अतुल के. तिवारी
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आदर्शों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय
ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (नरेगा) का नाम परिवर्तित कर महात्मा गांधी नरेगा कर
दिया गया है। यह अधिनियम ग्रामीण क्षेत्रों में चालू वित्ता वर्ष के दौरान ग्रामीण
परिवारों के काम करने के इच्छुक व्यक्तियों को कम से कम 100
दिन का अकुशल ढंग का रोज़गार मुहैया कराने की गारंटी प्रदान करता
है। इस कार्यक्रम से 10
करोड़ 82
लाख से भी अधिक लोगों को लाभ पहुंचा है।
महात्मा गांधी नरेगा (एमजीएनआरईजीए) का आरंभ 2 फरवरी, 2006 को आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिलें से हुआ। इस दिन कुल मिलाकर 200 जिलों में इसे लागू किया गया। अब सरकार के मुख्य कार्यक्रम के तौर पर इसका विस्तार देश के सभी 616 ज़िलों में कर दिया गया है। मंत्रालय ने चालू वर्ष के दौरान 39,100 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रस्ताव किया है जिसमें से दिसम्बर, 2009 तक 18,950 करोड़ रुपये खर्च कर लिये गये हैं और 160 करोड़ श्रमिक दिनों का रोज़गार सृजित कर दिया गया है। महात्मा गांधी नरेगा में वित्ताीय संस्थानों को भी शामिल किया गया है। रोज़गार प्राप्त करने वाले परिवारों को डाकघर या बैंक में अपना खाता खोलना पड़ता है। मंत्रालय ने सभी राज्यों को सलाह दी है कि वे खाते के ज़रिये ही रकम का भुगतान सुनिश्चित करें। अब तक 8 करोड़ 80 लाख खाते खोले गये हैं। इस कार्यक्रम का मुख्य लाभ समाज के कमज़ोर वर्गों तक पहुंचा है। इसके अंतर्गत 30 प्रतिशत अनुसूचित जाति, 21 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति तथा 50 प्रतिशत महिलाओं को लाभ पहुंचा है।
कार्यक्षेत्र को व्यापक बनाना :-
महात्मा गांधी नरेगा (एमजीएनआरईजीए) का आरंभ 2 फरवरी, 2006 को आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिलें से हुआ। इस दिन कुल मिलाकर 200 जिलों में इसे लागू किया गया। अब सरकार के मुख्य कार्यक्रम के तौर पर इसका विस्तार देश के सभी 616 ज़िलों में कर दिया गया है। मंत्रालय ने चालू वर्ष के दौरान 39,100 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रस्ताव किया है जिसमें से दिसम्बर, 2009 तक 18,950 करोड़ रुपये खर्च कर लिये गये हैं और 160 करोड़ श्रमिक दिनों का रोज़गार सृजित कर दिया गया है। महात्मा गांधी नरेगा में वित्ताीय संस्थानों को भी शामिल किया गया है। रोज़गार प्राप्त करने वाले परिवारों को डाकघर या बैंक में अपना खाता खोलना पड़ता है। मंत्रालय ने सभी राज्यों को सलाह दी है कि वे खाते के ज़रिये ही रकम का भुगतान सुनिश्चित करें। अब तक 8 करोड़ 80 लाख खाते खोले गये हैं। इस कार्यक्रम का मुख्य लाभ समाज के कमज़ोर वर्गों तक पहुंचा है। इसके अंतर्गत 30 प्रतिशत अनुसूचित जाति, 21 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति तथा 50 प्रतिशत महिलाओं को लाभ पहुंचा है।
उपलब्धियां :-
जब से यह कार्यक्रम आरंभ किया गया तब से अब तक 640.
80
करोड़ श्रमिक दिनों का कार्य सृजित हुआ
है।
वर्ष
|
कार्य व्यक्तिदिवस (करोड़ में)
|
रोज़गार मुहैया कराये गये परिवारों की संख्या (करोड़
में)
|
2006-07
|
90.50
|
2.10
|
2007-08
|
143.59
|
3.39
|
2008-09
|
214.56
|
4.50
|
2009-10
(13 जनवरी,
2010 तक)
|
192.35
|
4.16
|
कुल
|
640.80
|
14.15
|
सामाजिक समावेश :- अ.ज./अ.ज.जा तथा महिलाएं-
वर्ष
|
अ.ज.
|
अ.ज.जा.
|
महिलाएं
|
2006-07
|
25
%
|
36
%
|
41
%
|
2007-08
|
27
%
|
29
%
|
43
%
|
2008-09
|
29.31
%
|
25.41
%
|
47.88
%
|
2009-10
(13 जनवरी,
2010 तक)
|
30.08
%
|
21.7
%
|
49.98
%
|
ग़रीबी पर प्रभाव :-
रोज़गार के अवसरों तथा मज़दूरी की दरों ने ग्रामीण क्षेत्रों में ग़रीबी कम
करने में महत्तवपूर्ण भूमिका निभाई है। महात्मा गांधी नरेगा के क्रियान्वयन के बाद
अनेक राज्यों में कृषि श्रमिकों की न्यूनतम मज़दूरी में बढ़ोत्तारी हुई
है।
आय तथा क्रयशक्ति पर प्रभाव :-
ग्रामीण क्षेत्रों में मज़दूरी दरों तथा कार्य दिवसों में वृध्दि के कारण
ग्रामीण परिवारों की आय में बढ़ोत्तारी हुई है। आय में वृध्दि के कारण ग्रामीण
परिवारों की अनाज और आवश्यक वस्तुएं खरीदने तथा शिक्षा एवं स्वास्थ्य देखभाल
प्राप्त करने की क्षमता में भी वृध्दि हुई है।
प्राकृतिक संसाधनों पर प्रभाव :-
सूखे तथा निर्जन क्षेत्राें में जलस्तर में बढ़ोत्तारी होने के कारण जल
संरक्षण तथा सूखे से निपटने से संबंधित कार्यों को महात्मा गांधी नरेगा के तहत आरंभ
किया गया है। दिसम्बर,
2009
तक इसके अंतर्गत 33.74
लाख कार्य किये गये हैं।
वित्तीय समावेश :-
महात्मा गांधी नरेगा के श्रमिकों के लिए बैंकों तथा डाकघरों में आठ करोड़
से अधिक बचत खाते खोले गये हैं।
बीमा :-
जनश्री बीमा योजना तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना को महात्मा गांधी
नरेगा में भी शामिल कर लिया गया है।
नई पहलें :-
महात्मा गांधी नरेगा को मज़बूती देने के लिए ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज
मंत्रालय ने अनेक नई पहलें आरंभ की हैं। ये पहलें विभिन्न हितधारकों से
विचार-विमर्श करने के बाद ही आरंभ की गई हैं।
मज़दूरी के तौर पर 100
रु0
:-
वर्ष 2009-10 के बजट के दौरान वित्तामंत्री के भाषण में 100 रु0 मज़दूरी के तौर पर देने की घोषणा के बाद इसे लागू करने के लिए सरकार ने
निम्नलिखित नीतियां अपनाने का निर्णय किया है :-
·
नरेगा के खंड 6(1)
के तहत संशोधित मज़दूरी दर अधिकतम 100
रु0
तक होगी। जिन राज्यों में मज़दूरी की दर
100
रु0
से अधिक है वहां यह अतिरिक्त राशि राज्य सरकार को स्वयं अपनी ओर
से देनी होगी।
·
01.01.2009 को अधिसूचित मज़दूरी दर सभी राज्यों के लिए एक समान
होगी।
·
मज़दूरी की नई दरें 01.04.2009
से या जिस दिन से भुगतान किया जाए,
जो भी बाद में हो,
से लागू होंगी।
·
महात्मा गांधी नरेगा मज़दूरी के लिए अलग से एक सूचकांक तैयार किया
जाएगा।
श्रमिकों के लिए बैंक/डाकघर खातों के ज़रिए मज़दूरी का भुगतान :-
महात्मा गांधी नरेगा के तहत श्रमिकों के लिए बैंक अथवा डाकघर खातों के
ज़रिए मज़दूरी भुगतान अनिवार्य कर दिया गया है। अब तक आठ करोड़ से भी अधिक खाते खोल
दिये गये है।
जिला स्तर पर लोकपाल :-
जिलास्तर पर लोकपाल के लिए राज्यों को दिशा-निर्देश जारी कर दिये गये
हैं। लोकपाल की नियुक्ति चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर राज्य सरकार द्वारा की
जाएगी। लोकपाल समाज का प्रख्यात एवं जाना-माना ऐसा व्यक्ति होगा जो लोक
प्रशासन,
विधिक क्षेत्र,
समाज कार्य तथा प्रबंधन के क्षेत्र में अनुभव रखता हो। यह लोकपाल
महात्मा गांधी नरेगा श्रमिकों की शिकायतों या अन्य किसी मसले पर उठाई गई शिकायतों
पर विचार करेगा और कानून के दायरे में उनका निपटान करेगा।
सामाजिक ऑडिट :-
ग्राम पंचायतों को निर्देश दिया गया है कि वे प्रत्येक छह महीने में एक
बार सामाजिक ऑडिट करें। राष्ट्रपति द्वारा अपने भाषण में व्यक्त विचारों के अनुसार
मंत्रालय ने जून 2009
से सितम्बर,
2009 तक एक अभियान की तरह सामाजिक ऑडिट करने के लिए सभी राज्यों को अधिसूचना
जारी कर दी है।
दिसम्बर,
2009 के अंत तक देशभर में किये गये सामाजिक ऑडिटों की स्थिति
:-
कुल जिले
|
जिन जिलों का ऑडिट हो गया है
|
ऑडिट जिलों का प्रतिशत
|
ग्राम पंचायतों की कुल संख्या
|
शामिल पंचायतों की संख्या
|
शामिल ग्राम पंचायतों का प्रतिशत
|
सामाजिक ऑडिटों की संख्या
|
619
|
568
|
92
|
2,49,366
|
1,88,211
|
76
|
2,18,624
|
राष्ट्रीय स्तर पर निगरानी (एनएलएम) :-
राष्ट्रीय स्तर पर निगरानी के लिए विभिन्न राज्यों में
32
एनएलएम लगाये गये है। ये मंत्रालय द्वारा चलाये जा रहे सामाजिक ऑडिट अभियान पर
विशेष निगरानी रखने के लिए लगाये गये है।
ऑनलाइन निगरानी :-
सामाजिक आडिट की निगरानी वेबसाइट के माध्यम से भी रखी जा रही है। इसके
लिए महत्तवपूर्ण सूचनाओं की जानकारी जैसे जॉब कार्ड,
मज़दूरी भुगतान,
कितने दिन रोजगार मुहैया कराया गया तथा मौजूदा जारी कार्य की सूचना आदि
भी वेबसाइट के माध्यम से उपलब्ध कराई जाती है।
ख्याति प्राप्त नागरिकों के द्वारा निगरानी :-
ख्याति प्राप्त नागरिकों द्वारा स्वतंत्र रूप से निगरानी रखने के लिए
राज्यों को दिशा-निर्देश जारी कर दिये गये हैं। योजना की प्रगति के बारे में
रिपोर्ट देने के लिए 100
प्रख्यात नागरि निगरानीकर्ताओं का एक समूह तैयार किया
जाएगा।
राज्य तथा जिलास्तर पर सतर्कता एवं निगरानी समितियां
:-
महात्मा गांधी नरेगा सहित अन्य कार्यक्रमों के क्रियान्वयन की प्रभावी
निगरानी के लिए सभी राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों में राज्यस्तर और जिलास्तर पर सतर्कता एवं निगरानी
समितियों का पुनर्गठन किया गया है।
शिकायतों के लिए राष्ट्रीय हैल्पलाईन :-
अधिनियम के तहत प्रदत्ता हकों तथा अधिकारों की रक्षा के लिए मंत्रालय ने
शिकायत दर्ज कराने तथा जानकारी हासिल करने के लिए एक राष्ट्रीय हैल्पलाईन आरंभ की
है जिसका नं0
1800110707 है। यह सी.टी. सक्षम है और इसे राज्य एवं जिलास्तर पर हैल्पलाईन से जोड़ा
गया है।
भारतीय अनन्य पहचान विकास प्राधिकरण के साथ भागीदारी
:-
महात्मा गांधी नरेगा भारतीय अनन्य पहचान विकास प्राधिकरण के साथ
भागीदारी करेगा। अनन्य पहचान होने पर यह फर्जी जॉब कार्ड तथा झूठे लाभार्थियों को
तो समाप्त करेगा ही साथ ही यह खाता खोलने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनायेगा तथा
लाभार्थियों की आवाजाही पर निगाह रखेगा और एक बेहतर निगरानी भी व्यवस्था सुनिश्चित
करेगा।
·
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम-2005
की अनुसूची के पैरा-1
के उप-पैरा (iv)
में 22
जुलाई,
2009 को संशोधन किया गया है। इसमें अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति या बीपीएल
परिवारों से संबंधित भूमिधारकों की,
या भूमि-सुधारों से लाभान्वित परिवारों की,
या भारत सरकार इंदिरा आवास योजना के लाभार्थियों या कृषि ऋण माफी तथा ऋण
राहत योजना-2008 में परिभाषित छोटे या सीमांत किसानों से संबंधित भूमि पर
बाग़वानी,
भूमि विकास सुविधाएं तथा सिंचाई सुविधाएं मुहैया कराने के लिए प्रावधान
किया गया है।
·
इस अधिनियम के तहत कार्यों को मंजूरी प्रदान करने से पहले ग्राम
पंचायतों को निर्देश दिये गये हैं कि वे अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति या
बीपीएल परिवारों से संबंधित भूमि पर कार्य के लिए प्राथमिकता सुनिश्चित करें। छोटे
एवं सीमांत किसानों के पास कुल भूमि का
80 प्रतिशत भाग मौजूद है,
किंतु वे सभी कृषि भूमि के लगभग 40
प्रतिशत में ही खेती करते हैं। छोटे
और सीमांत किसानों की भूमि सभी कृषि क्षेत्र के 40
प्रतिशत भाग को निजी कार्यों की अनुमति के दायरे में शामिल किया गया है।
1420
लाख हेक्टेयर उपजाऊ भूमि में से 570
लाख हेक्टेयर भूमि को महात्मा गांधी नरेगा में शामिल किया
जाएगा।
·
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम-2005
की अनुसूची-1
के पैरा-1(जी) के तहत महात्मा गांधी नरेगा के अधीन कार्यों का विस्तार ग्राम
पंचायत तथा ब्लॉक स्तर पर भारत निर्माण राजीव गांधी सेवा केंद्र (बीएनआरजीएसके) के
निर्माण तक कर दिया गया है।
नक्सल प्रभावित राज्यों में महात्मा गांधी नरेगा के तहत कार्य
:-
केंद्र सरकार ने नक्सल प्रभावी राज्यों,
आंध्रप्रदेश,
बिहार,
छत्तीसगढ़,
झारखंड,
मध्य प्रदेश,
महाराष्ट्र,
ओडिशा और उत्तार प्रदेश,
में महात्मा गांधी नरेगा के कार्यों को प्रभावी ढ़ंग से लागू करने के लिए
27 अक्तूबर,
2009 को दिशा-निर्देश जारी किये हैं। राज्यों को निर्देश दिये गये है कि वे
ग्रामीण लोगों में,
जॉब कार्ड जारी करने,
पर्याप्त संख्या में कार्यों को
लागू करने और समय पर मज़दूरी के भुगतान के बारे में जागरूकता अभियान में तेज़ी
लायें।
श्रमिकों को समय पर मज़दूरी भुगतान सुनिश्चित करने के लिए राजस्थान में
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की सहायता से व्यापार पत्राचार को स्वीकार किया गया
है।
समावेश :-
महात्मा गांधी नरेगा को विभिन्न योजनाओ तथा विशेष कार्यक्रमों में
समाहित करने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय ने विस्तृत दिशा-निर्देश तैयार किये
हैं। 23
राज्यों के 115
जिलों में समावेश के लिए उन्हें शीर्ष जिले के तौर पर अपनाया गया है और
मंत्रालय ने स्वतंत्र संगठनों का गठन किया है। राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान
(एनआईआरडी) इन समाहित परियोजनाओं की निगरानी कर रहा है।
महात्मा गांधी नरेगा के तहत आरंभ की नई पहलों को ग्रामीण ग़रीबों की
आकांक्षाओं को पूरा करने के अतिरिक्त पारदर्शिता एवं जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के
लिए अभी काफी लंबा रास्ता तय करना है ताकि सरकार के मुख्य कार्यक्रमों के लाभ देशभर
के लाखों ग़रीबों तक पहुंच सकें और नीतियों के निर्माण की प्रक्रिया में यह ग़रीबी को
समाप्त करने में एक प्रभावी हथियार और उपकरण बन सके।