स्वतन्त्रता के इस पावन पर्व पर एक गीत देश की बलिवेदी पर प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों के नाम
सौ-सौ बार नमन


आन देश की रखी दे दिए भले रक्त के कण
वीर शहीदों का अभिनन्दन सौ-सौ बार नमन
मातृभूमि की आजादी को दी अपनी काया
कब जीवन से प्यार किया ,कब व्यापी जग-माया?
पैरोँ में बिजलियाँ बाँध लीं, अंतर में ज्वाला
रक्त तुम्हारा भारत माँ के माथे का चुम्बन
कदम उठे तो भूधर काँपा ,सिंधु थरथराया
विजय-तिलक करने माथे पर सूर्य उतर आया
दुष्ट दु:शासन काँपा घिग्घी बँधी अँधेरे की
धरती पर ज्यों महाकाल का हुआ प्रबल गर्जन
कभी कहा हुंकार कि 'दूँगी प्राण नहीं झाँसी
कभी चूमकर हँसते-हँसते अपना ली फाँसी
कभी किसी डायर को यम का मार्ग दिखाया था
कभी शत्रु की छाती पर चेतक हय का नर्तन
विषधर ने फन फैलाया तो उसे कुचल डाला
मातृभूमि की ओर बढ़ा सो हाथ कतर डाला
तुमने चट्टानों के उर पर विजयकथा लिख दी
वीर शिवा के वंशज तुमको अगणित बार नमन
मन्दिर'मस्जिद,गुरुद्वारों से फिर हुंकार उठी
खेतो -खलिहानों , ठारों से फिर ललकार उठी
चौपालों , चौबारों, गलियों , पौरों,द्वारों पर
भारत की जय-जयकारों का हुआ प्रबल गर्जन
यह इतिहास लिखेगा तेरी गौरव-गाथाएँ
कल-कल कर जयघोष करेंगीं बहती सरिताएँ
अमरपुत्र तू अजर-अमर है मौत न मारेगी
फिर आएगा इसी धरा पर लिए जन्म नूतन
- डॉ. रामसनेहीलाल शर्मा 'यायावर'


أنا أحب محم صَلَّى ٱللّٰهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ

أنا أحب محم صَلَّى ٱللّٰهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ
I Love Muhammad Sallallahu Alaihi Wasallam

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