शहरोज़
बौद्ध की धरती मध्यबिहार हमेशा अभाव और विसंगतियों के लिए जाना जाता है। विकास के असमान वितरण के कारण ही असंतोष जन्म लेता है। जिसका लाभ नक्सली उठाते हैं। गया से महज़ चौसठ किलोमीटर के फ़ासले पर है आमस प्रखंड का गांव भूपनगर जहां के युवक इस बार भी अपनी शादी का सपना संजोए ही रह गए कोई उनसे विवाह को राज़ी न हुआ। वह दिल मसोस कर रह गए। वजह है उनकी विकलांगता। इनके हाथ-पैर आड़े-तिरछे हैं, दांत झड़ चुके हैं। बक़ौल अकबर इलाहाबादी जवानी में बुढ़ापा देखा! जी हां! यहां के लोग फलोरोसिस जैसी घातक बीमारी का दंश झेलने को विवश हैं। इलाज की ख़बर यह है कि हल्की सर्दी-खांसी के लिए भी इन्हें पहाड़ लांघकर आमस जाना पड़ता है। भूदान में मिली ज़मीन की खेती कैसी होगी? बराए नाम जवाब है इसका। तो जंगल से लकड़ी काटना और बेचना यही इनका रोज़गार है।

पहले लबे-जीटी रोड झरी, छोटकी बहेरा और देल्हा गांव में खेतिहर गरीब माझी परिवार रहा करता था। बड़े ज़मींदारों की बेगारी इनका पेशा था। बदले में जो भी बासी या सड़ा-गला अनाज मिलता, गुज़र-बसर करते। भूदान आंदोलन का जलवा जब जहां पहुंचा तो ज़मींदार बनिहार प्रसाद भूप ने सन् 1956 में इन्हें यहां ज़मीन देकर बसा दिया और यह भूपनगर हो गया। आज यहां पचास घर हैं। अब साक्षरता ज़रा दिखती है, लेकिन पंद्रह साल पहले अक्षरज्ञान से भी लोग अनजान थे। फलोरोसिस की ख़बर से जब प्रशासन की आंख खुली तो लीपापोती की कड़ी में एक प्राइमरी स्कूल क़ायम कर दिया गया। अचानक कोई लंगड़ा कर चलने लगा तो उसके पैर की मालिश की गई। यह 1995 की बात है। ऐसे लोंगों की तादाद बढ़ी तो ओझा के पास दौड़े। ख़बर किसी तरह ज़िला मुख्यालय पहुंची तो जांच दल के पहुंचते 1998 का साल आ लगा था जब तक ढेरों बच्चे जवान कुबड़े हो चुके थे। चिकित्सकों ने जांच के लिए यहां का पानी प्रयोगशाला भेजा। जांच के बाद जो रिपोर्ट आई उससे न सिर्फ़ गांववाले बल्कि शासन-प्रशासन के भी कान खड़े हो गए। लोग ज़हरीला पानी पी रहे हैं। गांव फलोरोसिस के चपेट में हैं। पानी में फलोराइड की मात्रा अधिक है। इंडिया इंस्टिट्यूट आफ़ हाइजीन एंड पब्लिक हेल्थ के इंजीनियरों ने भी यहां का भूगर्भीय सर्वेक्षण किया था। जल स्रोत का अध्ययन कर रिपोर्ट दी थी। और तत्कालीन जिलाधिकारी ब्रजेश मेहरोत्रा ने गांव के मुखिया को पत्र लिखकर फ़लोरोसिस की सूचना दी थी। मानो इस घातक बीमारी से छुटकारा देना मुखिया बुलाकी मांझी के बस में हो! रीढ़ की हड्डी सिकुड़ी और कमर झुकी हुई है उनकी। अब उनकी पत्नी मतिया देवी मुखिया हैं।

शेरघाटी के एक्टिविस्ट इमरान अली कहते हैं कि राज्य विधान सभा में विपक्ष के उपनेता शकील अहमद ख़ां जब ऊर्जा मंत्री थे तो सरकारी अमले के साथ भूपनगर का दौरा किया था। उन्होंने कहा था कि आनेवाली पीढ़ी को इस भयंकर रोग से बचाने के लिए ज़रूरी है कि भूपनगर को कहीं और बसाया जाए। इस गांवबदर वाली सूचना ज़िलाधिकारी दफ्तर से तत्कालीन मुखिया को दी गई थी कि गांव यहां से दो किलो मीटर दूर बसाया जाना है, लेकिन पुनर्वास की समुचित व्यवस्था न होने के कारण गांववालों ने ‘ मरेंगे जिएंगे यहीं रहेंगे ’ की तर्ज़ पर भूपनगर नहीं छोड़ा। इस बीमारी में समय से पहले रीढ़ की हड्डी सिकुड़ जाती है, कमर झुक जाती है और दांत झड़ने लगते हैं। एक अन्य व्यक्ति एस के उल्लाह ने बताया कि कुछ महीने पहले सरकार ने यहां जल शुद्धिकरण के लिए संयत्र लगाया है, लेकिन सवाल यह है कि जो लोग इस रोग के शिकार हो चुके हैं, उनके भविष्य का क्या होगा? आखि़र प्रशासन की आंख खुलने में इतनी देर क्यों होती है। वहीं मुखिया मतिया देवी की बात सच मानी जाए तो गांव अब भी इस ख़तरनाक बीमारी के चपेट में है। (स्टार न्यूज़ एजेंसी)

ईद मिलाद उन नबी की मुबारकबाद

ईद मिलाद उन नबी की मुबारकबाद

फ़िरदौस ख़ान की क़लम से

Star Web Media

ई-अख़बार पढ़ें

ब्लॉग

  • सूफ़ियाना बसंत पंचमी... - *फ़िरदौस ख़ान* सूफ़ियों के लिए बंसत पंचमी का दिन बहुत ख़ास होता है... हमारे पीर की ख़ानकाह में बसंत पंचमी मनाई गई... बसंत का साफ़ा बांधे मुरीदों ने बसंत के गीत ...
  • ग़ुज़ारिश : ज़रूरतमंदों को गोश्त पहुंचाएं - ईद-उल-अज़हा का त्यौहार आ रहा है. जो लोग साहिबे-हैसियत हैं, वो बक़रीद पर क़्रुर्बानी करते हैं. तीन दिन तक एक ही घर में कई-कई क़ुर्बानियां होती हैं. इन घरों म...
  • Rahul Gandhi in Berkeley, California - *Firdaus Khan* The Congress vice president Rahul Gandhi delivering a speech at Institute of International Studies at UC Berkeley, California on Monday. He...
  • میرے محبوب - بزرگروں سے سناہے کہ شاعروں کی بخشش نہیں ہوتی وجہ، وہ اپنے محبوب کو خدا بنا دیتے ہیں اور اسلام میں اللہ کے برابر کسی کو رکھنا شِرک یعنی ایسا گناہ مانا جات...
  • देश सेवा... - नागरिक सुरक्षा विभाग में बतौर पोस्ट वार्डन काम करने का सौभाग्य मिला... वो भी क्या दिन थे... जय हिन्द बक़ौल कंवल डिबाइवी रश्क-ए-फ़िरदौस है तेरा रंगीं चमन त...
  • 25 सूरह अल फ़ुरक़ान - सूरह अल फ़ुरक़ान मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 77 आयतें हैं. *अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है*1. वह अल्लाह बड़ा ही बाबरकत है, जिसने हक़ ...
  • ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ - ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ ਕਿਤੋਂ ਕਬੱਰਾਂ ਵਿਚੋਂ ਬੋਲ ਤੇ ਅੱਜ ਕਿਤਾਬੇ-ਇਸ਼ਕ ਦਾ ਕੋਈ ਅਗਲਾ ਵਰਕਾ ਫੋਲ ਇਕ ਰੋਈ ਸੀ ਧੀ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਤੂੰ ਲਿਖ ਲਿਖ ਮਾਰੇ ਵੈਨ ਅੱਜ ਲੱਖਾਂ ਧੀਆਂ ਰੋਂਦੀਆਂ ਤ...

एक झलक

Followers

Search

Subscribe via email

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

साभार

इसमें शामिल ज़्यादातर तस्वीरें गूगल से साभार ली गई हैं