प्रार्थनायें कैसे भेजी जाती हैं
हाँ,
प्रार्थनायें कैसे भेजी जाती हैं वह नहीं जानता
पर इतना आभास होता है
ज़ब माँ दूध पिलाती है बच्चे को
तो
सिर्फ़ दूध ही नहीं पिला रही होती है
बिन बोले पोर पोर से दूध में प्रार्थना बन बह रही होती है
जभी
वे तीनों गंवार साधु जिन्हें तीन पादरी प्रार्थना सिखाने आए थे नदी पार कर
थोड़ी देर बाद
प्रार्थना सीखा लौटते
उनकी नाव नदी के मझधार में थी
पादरियों को घनघोर आश्चर्य हुआ ज़ब तीनों गंवारों को नदी पर दौड़ते आते देखे
तीनों ने कहा
हुजूर आपकी सिखाई प्रार्थना भूल गए
तीनों ज्ञानी पादरियों ने पूछा
पहले कौन सी प्रार्थना करते थे
तीनों गंवार एक दूजे को देखते बोले
कुछ नहीं करते थे
रोते कहते थे
मालिक आप असीम
प्रकृति कायनात असीम
हम सीमित क्षुद्र कुछ नहीं जानते
बस
रोते बिलखते हँसते कूदते
उनको थैंक्स बोलते
उनकी बनाई हर चीज को आदर देते थैंक्स बोलते
तीनों तथाकथित ज्ञानी
बोले
आपकी प्रार्थना ही असली प्रार्थना है
बाकी बकैती है
अर्थात
प्रार्थना निर्भार करती है
लालच इच्छाओं के ग्रेवीटेशन से पार करती है
तप तूँ
निर्भार होने को
जभी समंदर बरसता
लोग मूढ़ता में थैंक्स जाने किसको कहते
समंदर के तप से अछूते रहते
प्रार्थनायें कैसे भेजी जाती हैं
वह नहीं जानता।
-नन्दलाल सिंह
