सरफ़राज़ ख़ान
नई दिल्ली.
लम्बी दूरी का
सफर करने वालों
में उनके पैरों
में ऐंठन होने
लगती है और
उनको हाइड्रेटिड रहने
के लिए पानी
की अतिरिक्त जरूरत
पड़ती है।
हार्ट
केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया
के अध्यक्ष डॉ.
के के अग्रवाल के मुताबिक़ लम्बी दूरी
का सफर कुछ
लोगों में रक्त
के थक्के की
वजह से जानलेवा
हो सकता है
और यह बढ़ते
खतरे और लम्बी
दूरी के हिसाब
से तय होता
है। कुछ लोगों
में रक्त के
थक्के के बनने
का खतरा बढ़
जाता है खासकर
उनमें जिन्होंने हाल
ही में कोई
बड़ी सर्जरी करवाई
जैसे कि ज्वाइंट
रीप्लेसमेंट
और वे महिलाएं
जो गर्भ निरोधक
दवाएं ले रही
हों।
सामान्य रूप
से भी सफर
करने का संबंध वीनस
थ्रोम्बोएम्बोलिज्म, नसों में
रक्त का थक्का
बनने जो कि अकसर टांगों
में होता है, के खतरे
को तीन गुना
कर देता है।
अगर ऐसे थक्के
की समस्या पैरों
में सफर के
दौरान हो तो
इसकी वजह से
जानलेवा स्थिति पल्मोनरी
एम्बोलिज्म
की हो सकती
है। डीहाइड्रेशन और
घंटों तक एक
ही मोड में
बैठे रहने से
कुछ लोगों में
रक्त के थक्का
बनने की समस्या
होती है।
एनल्स
ऑफ इन्टरनल मेडिसिन
में प्रकाषित 14 अध्ययनों के विश्लेषण में
जिसमें 4,000 से अधिक
वीटीई के मामलों
को शामिल किया
गया, इसमें
पाया गया कि
सफर करने वालों
में गैर सफर
करने वालों की
तुलना में तीन
गुना अधिक खतरा
रहता है। यह
खतरा ट्रिप के
हिसाब से बढ़ता
जाता है- पहले
दो घंटे के
सफर में यह 18
फीसदी बढ़ जाता
है और अगले
हर दो घंटे
के हिसाब से
इसमें 26 फीसदी की
बढ़ोतरी हो जाती
है, लेकिन इससे
घबराने की जरूरत
नहीं है क्योंकि
वास्तव में जो
सफर करने का
खतरा होता है, वह अब
भी कम है।
जो
लोग लम्बी दूरी
का सफर करते
हैं, उनको
रक्त के थक्के
के बारे में
जागरूक होना चाहिए
और इसके लक्षणों
के बारे में
जानना चाहिए। पैर
में रक्त के
थक्के के लक्षणों
में शामिल है-
दर्द, सूजन, ऐंठन और
उंगलियां का लाल
हो जाना। अगर
थक्का फेफड़ों का
हो तो इससे
अचानक सांस रुक
सकती है,
सीने में दर्द
या खांसी आने
पर खून आ
सकता है।