फ़िरदौस ख़ान
जब घर का चश्मो-चिराग़ कहीं खो जाता है, तो उसकी याद में किस तरह दिल तड़पता है और आंखें गंगा-जमुना की धारा बन जाती हैं, इसके तसव्वुर से ही रूह कांप उठती है. अगर जाने वाले को इसका अहसास हो, तो कभी वह ख़्वाब में भी अपने घर-परिवार को छोड़कर जाने की बात नहीं सोचेगा. उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर ज़िले के क़स्बे बुढाना के 10 साल के मोहम्मद हसन की गुमशुदगी को चार साल होने वाले हैं. उसकी मां आयशा का रो-रोकर बुरा हाल है. उन्होंने अपने लाल को हर जगह तलाशा, मगर वो कहीं न मिला. सुबह सूरज की पहली किरन से ही पूरा घर अपने लाडले के इंतज़ार में पलकें बिछा लेता है, उम्मीद की एक लौ क़ायम रहती है कि कभी कोई तो आएगा, उनके बेटे की ख़बर लेकर, लेकिन जब रात ढलती है और हसन की कोई ख़बर नहीं आती, तो दिल बुझने लगता है.

मोहम्मद हसन के पिता मोहम्मद फ़ुरक़ान का कहना है कि उन्हें क्या पता था कि उनका बेटा उनसे बिछड़ जाएगा. वे तो बस इतना चाहते थे कि मदरसे से आने के बाद हसन यहां-वहां खेलकर वक़्त बर्बाद करने की बजाय उनके काम में हाथ बंटाए, ताकि उसे काम करने की आदत पड़ जाए. वे कहते हैं कि हम तो खेती करने वाले लोग हैं. सुबह पौ फटने से लेकर देर रात तक खेतों में ख़ून-पसीना बहाना पड़ता है, तब कहीं जाकर घर-परिवार के गुज़ारे लायक़ आमदनी जुटा पाते हैं. हम बचपन से ही बच्चों को काम की आदत डालते हैं, ताकि बड़े होकर वे मेहनत-मज़दूरी कर सकें. बस, खेत में काम करने की बात को लेकर ही बेटे पर उनका हाथ उठ गया और वह कहीं चला गया. अपनी इस ग़लती के लिए वे आज तक पछता रहे हैं. काश, उन्होंने अपने बेटे को मारने की बजाय प्यार से समझाया होता, तो आज वह हमारे साथ ही होता. उन्होंने अपने बेटे को आसपास ही नहीं दूर-दराज तक के इलाक़ों में ढूंढा, मगर वह कहीं नहीं मिला. उन्होंने अपने सब रिश्तेदारों के यहां जाकर भी बेटे को तलाश किया.

बच्चे का मामू जान क़ारी मोहम्मद आरिफ़ साहब का कहना है कि मोहम्मद हसन अपने पिता मोहम्मद फ़ुरक़ान से बहुत डरता था. उसके पिता उससे खेत में काम करने को कहते थे. इसी बात को लेकर कई बार वे अपने बेटे को पीट भी चुके हैं. इससे पहले दो बार वह अपने पिता की मार खाने के बाद अपने मामा के पास बंतीखेड़ा आ गया. बाद में वो उसे समझा-बुझाकर उसके घर छोड़कर आए. वे बताते हैं कि हसन पढ़ने में बहुत होशियार है. उसे पास के ही मदीना-उल-तुलूम मदरसे में क़ुरआन हिफ़्ज़ यानी मुंह ज़ुबानी याद करने के लिए दाख़िल कराया गया था. छोटी-सी उम्र में ही उसने तीन पारे हिफ़्ज़ कर लिए थे. उसे क्रिकेट खेलने का बहुत शौक़ है. नम आंखों से वे कहते हैं कि हसन जहां कहीं भी होगा, क्रिकेट ज़रूर खेलता होगा.

क़ारी साहब कहते हैं कि आज भी देहात के मुसलमानों में फ़ोटो खिंचवाने का चलन नहीं है. जब कभी दस्तावेज़ों के लिए ज़रूरत पड़ती है, तभी लोग फ़ोटो खिंचवाते हैं. एक दिन उन्होंने यूं ही मदरसे में बच्चों के साथ अपने भांजे हसन की फ़ोटो खिंचवा ली थी, वरना आज उसकी तलाश के लिए एक तस्वीर तक उनके पास नहीं होती.

हसन का बड़ा भाई मोहम्मद मुबारक 15 साल का है. पोलियो की वजह से एक पैर से लाचार होने के बावजूद वे भी अपने भाई की तलाश में जगह-जगह भटकता रहता है. उसका कहना है कि बस उसे एक बार उसका भाई मिल जाए, वे उसे कहीं नहीं जाने देगा. हसन का छोटा भाई अब्दुल क़ादिर, बहनें आरिफ़ा और मंतशा भी अपने भाई को देखने के लिए तरस रही हैं. वे दिन-रात यही दुआ करती हैं कि बस एक बार उनका भाई घर वापस आ जाए. (स्टार न्यूज़ एजेंसी)


फ़िरदौस ख़ान का फ़हम अल क़ुरआन पढ़ने के लिए तस्वीर पर क्लिक करें

या हुसैन

या हुसैन

फ़िरदौस ख़ान की क़लम से

Star Web Media

सत्तार अहमद ख़ान

सत्तार अहमद ख़ान
संस्थापक- स्टार न्यूज़ एजेंसी

ई-अख़बार पढ़ें

ब्लॉग

  • ऑल इंडिया रेडियो - ऑल इंडिया रेडियो से हमारा दिल का रिश्ता है. रेडियो सुनते हुए ही बड़े हुए. बाद में रेडियो से जुड़ना हुआ. ऑल इंडिया रेडियो पर हमारा पहला कार्यक्रम 21 दिसम्...
  • Thank Allah - When we are happy in our life, thank us Allah and celebrate. And when we are unhappy in our life, say thank us Allah and grow. Allah's mercy is greater t...
  • Life - Life is most difficult exam for everyone. Many people fail because they try to copy others. They not realizing that everyone has a different question pap...
  • میرے محبوب - بزرگروں سے سناہے کہ شاعروں کی بخشش نہیں ہوتی وجہ، وہ اپنے محبوب کو خدا بنا دیتے ہیں اور اسلام میں اللہ کے برابر کسی کو رکھنا شِرک یعنی ایسا گناہ مانا جات...
  • हमारा जन्मदिन - कल यानी 1 जून को हमारा जन्मदिन है. अम्मी बहुत याद आती हैं. वे सबसे पहले हमें मुबारकबाद दिया करती थीं. वे बहुत सी दुआएं देती थीं. उनकी दुआएं हमारे लिए किस...
  • 25 सूरह अल फ़ुरक़ान - सूरह अल फ़ुरक़ान मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 77 आयतें हैं. *अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है*1. वह अल्लाह बड़ा ही बाबरकत है, जिसने हक़ ...
  • ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ - ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ ਕਿਤੋਂ ਕਬੱਰਾਂ ਵਿਚੋਂ ਬੋਲ ਤੇ ਅੱਜ ਕਿਤਾਬੇ-ਇਸ਼ਕ ਦਾ ਕੋਈ ਅਗਲਾ ਵਰਕਾ ਫੋਲ ਇਕ ਰੋਈ ਸੀ ਧੀ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਤੂੰ ਲਿਖ ਲਿਖ ਮਾਰੇ ਵੈਨ ਅੱਜ ਲੱਖਾਂ ਧੀਆਂ ਰੋਂਦੀਆਂ ਤ...

एक झलक

Followers

Search

Subscribe via email

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

साभार

इसमें शामिल ज़्यादातर तस्वीरें गूगल से साभार ली गई हैं