सूरज रूठा-रूठा है

Posted Star News Agency Tuesday, December 16, 2025


कोई तो सबब है,
सूरज रूठा-रूठा है...
घने कोहरे की चादर ओढ़...
छिपा बैठा है !
सर्द हवाएं बर्फ़ की माला पहने
काँप रही हैं...
मैं तन्हा,
कुछ सवालों को
आँचल में संभाले
जाने कब से चल रही हूँ ...
मेरे साथ चल रहा है...
हवाओं का एक
हैरत भरा झोंका !
मेरे पैरों के नीचे
ये ज़मीन,
जाने कहाँ से निकली है ?
जाने कहाँ मुड़ेगी ?
मेरे सिर के ऊपर का आसमां.... जाने कहाँ से आया है ?
जाने कहाँ झुकेगा ?
ये ज़मीन !
ये आसमान !
क्या कभी मिलेंगे ???
-डॉ निगार रिज़वी


أنا أحب محم صَلَّى ٱللّٰهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ

أنا أحب محم صَلَّى ٱللّٰهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ
I Love Muhammad Sallallahu Alaihi Wasallam

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सत्तार अहमद ख़ान

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