फ़िरदौस ख़ान
हिंदुत्व की विचारधारा से ओत-प्रोत किताब हिंद स्वराज की अनंत यात्रा में लेखक अजय कुमार उपाध्याय ने हिंद स्वराज की रोशनी में महात्मा गांधी के जीवन की विराट यात्रा का संक्षिप्त विवरण दिया है, जो साधारण व्यक्ति को भी महान कार्य करने के लिए प्रेरित करता है और वह अपने आराध्य के प्रति उसी प्रकार लीन हो सकता है, जिस प्रकार महात्मा गांधी ने अंतिम क्षणों में अपने आराध्य का नाम लिया. बक़ौल लेखक, वास्तव में गांधी जी ने तो अपने जीवन भर की तैयारी को ही बोला था, जिसके संबंध में तुलसीदास जी ने भी लिखा है-जनम-जनम मुनि जतन कराहीं, अंत राम कहि आवत नाहीं. इस तरह महात्मा गांधी ने सत्य की खोज में ही अपने मोक्ष का मार्ग ढूंढ लिया था. सत्य रूप में हिंद स्वराज के आलोक में इनके जीवन की यात्रा से निकले वचन, संदेश बनकर सारी मानवता के लिए कल्याणकारी सिद्ध हुए हैं. वास्तव में इनकी यात्रा की सार्थकता जब तक पूरी नहीं होती, जब तक मुनष्यत्व की खोज पूर्ण नहीं होती. इस तरह मानवता की अनंत यात्रा में हिंद स्वराज एक प्रकाश की तरह सभी को मार्ग दिखाता रहेगा. यह आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना सौ वर्ष पूर्व था और आने वाली सदियों के लिए भी उतना ही प्रेरणादायी रहेगा.

किताब के अध्याय राष्ट्रीय पुनर्जागरण एवं नवचेतना, हिंद स्वराज की पृष्ठभूमि, कांग्रेस की प्रारंभिक यात्रा, बंग-भंग और राष्ट्रीय राजनीति, राष्ट्र की अवधारणा और हम, सभ्यता का सार्थक पक्ष, शिक्षा, सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन, हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रयास, सविनय अवज्ञा आंदोलन, द्वितीय गोलमेज सम्मेलन, ऐतिहासिक वार्ता, भारत में सामाजिक क्रांति, द्वितीय विश्व युद्ध और नेहरू, स्वराज्य क्यों और कैसे, पार्लियामेंटरी स्वराज्य और विभाजन, सामाजिक सरोकार गांधी और संघ आदि में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है. मोहनदास करमचंद गांधी दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों को उनकी दयनीय दशा से उबारने के लिए संघर्षरत थे. उन्होंने 9 अक्टूबर, 1909 को लार्ड एमपीथील के नाम पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने हिंद स्वराज की आधारशिला रखी. उन्होंने लिखा कि शासकों का कर्तव्य है कि वे जन आकांक्षाओं के अनुरूप शासन करें. अगर वे अपने प्राथमिक कर्तव्यों को पूरा करने में असफल होते हैं, तो जनता को इस बात का अधिकार है कि वे उसे पहचाने व सहयोग करने से इंकार कर दे. महात्मा गांधी का अंत:करण पिछले पचास वर्षों से गूंज रहे स्वराज्य के उन उद्घोषों के प्रति जागृत था, जिसमें 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम किसी न किसी रूप में अपनी आवाज़ लिए गूंज रह था, जो महाराष्ट्र में वासुदेव बलवंत फ़डके और पंजाब में रामसिंह कूका के नेतृत्व में देशभक्ति का भाव भर रहा था. इसी बीच 1885 में मुंबई प्रेसीडेंसी एसोसिएशन का गठन हुआ, जिसके दादाभाई नौरोजी उपसभापति चुने गए. एओ ह्यूम ने 27 दिसंबर, 1885 को कांग्रेस की स्थापना की. कांग्रेस के संबंध में गांधी जी लिखते हैं-देखिए, कांग्रेस ने अलग-अलग जगहों पर हिंदुस्तानियों को इकट्ठा करके उनमें हम एक राष्ट्र हैं, ऐसा जोश पैदा किया. कांग्रेस पर सरकार की क़डी नज़र रहती थी. महसूल का हक़ प्रजा को होना चाहिए, ऐसी मांग कांग्रेस ने हमेशा की है. जैसा कनाडा में है, वैसा स्वराज्य हमें चाहिए, उससे ब़ढकर इसका कोई स्वराज्य है या नहीं, यह सवाल अलग है. मुझे दिखाना तो इतना ही है कि कांग्रेस ने हिंद को स्वराज्य का रस चखाया है. इसका यश कोई और लेना चाहे तो वह ठीक न होगा, और हम भी ऐसा मानें तो बेक़दर ठहरेंगे. इतना ही नहीं, बल्कि जो मक़सद हम हासिल करना चाहते हैं, उसमें मुसीबतें पैदा होंगी.

किस तरह हिंदुत्व को खत्म करने और ईसाइयत को बढ़ावा देने के लिए लार्ड मैकाले ने शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन किए, उसे भी लेखक ने पेश किया है. मैकाले ने अंग्रेजी भाषा द्वारा अपने ईसाईयत के लक्ष्य को घोषित किया था- थोड़ी-सी पाश्चात्य शिक्षा से ही बंगाल में मूर्ति पूजने वाला कोई नहीं रह जाएगा. तभी तो अलैक्जेंडर डफ भारत में धर्म प्रचार के लिए आया, लेकिन सबसे अधिक प्रचार उसने अंग्रेज़ी का किया था. चर्चों की एक सभा में 1835 में डफ ने घोषणा की थी, जिस-जिस दिशा में पाश्चात्य शिक्षा प्रगति करेगी, उस-उस दिशा में हिंदुत्व के अंग टूटते जाएंगे और अंत में जाकर ऐसा होगा कि हिंदुत्व का कोई भी अंग साबुत नहीं रहेगा. उन्हीं लार्ड शाफ्ट ने कहा था-जो भी हिंदू ईसाई परमात्मा का ध्यान करेगा, वह ब्रह्मा और विष्णु को स्वयंमेव भूल जाएगा. लार्ड विलियम बैंटिक ने 1835 में लार्ड मैकाले की योजना की घोषणा करते हुए ऐलान किया कि भारतवर्ष में शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी होगी.

चूंकि लेखक दिल्ली में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक हैं, इसलिए संघ की विचारधारा इस पुस्तक के हर अध्याय में प्रकट होती है. पुस्तक की प्रस्तावना संघ के सरकार्यवाह भय्याजी जोशी ने लिखी है. वह लिखते हैं-हिंद स्वराज ने पाश्चात्य सभ्यता की बुनियाद में उस समय जिन खामियों की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट किया था, वे खामियां ही पूरे पश्चिमी जगत को आज सामाजिक-आर्थिक स्तर पर संकटग्रस्त किए हुए हैं. इसलिए पश्चिम के विद्वान हिंद स्वराज की प्रासंगिकता को स्वीकारते हैं, क्योंकि हिंद स्वराज ने मानवीय पक्ष को सभ्यता का केंद्र मानते हैं. लेखक ने किताब की भूमिका में उन लोगों का आभार व्यक्त किया है, जिन्होंने इस किताब में अपना योगदान दिया है.


أنا أحب محم صَلَّى ٱللّٰهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ

أنا أحب محم صَلَّى ٱللّٰهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ
I Love Muhammad Sallallahu Alaihi Wasallam

फ़िरदौस ख़ान का फ़हम अल क़ुरआन पढ़ने के लिए तस्वीर पर क्लिक करें

या हुसैन

या हुसैन

फ़िरदौस ख़ान की क़लम से

Star Web Media

सत्तार अहमद ख़ान

सत्तार अहमद ख़ान
संस्थापक- स्टार न्यूज़ एजेंसी

ई-अख़बार पढ़ें

ब्लॉग

  • आज पहली दिसम्बर है... - *डॉ. फ़िरदौस ख़ान* आज पहली दिसम्बर है... दिसम्बर का महीना हमें बहुत पसंद है... क्योंकि इसी माह में क्रिसमस आता है... जिसका हमें सालभर बेसब्री से इंतज़ार रहत...
  • कटा फटा दरूद मत पढ़ो - *डॉ. बहार चिश्ती नियामतपुरी *रसूले-करीमص अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि मेरे पास कटा फटा दरूद मत भेजो। इस हदीसे-मुबारक का मतलब कि तुम कटा फटा यानी कटा उसे क...
  • Dr. Firdaus Khan - Dr. Firdaus Khan is an Islamic scholar, poetess, author, essayist, journalist, editor and translator. She is called the princess of the island of the wo...
  • میرے محبوب - بزرگروں سے سناہے کہ شاعروں کی بخشش نہیں ہوتی وجہ، وہ اپنے محبوب کو خدا بنا دیتے ہیں اور اسلام میں اللہ کے برابر کسی کو رکھنا شِرک یعنی ایسا گناہ مانا جات...
  • आज पहली दिसम्बर है... - *डॉ. फ़िरदौस ख़ान* आज पहली दिसम्बर है... दिसम्बर का महीना हमें बहुत पसंद है... क्योंकि इसी माह में क्रिसमस आता है... जिसका हमें सालभर बेसब्री से इंतज़ार र...
  • 25 सूरह अल फ़ुरक़ान - सूरह अल फ़ुरक़ान मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 77 आयतें हैं. *अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है*1. वह अल्लाह बड़ा ही बाबरकत है, जिसने हक़ ...
  • ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ - ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ ਕਿਤੋਂ ਕਬੱਰਾਂ ਵਿਚੋਂ ਬੋਲ ਤੇ ਅੱਜ ਕਿਤਾਬੇ-ਇਸ਼ਕ ਦਾ ਕੋਈ ਅਗਲਾ ਵਰਕਾ ਫੋਲ ਇਕ ਰੋਈ ਸੀ ਧੀ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਤੂੰ ਲਿਖ ਲਿਖ ਮਾਰੇ ਵੈਨ ਅੱਜ ਲੱਖਾਂ ਧੀਆਂ ਰੋਂਦੀਆਂ ਤ...

एक झलक

Followers

Search

Subscribe via email

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

साभार

इसमें शामिल ज़्यादातर तस्वीरें गूगल से साभार ली गई हैं