चांदनी
नई दिल्ली. हजारों सालों से आयुर्वेद में इस्तेमाल की जाने वाली दवा ब्लड-सकिंग लीच जिसको यूएस एफडीए ने भी मान्यता दी है कि स्किन ग्राफ्ट या रीस्टोरिंग सर्कुलेशन के उपचार में प्रयोग किया जाता है। हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. बी सी राय और डॉ. के के अग्रवाल के मुताबिक डॉक्टर हजारो साल के इस विश्वास के हिसाब से इसे स्मॉल एक्वैटिक वर्म्स के तौर पर इस्तेमाल करते रहे हैं कि इससे सिरदर्द से लेकर थक्का जमने तक के उपचार में फायदा होता है। वे 1800 के आस पास इसका चिकित्सा उपचार में प्रयोग शिखर पर था।
आज पूरी दुनिया में डॉक्टर लीच का इस्तेमाल जले हुए मरीजों में त्वचा की समस्या के निदान में या फिर नसों में ब्लॉक हुए या फिर रक्त को हटाने के लिए अथवा रीस्टोर सर्कुलेशन के लिए इस्तेमाल करते हैं।
लीचेज़ का इस्तेमाल खासकर ऑपरेशन में और शरीर के अंगों जैसे उंगलियों या कानों में ज्यादा मददगार होता है। लीच से रक्त के बहाव और फिर से नसों को जोड़ने में मदद मिलती है। एफडीए ने भी लीच को एक चिकित्सा उपकरण के तौर पर मान्यता दे दी है।
जब लीच भरना शुरू हो जाती है तो इससे इंजेक्ट सैलीवरी कम्पोनेंट्स (उदाहरण के तौर पर हिरूडिन) प्लेटलेट एग्रेशन व कोगुलेशन कैस्केड दोनों में रुकावट आ जाती है। इससे वीनस कन्जेशन में आराम मिलता है। एंटी कोग्यूलैंट की वजह से 48 घंटे तक झनझनाहट होती है लेकिन आगे चलकर राहत मिलती हे। 10 से 60 मिनट तक इसके फीड करने से लीचेज एक दो चम्मच रक्त सोख लेती है। अध्ययनों में दिखाया गया है कि मेडिकल लीच थेरेपी से सैल्वेजिंग टिश्यू में 70 से 80 फीसदी सफलता मिलती है।
सूचक
1. कमजोर वीनस ड्रेनेज (वीनस कन्जेशन/वीनस आउटफ्लो ऑब्स्ट्रक्शन)
2. सैल्वेज ऑफ वैस्कुलरी कम्प्रोमाइज्ड फ्लैप्स (मांसपेशी, त्वचार और फैट टिश्यूजो ऑपरेशन से हटाकर शरीर के एक अंग से दूसरी जगह लगाए जाते हैं)
3. नी ऑस्टियोआर्थराइटिस, आर्टि्रयल सप्लाई या टिश्यू इश्कैमिया में अपर्याप्त आपूर्ति