.
पहलवी शासन के दौरान, पूरे देश में चिकित्सा उपकरणों के क्षेत्र में लगभग 50 विनिर्माण कंपनियां थीं. ये कंपनियां देश की ज़रूरतों का केवल 3% आपूर्ति करने में सक्षम थीं.
इस्लामी क्रांति के बाद, 500 से अधिक चिकित्सा उपकरण कंपनियां हैं, जो देश की 80 प्रतिशत से अधिक ज़रूरतों को पूरा करती हैं.
वर्तमान में, देश में चिकित्सा उपकरण विनिर्माण इकाइयां विभिन्न वर्गों में 8,000 से अधिक प्रकार के चिकित्सा उपकरणों का उत्पादन करती हैं और उन्हें घरेलू और विदेशी बाज़ारों में आपूर्ति करती हैं.
आज ईरान पश्चिम एशिया में दवा उत्पादन में पहले स्थान पर है, और देश की 97 प्रतिशत आवश्यक दवाओं का उत्पादन घरेलू स्तर पर किया जाता है.
ईरान अब एशिया में रीकॉम्बिनेंट दवाओं का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक है. ऐसी दवाओं का उपयोग मुख्य रूप से कैंसर, कुछ वायरल रोग, मल्टीपल स्केलेरोसिस और हीमोफिलिया जैसी लाइलाज बीमारियों के उपचार में किया जाता है.
(सौजन्य–पीके रे)
तस्वीर गूगल से साभार