नई दिल्ली. सामान्य वज़न के स्वस्थ पुरुषों में थोड़ा सा भी वज़न बढ़ने से क्रोनिक किडनी डिसीज (सीकेडी) का खतरा बढ़ जाता है।
जर्नल ऑफ द अमेरिकन सोसायटी ऑफ नेफ्रोलॉजी के एक अध्ययन का हवाला देते हुए बताया कि सीकेडी उन परिस्थितियों में शामिल किया जाना चाहिए जहां वज़न न बढ़ने के संबंध में मधुमेह और उच्च रक्तचाप भी शामिल होते हैं।
हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. के के अग्रवाल ने
हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. के के अग्रवाल ने
मोटापे को सीकेडी के आशंकित तथ्य के तौर पर जाना जाता है, लेकिन अब सामान्य वज़न होने पर भी बिना उच्च रक्तचाप या मधुमेह के शिकार होने को भी आशंकित तथ्य में शामिल किया गया है।
विशेषज्ञों ने ऐसे 8,792 स्वस्थ पुरुषों पर अध्ययन किया जो 30 से 59 साल के थे और ये 2002 से लेकर 2007 के बीच में सीकेडी के खतरे की गिरफ्त में थे। मोटापे का प्रचलन लगभग 33 फीसदी था। शोधकर्ताओं ने सामान्य वज़न और अत्यधिक वज़न व सीकेडी के बढ़ने के बीच जो सम्बंध पाया वह यू आकार का था।
ऐसे पुरुष जिन्होंने वज़न घटाया या बढ़ाया (0.75 किग्रा से अधिक या 1.7 पाउंड प्रतिवर्ष), उनमें सीकेडी का खतरा सबसे ज्यादा बढ़ा। जिनमें थोड़ा सा भी वज़न बढ़ा, उनमें यह खतरा बढ़ते हुए देखा गया। सबसे कम खतरा उन पुरुषों में पाया गया जिनके वज़न में हर साल बहुत ही कम यानी 0.25 किग्रा या .06 पाउंड की बढ़ोतरी या कमी हुई।
इस अध्ययन से यह बात निकलकर आती है कि ''सामान्य'' वज़न की सीमा में वज़न के बढ़ने का सम्बंध सीकेडी के बढ़ते खतरे से है और बॉडी मास इन्डेक्स में शुरुआती कमी से वज़न के बढ़ने का खास असर नहीं होता इस बीमारी से बचने का सबसे बढ़िया तरीका यही है कि वज़न को किसी भी रूप में बढ़ने न दें।