अम्बरीश कुमार
अन्ना हजारे अपनी टीम से निजात तो नहीं पाना चाहते है, यह आशंका उन ताकतों को है जो शुरूआती दौर में में अन्ना हजारे के आंदोलन से जुडी थी। इन ताकतों में जयप्रकाश आंदोलन के कार्यकर्ताओं से लेकर गाँधीवादी कार्यकर्त्ता शामिल है। खास बात यह है कि ये सब अब बाबा रामदेव के आंदोलन की तरफ काफी उम्मीद से देख रही है और सक्रिय पहल भी कर चुकी है। बाबा रामदेव को उत्तर प्रदेश से कई जन संगठनों और कार्यकर्ताओं का समर्थन मिलता नजर आ रहा है दूसरी तरफ अन्ना हजारे का उत्तर प्रदेश का न तो कोई कार्यक्रम है और न ही भविष्य की कोई योजना। अन्ना हजारे के आंदोलन से जुड़े सर्व सेवा संघ के मंत्री राम धीरज ने कहा -दिल्ली में जो हो रहा है उससे इसी तरह का संकेत मिल रहा है खासकर मीडिया में जिस तरह की खबरे आई है ।

गौरतलब है कि अन्ना हजारे ने बाबा रामदेव के साथ आंदोलन का एलान अपनी टीम को साथ लेकर नहीं किया जिसके बाद यह मामला सार्वजनिक हुआ पर परदे के पीछे यह पहले से चल रहा था जिसकी एक नहीं कई वजहें बताई जा रही है। बाबा रामदेव के साथ जाने का फैसला जिस तरह अन्ना ने अकेले किया उसी तरह उन्होंने आगे का फैसला भी अपनी मर्जी से किया है । ध्यान रहे अब अन्ना हजारे एक मई से महाराष्ट्र के शिर्डी से यात्रा की शुरुआत करेंगे। अन्ना महाराष्ट्र के 35 जिलों का दौरा करेंगे। इसके आलावा वे देश में कई जगहों पर बाबा रामदेव के साथ सभा करेंगे। महाराष्ट्र में अन्ना हजारे को टीम के किसी सदस्य की जरुरत भी नहीं है क्योकि वहा उनका खुद का आधार रहा है है और वे मराठी के जरिए इस आंदोलन को व्यापक बनाएंगे। ऐसे में महाराष्ट्र में भूमिका बनेगी भी तो सिर्फ अन्ना हजारे की किसी और की नहीं । इसका राजनैतिक संदेश समझा जा सकता है। दरअसल कुछ महत्वकांक्षी सदस्य हजारे के जन आंदोलन से अपनी राजनैतिक जमीन तलाशने लगे थे और दो ने तो लोकसभा की सीट भी चिन्हित कर ली । पर अब आंदोलन का जो हाल है वही हाल उनकी राजनैतिक संभावनाओं का भी हो गया है।

दूसरी तरफ बाबा रामदेव की तैयारी ज्यादा व्यापक और ठोस है। दिक्कत सिर्फ यह है कि उनके आंदोलन पर दक्षिण पंथी ताकतों का ठप्पा न लग जाए वर्ना उसे ज्यादा बड़ा समर्थन मिल सकता है। जयप्रकाश आंदोलन के कार्यकर्त्ता राम धीरज ने आगे कहा -बाबा रामदेव की तैयारी कई मायनों में महत्वपूर्ण है। वे नौजवानों से लेकर महिलाओं को अलग अलग संगठित कर रहे है इनमे आंदोलन वाली जमात भी शामिल है। दूसरे काला धन का मुद्दा ऐसा है जिसमे राजनैतिक दल से लेकर राष्ट्रिय अंतराष्ट्रीय मीडिया का भी समर्थन मिल सकता है। इस मामले में यह ज्यादा व्यापक आंदोलन बन सकता है।

गौरतलब है कि बाबा रामदेव की तैयारी सिर्फ तीन जून तक की ही नहीं है, बल्कि उसका विस्तार 2014  का चुनाव है जो पहले भी हो सकता है। पर उनकी राजनैतिक ताकत जून से लेकर अगस्त तक दिख जाएगी। दूसरी तरफ अब बाबा रामदेव के साथ अन्ना हजारे के आ जाने से हजारे टीम के उन सदस्यों की दिकत बढ़ सकती है जो रामदेव के विरोधी रहे है। हजारे आंदोलन से जुड़े एक नेता ने कहा -टीम अन्ना के लोग यह बात कभी समझ ही नहीं पाए कि जब तक आप खुद की कोई व्यवस्था नहीं बना सकते तो बड़ी व्यवस्था का सपना कैसे देखेंगे। न कोई संगठन न कोई कार्यक्रम खाली मीडिया का ग्लैमर कबतक चलेगा । कुछ्ह देर चल भी जाए पर जिस अहंकार से ये लोग बोलते है उससे कोई आंदोलन नहीं चल सकता एनजीओ ही चल सकता है।
(लेखक जनसत्ता से जुड़े हैं)

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