कभी मुश्किलों का सफ़र मिले
ये चराग़ हैं मेरी राह के
मुझे मंज़िलों की तलाश है
कोई हो सफ़र में जो साथ दे
मैं रुकूं जहां कोई हाथ दे
मेरी मंज़िलें अभी दूर हैं
मुझे रास्तों की तलाश है
-शबाब मेरठी
(धारावाहिक फिर वही तलाश)
ये चराग़ हैं मेरी राह के
मुझे मंज़िलों की तलाश है
कोई हो सफ़र में जो साथ दे
मैं रुकूं जहां कोई हाथ दे
मेरी मंज़िलें अभी दूर हैं
मुझे रास्तों की तलाश है
-शबाब मेरठी
(धारावाहिक फिर वही तलाश)
