चांदनी
नई दिल्ली. हृदय बीमारी में भी अस्थमा जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं। आम तौर पर सांस संबंधी समस्या की वजह अस्थमा नहीं होती। मोटापा और एनीमिया दोनों की वजह से एग्जर्शनल ब्रेथलेसनेस हो सकती है। इसके अलावा अनियंत्रित रक्तचाप, डायस्टॉलिक हार्ट का डिसफंक्शन और हार्ट के बढ़ जाने से भी सांस संबंधी समस्या हो सकती है।
हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. के के अग्रवाल के मुताबिक़ अगर 40 की उम्र के बाद जिन्दगी में पहली बार किसी भी तरह की सांस संबंधी समस्या हुई हो तो जब तक कुछ और साबित न हो जाए उसे हृदय संबंधी समस्या ही मानना चाहिए।
हृदय के आराम करने के फंक्शन का असंतुलित हो जाना आज एक नई महामारी के रूप में फैल रही है, इसमें हृदय की धमनियों में किसी भी तरह का ब्लॉकेज नहीं होता मगर हृदय को पर्याप्त आराम नहीं मिल पाता।
हृदय के डायस्टॉलिक फंक्शन को टिश्यू डॉप्लर इकोकार्डियोग्राफी परीक्षण से पता लगाया जा सकता है। साधारण ईको से इसका डायग्नासिस नहीं हो पाता है क्योंकि इससे आमतौर पर हृदय के सिस्टॉलिक फंक्शन का पता लगता है।