सहमी हुई निग़ाहों की बेचारग़ी भी देख |
लाचार-सी साँसों में ज़रा ज़िन्दगी भी देख ||
लाचार-सी साँसों में ज़रा ज़िन्दगी भी देख ||
सब कुछ है तेरे पास मगर चैन नहीं है
बेचैनियों को मारती दिल की खुशी भी देख ||
सज कर संवर कर लग रहा है खूबसूरत तू
लेकिन नदी की लहर-सी यह सादगी भी देख ||
चढ़ती हुई यह रात और खा़मोश हवायें
ऊमस बहुत है छत पे मगर चाँदनी भी देख ||
-कैलाश मनहर