“कानपुर से प्रकाशित होने वाली पत्रिका प्रभा में सन 1923 में प्रेमचंद का एक लेख हज़रत अली शीर्षक से प्रकाशित हुआ था. यह लेख अब तक असंकलित है.” हज़रत अली की कीर्ति जितनी उज्ज्वल और चरित्र जितना आदर्श है उतना और किसी का न होगा. वह फ़क़ीर, औलिया नहीं थे. उनकी गणना राजनीतिज्ञों या विजेताओं में भी नहीं की जा सकती. लेकिन उन पर जितनी श्रद्धा है, चाहे शिया हो चाहे सुन्नी, उतनी और किसी पर नहीं. उन्हें सर्वसम्मति ने 'शेरे-ख़ुदा’, 'मुश्किल कुशा’ की...
फ़िरदौस ख़ान गेहूं की फ़सल पककर तैयार हो चुकी है. कई जगह कटाई का काम भी शुरू हो गया है. किसानों को फ़सल की कटाई से लेकर फ़सल को बाज़ार तक ले जाने में काफ़ी सावधानियां बरतने की ज़रूरत होती है. गेहूं की फ़सल की कटाई के दौरान जान और माल के नु़क़सान के अनेक मामले सामने आते रहते हैं. गेहूं की थ्रेशिंग करते वक़्त मशीन की चपेट में आने से हाथ कट जाते हैं. इसी तरह आगज़नी से खेतों में खड़ी या खलिहान में एकत्रित फ़सलें का जलकर राख हो जाती हैं. ऐसे में किसानों...
फ़िरदौस ख़ान रमज़ान का महीना बहुत ही मुक़द्दस है. इस महीने में मुसलमान रोज़े रखते हैं और अल्लाह की इबादत करते हैं. इसे इबादत का महीना भी कहा जाता है. यूं तो हर रोज़ ही अल्लाह की इबादत की जाती है, लेकिन रमज़ान में रोज़ों की वजह से इसमें इज़ाफ़ा हो जाता है. एक हदीस के मुताबिक़ अल्लाह के रसूल हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया- “अगर किसी बन्दे को रमज़ान क्या है और रमज़ान की कितनी बड़ी फ़ज़ीलत है, ये मालूम हो जाए तो वह तमन्ना करेगा कि...
फ़िरदौस ख़ान  इस्लामी तारीख़ में माहे रमज़ान की बहुत अहमियत है. इस महीने में कई ऐसे वाक़ियात हुए हैं, जो यादगार बन गए. इन वाक़ियात ने तमाम आलमों को दर्स दिया. इसी मुक़द्दस महीने में अल्लाह ने अपने रसूलों पर आसमानी किताबें और सहीफ़े नाज़िल किए. सहीफ़े अल्लाह के उन पैग़ाम को सहीफ़े कहा जाता है, जो अल्लाह के मुअज़्ज़िज़ फ़रिश्ते हज़रत जिब्रईल अलैहिस्सलाम नबियों के पास लाया करते थे. चार रसूलों को छोड़कर बाक़ी सभी नबियों पर सहीफ़े नाज़िल हुए....
फ़िरदौस ख़ानरमज़ान इबादत का महीना है. यह हिजरी कैलेंडर का नौवां महीना होता है. इस्लाम के मुताबिक़ अल्लाह तआला ने अपने बन्दों पर पांच चीज़ें फ़र्ज क़ी हैं, जिनमें कलमा, नमाज़, रोज़ा, हज और ज़कात शामिल हैं. कलमा मुसलमानों का अक़ीदा है. नमाज़ तो रोज़ाना ही पढ़ी जाती है, लेकिन रोज़े का फ़र्ज़ अदा करने का मौक़ा रमज़ान में आता है. हदीसों के मुताबिक़ रमज़ान में हर नेकी का सवाब 70 नेकियों के बराबर होता है और इस महीने में इबादत करने पर 70 गुना सवाब हासिल...
फ़िरदौस ख़ान  हर तीसरा व्यक्ति किसी न किसी प्रकार के दर्द से परेशान है. किसी के पूरे जिस्म में दर्द है, किसी की पीठ में दर्द है, किसी के घुटनों में दर्द है और किसी के हाथ-पैरों में दर्द है. हालांकि दर्द की कई वजहें होती हैं. इनमें से एक वजह यूरिक एसिड भी है.  दरअसल, यूरिक एसिड एक अपशिष्ट पदार्थ है, जो खाद्य पदार्थों के पाचन से पैदा होता है और इसमें प्यूरिन होता है. जब प्यूरिन टूटता है, तो उससे यूरिक एसिड बनता है. किडनी...
फ़िरदौस ख़ानगुर्दे की पथरी अब एक आम मर्ज़ हो गया है. पथरी की वजह से नाक़ाबिले बर्दाश्त दर्द होता है. पेशाब में जलन होती है. इसकी वजह से गुर्दों को नुक़सान हो सकता है. चिकित्सकों के मुताबिक़ पेशाब में कैल्शियम, ऑक्सालेट, यूरिक एसिड और सिस्टीन जैसे पदार्थ इकट्ठे होकर  क्रिस्टल बन जाते हैं. फिर ये क्रिस्टल गुर्दे से जुड़कर रफ़्ता-रफ़्ता पथरी का रूप इख़्तियार कर लेते हैं. इनमें 80 फ़ीसद पथरी कैल्शियम से बनी होती है और कुछ पथरी कैल्शियम ऑक्सालेट...
 फ़िरदौस ख़ानशुगर एक ऐसा मर्ज़ है, जिससे व्यक्ति की ज़िन्दगी बहुत बुरी तरह प्रभावित हो जाती है. वह अपनी पसंद की मिठाइयां, फल, आलू, अरबी और कई तरह की दूसरी चीज़ें नहीं खा पाता. इसके साथ ही उसे तरह-तरह की दवाएं भी खानी पड़ती हैं. दवा कोई भी नहीं खाना चाहता, जिसे मजबूरन खानी पड़ती हैं, इससे उसका ज़ायक़ा ख़राब हो जाता है. इससे व्यक्ति और ज़्यादा परेशान हो जाता है. पिछले कई दिनों से हम शुगर के रूहानी और घरेलू इलाज के बारे में अध्ययन कर रहे हैं. हमने...
फ़िरदौस ख़ान आज जब सब्ज़ियों के दाम आसमान छू रहे हैं और थाली में सब्ज़ियां कम होने लगी हैं. ऐसे में अगर घर में ही ऐसी सब्ज़ी का इंतज़ाम हो जाए, जो खाने में स्वादिष्ट हो और सेहत के लिए भी अच्छी हों, तो फिर क्या कहने. जी हां, हम बात कर रहे हैं सहजन की. गांव-देहात और छोटे-छोटे क़स्बों और शहरों में घरों के आंगन में सहजन के वृक्ष लगे मिल जाते हैं. बिहार की वैजयंती कहती हैं कि सहजन में ख़ूब फलियां लगती हैं. वह इसकी सब्ज़ी बनाती हैं, जिसे सभी ख़ूब चाव...
फ़िरदौस ख़ान ये कहानी है दिल्ली के ’शहज़ादे’ और हिसार की ’शहज़ादी’ की. उनकी मुहब्बत की... गूजरी महल की तामीर का तसव्वुर सुलतान फ़िरोज़शाह तुगलक़ ने अपनी महबूबा के रहने के लिए किया था...यह किसी भी महबूब का अपनी महबूबा को परिस्तान में बसाने का ख़्वाब ही हो सकता था और जब गूजरी महल की तामीर की गई होगी...तब इसकी बनावट, इसकी नक्क़ाशी और इसकी ख़ूबसूरती को देखकर ख़ुद वह भी इस पर मोहित हुए बिना न रह सका होगा... हरियाणा के हिसार क़िले में...

रमज़ान की मुबारकबाद

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